इरट्टा एक मलयालम फिल्म है जिसे 3 फरवरी 2023 को रिलीज़ किया गया था। इरट्टा का निर्देशन किया है रोहित एम.जी. कृष्णन ने। फिल्म के मेन लीड में हमें जोजू जॉर्ज देखने को मिलते हैं। कैसी है यह फिल्म, आइए अपने इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं।
जिस तरह से इरट्टा की एंडिंग है, इसके आगे विजय सेतुपति की महाराजा का अंत भी फीका-सा लगता है।क्लाइमेक्स कुछ इस तरह का है जिसको प्रेडिक्ट कर पाना नामुमकिन है। जब-जब आप अनुमान लगाना चाहेंगे, तब-तब आप पूरी तरह से फेल हो जाएँगे ये जानने में कि अंत कैसा होने वाला है।
इस क्राइम थ्रिलर फिल्म की लंबाई 1 घंटा 52 मिनट की है। कहानी की शुरुआत होली के दिन एक खौफनाक आवाज़ से होती है जहाँ एक पुलिस स्टेशन में वहीं के एक पुलिस ऑफिसर (जोजू जॉर्ज) का मर्डर कर दिया गया है।
अब सब लोग इस बात से हैरान हैं कि आखिर रहस्यमयी तरीके से ये मर्डर किया तो किसने किया है। जिस ऑफिसर का मर्डर होता है उसका अपना भाई इसके मर्डर इन्वेस्टिगेशन की शुरुआत करता है। फिल्म में जोजू जॉर्ज दो जुड़वाँ भाइयों के किरदार में हैं,एक वो है जो मर गया, दूसरा वो है जो इस मर्डर की इन्वेस्टिगेशन कर रहा है।
लास्ट तक कुछ इस तरह के ट्विस्ट और टर्न देखने को मिलते हैं जिनके सामने “ऑफिसर ऑन ड्यूटी” जैसी फिल्म भी फीकी पड़ती दिखती है। जब जोजू जॉर्ज अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए जाँच-पड़ताल शुरू करता है तब कुछ ऐसे तथ्य हमारे सामने निकलकर आते हैं जो हैरान करने वाले हैं।
यहाँ इस तरह से सस्पेंस क्रिएट किया गया है जिसे देखकर इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाता है कि हीरो कौन है और कौन है विलेन। कहानी कुछ इस तरह से हमारे दिमाग पर हावी होती है जिसे देखकर समझ नहीं आता कि आखिर ये सब चल क्या रहा है और इसका अंत क्या होने वाला है। आखिर इसके तार किन पहलुओं से जुड़े हुए हैं और यहाँ हमें क्या दिखाने की कोशिश की जा रही है।
क्या है यहाँ खास?
अगर आपने पहले महाराजा फिल्म देख रखी है,और आपको ऐसा लगता है कि महाराजा फिल्म जैसी अब कोई भी फिल्म नहीं बन सकती, तब इरट्टा देखने के बाद आप पूरी तरह से सन्न रह जाएँगे क्योंकि यहाँ कुछ ऐसा पेश किया गया है जो महाराजा को भी पीछे छोड़ देता है।
क्लाइमेक्स देखकर लगता है कि मलयालम फिल्म मेकर इतनी क्रिएटिविटी लाते कहाँ से हैं। जिस तरह से यहाँ थ्रिल के साथ कहानी को पेश किया गया है, जो स्क्रीनप्ले यहाँ देखने को मिला, वो कहीं न कहीं हमें इमोशनली कनेक्ट करने का काम करता है। फिल्म के तीन प्लस पॉइंट हैं,जोजू जॉर्ज की एक्टिंग, फिल्म का प्रेजेंटेशन, साथ ही इसका क्लाइमेक्स।
यह मास -मसाला फिल्म नहीं है। कहानी के हर एक कैरेक्टर को डिटेल के साथ पेश किया गया है।
निष्कर्ष
अगर आपको ऐसी फिल्म देखनी है जिसे देखने के बाद कुछ दिनों तक आप उसी फिल्म की कहानी में खोए रहें, तब इससे बेहतर ऑप्शन कोई नहीं है। अभी इसे नेटफ्लिक्स पर सिर्फ मलयालम भाषा में ही रिलीज़ किया गया है, पर संभवतः जल्द ही यह हिंदी में भी उपलब्ध करवा दी जाएगी।
IMDb पर इसे 7.7 की रेटिंग मिली है। कहानी को समझने के लिए जितना भी दिमाग पर प्रेशर डाला जाए, आप इसके क्लाइमेक्स का अंदाज़ा लगाने में नाकाम ही रहेंगे। मेरी तरफ से इसे दिए जाते हैं पाँच में से चार स्टार।
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