Parjaa:क्या होती हैं वह फिल्में जो आपके दिल की गहराइयों तक उतर जाती हैं,जिन्हें देखते वक्त ऐसा लगता है जैसे आप खुद उस गाँव की गलियों में पहुँच गए हों और उनके दर्द और उनकी खुशियों को जी रहे हों। ऐसी ही एक फिल्म है “परजात” (Parjaat) जिसकी लंबाई करीब 2 घंटे 15 मिनट की है जिसे 10 मार्च 2025 के दिन चौपाल ओटीटी पर रिलीज कर दिया गया है।
लेकिन जब आप इसे देखना शुरू करते हैं,तो पता ही नहीं चलता कि यह कब खत्म हो गई। फिल्म के डायरेक्शन की बात करें तो इसे नवजोत सिंह ने किया है। जिन्होंने कहानी को इतने प्यार से सजाया और स्क्रीन पर पेश किया है कि हर दृश्य में पंजाब की मिट्टी की खुशबू अंदर तक महसूस होती है।
फिल्म के मुख्य किरदारों में अमरिंदर गिल,हरलीन कौर,जसवंत सिंह,नीता कौर और बिनु ढिल्लों शामिल हैं। जिन्होंने अपने अपने रोल को इस तरह निभाया है कि उन्हें भूल पाना मुश्किल है।
कहानी:
फिल्म की कहानी पंजाब के एक छोटे से गाँव पर आधारित है। जहाँ हरजोत (अमरिंदर गिल) अपने परिवार का ख्याल रखने वाला एक मेहनती किसान है। उसकी जिंदगी एक सादे ढर्रे पर चलती है सुबह खेतों में जाना शाम को घर लौटना और बीच-बीच में दोस्तों के साथ हंसी मजाक।
उसकी हंसमुख आवाज और आँखों की चमक देखकर लगता है जैसे वह खुद हरजोत बन गया हो। कहानी में आगे चलकर एक मेले का दृश्य आता है, जहाँ हरजोत की मुलाकात हरलीन (हरलीन कौर) से होती है। हरलीन रंग बिरंगी चूड़ियाँ खरीद रही होती है और उसकी मुस्कान पर हरजोत इस कदर फिदा हो जाता है कि दोनों की बातचीत शुरू हो जाती है। यह मुलाकात धीरे धीरे प्यार में बदलने लगती है।
लेकिन कहानी में मोड़ तब आता है,जब हरलीन के पिता (जसवंत सिंह) की एंट्री होती है। वह अपनी बेटी के लिए एक रसूखदार रिश्ता चाहते हैं और हरजोत को गाँव का एक मामूली लड़का समझते हैं। जिसके साथ वह शादी के लिए तैयार नहीं हैं।
दूसरी ओर, हरजोत की माँ (नीता कौर) को भी इस रिश्ते से ऐतराज है क्योंकि उन्हें लगता है कि शहर की लड़की गाँव में सही ढंग से नहीं रह पाएगी। यहाँ से दोनों के बीच तनातनी देखने को मिलती है। फिल्म का सेकंड हाफ हरजोत और हरलीन की उस जंग से शुरू होता है,जिसमें वह अपने पिता को मनाने और शादी करने के लिए लड़ते हैं। इस जंग में हरजोत अपने दोस्त बलजीत (बिनु ढिल्लों) की मदद लेता है और यहीं से फिल्म कॉमेडी का भारी डोज देती है। अब क्या यह शादी हो पाती है या नहीं यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म की कमियाँ:
फिल्म भले ही हंसी मजाक और इमोशन से भरपूर हो लेकिन कुछ जगहों पर यह थोड़ी खिंचती हुई लगती है। मिसाल के तौर पर वह सीन जहाँ हरजोत और उसका दोस्त बलजीत आपस में बातें करते हैं वह बातचीत इतनी लंबी हो जाती है कि आपका ध्यान भटकने लगता है। इसके अलावा फिल्म का अंत थोड़ा जल्दबाजी में निपटाया गया लगता है। हालाँकि बाद में सोचने पर लगा कि शायद यही जिंदगी का असली रंग है सब कुछ परफेक्ट नहीं होता।
पॉजिटिव पॉइंट्स:
अमरिंदर गिल की एक्टिंग इस फिल्म की जान है। उनकी हरकतें उनकी मुस्कान और कॉमिक टाइमिंग दर्शकों का दिल जीत लेती हैं। फिर चाहे वह हंसी मजाक के डायलॉग हों या उनकी अटपटी हरकतें,सब लाजवाब हैं। वहीं हरलीन कौर जो इस फिल्म से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कर रही हैं उनकी मासूमियत आपको भावुक कर देगी।
हरलीन के पिता जसवंत सिंह का गुस्सा और माँ नीता कौर की ममता कहानी में चार चाँद लगाते हैं। बलजीत के रोल में बिनु ढिल्लों की कॉमेडी फिल्म को और मजेदार बनाती है। हर दृश्य में पंजाबी संस्कृति की झलक इतनी खूबसूरती से दिखाई गई है कि आप खुद को उस माहौल में महसूस करने लगते हैं।
निष्कर्ष:
परजात मेरे लिए एक यादगार फिल्म बन गई। मैं पहले ज्यादा पंजाबी फिल्में नहीं देखता था,क्योंकि मुझे लगता था कि इनमें कहानी के नाम पर सिर्फ कॉमेडी होती है। लेकिन परजात ने मेरा नजरिया बदल दिया। इसमें हंसी मजाक,इमोशन और सच्चाई का ऐसा मिश्रण है जो इसे खास बनाता है। अगर आप सादगी भरी कहानी और दिल को छूने वाला सिनेमा देखना पसंद करते हैं तो परजात को बिल्कुल मिस न करें। यह फिल्म आपको हंसाएगी रुलाएगी और पंजाब की मिट्टी की खुशबू से सराबोर कर देगी।
फिल्मीड्रिप रेटिंग: ३.५/५
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