September 5 review hindi:Tim Fehlbaum के निर्देशन में बनी सेप्टेम्बर 5 को 2024 में सिनेमा घरो में रिलीज़ किया गया था यह एक ऐतिहासिक ड्रामा थ्रीलर है। अब फाइनली इसे विडिओ आन डिमांड पर रिलीज़ कर दिया गया है। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है। आइये जानते है कैसी है यह फिल्म क्या ये फिल्म क्या आपको इस फिल्म को अपना कीमती टाइम देना चाहिये या नहीं।
कहानी
शायद आप लोग न जानते हो पर इजराइल और फिलिस्तीन में हमेशा से एक इजराइल के एक विशेष हिस्से को लेकर लड़ायी चलती रहती है. ऐसा ही एक बार 1972 के म्यूनिख समर ओलंपिक के दौरान हुआ था। इस ओलंपिक में कुछ आतंकवादी मिलकर इजराइल के 11 खिलाड़ियों को बंदी बना लेते है।
फिर एक अमेरिकन स्पोर्ट चैनल इन सब चीज़ो को लाइव रिकॉर्डिंग करता है।आतंकवादी ये चाहते है के उनके कुछ लोग जो इजराइल में कैद है उन्हें छोड़ दिया जाए।इन आतंकवादी को जर्मन पुलिस की ओर से पकड़ने की कोशिश की गयी थी पर दुर्भाग्य वश वो यहाँ फेल रहे।
अब किस तरह से इन 11 खिलाड़ियों को आतंक के इस साये से छुटकारा मिलता है,मिलता भी है या इन्हे मार दिया जाता है यही सब आपको यहाँ इस कहानी में देखने को मिलेगा। जिसके लिए यह फिल्म देखनी होगी।
क्या है ख़ास
यह पूरी फिल्म असल ज़िंदगी पर आधारित है तो यहाँ आपको जो भी देखने को मिलने वाला है वह सब कुछ असल में घटित हो चुका है। इस पुरे अटैक को स्पोर्ट न्यूज़ चैनल और वहा काम कर रहे लोगो के द्वारा दिखाया गया है,के किस तरह से एक स्पोर्ट चैनल ने इस पूरे इंवेंट की कवरेज की थी। इस स्पोर्ट चैनल का नाम था ABC Sports American Broadcasting Company यह न्यूज़ कवर करना इतना आसान नहीं था।
इसमें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा था।यहां हर एक चीज़ बड़ी बारीकी के साथ पेश की गयी है जिसे देख ऐसा लगता है के मेकर ने फिल्म के लिए काफी रिसर्च करि होगी।
अगरआप एक्शन या मसाला फिल्मो को देखने के शौक़ीन है तो यह उस तरह की कहाँनी नहीं है।यही एक वजह बनेगी के शायद सेप्टेम्बर 5 मॉस ऑडियंस को बोर भी करें। यहां पर ज्यादा तर लोगो को आपस में बात करते ही दिखाया गया है। यहां हमें पत्रकारिता का महत्व जानने को मिलेगा के असल में यह कैसे काम करती है। पीटर सर्सगार्ड,जॉन मैगारो,बेन चैपलिन,लियोनी बेनेश की अदाकारी काफी शानदार है।
सेप्टेम्बर 5 को दर्शको और समीक्षकों का बहुत प्यार मिला साथ ही इसे दो अवार्ड से भी सम्मानित किया गया जिसमे एक ओरिजिनल स्क्रीनप्ले के लिए और दूसरा बेस्ट ड्रामे के लिए दिया गया था।
सभी कैरेक्टर दर्शको को खुद में आसानी से इंगेज करते है।टेक्निकल एक्स्पेक्ट से अगर देखा जाए तो यह काफी मज़बूत नज़र आती है।
निष्कर्ष
यह एक अच्छी फिल्म है अगर आपको भी मेरी तरह सच्ची घटना पर घटित फिल्मे देखने का शौक है तब आप इसे देख सकते है। सबसे बड़ी बात यहाँ ये देखने को मिलेगी की उस समय के पत्रकारों को किस तरह से सरकार के दबाव में काम करना पड़ता था।
मेरी तरफ से इसे दिये जाते है 3/5 स्टार
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