Why Thalapathy Vijay failed among Hindi audiences:थलापति विजय की आखरी फिल्म जन नायगन इनकी आखरी फिल्म होने वाली है। जन नायगन के लिए थलापति विजय ने पूरे 250 करोड़ रूपये लिए है। इसके साथ ही यह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के सबसे ज़ादा फीस चार्ज करने वाले अभिनेता में शामिल हो गए है। शाहरुख खान ने भी अपनी कुछ फिल्मो के लिए इतनी फीस ली थी।
थलापति विजय के फैन में इनके लिए पागल पन इतना है के इनकी फिल्म रिलीज़ से पहले सिर्फ ट्रेलर देखने के लिए सिनेमा घर भर जाते है। इनकी फिल्मो को साउथ के साथ विदेशो में भी इनके फैन त्यौहार की तरह ही मनाते है।अब क्या थलापति विजय का स्टारडम सिर्फ साऊथ तक ही सीमित है या फिर पैन इंडिया में भी इनको उतना ही पसंद किया जाता है।
थलापति विजय ने अपने करियर की शुरुवात अपने पिता एस ए चंद्र शेखर के साथ की थी जो की तमिल फिल्म इंडस्ट्री के एक बड़े निर्देशक है पर उनकी पहली फिल्म स्क्रीन पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकी। विजय की इस फिल्म के फ्लॉप होने के बाद कुछ मैगजीन ने इन्हें चूहे की शकल जैसा बताया और कहा कि यह एक असफल अभिनेता ही बनकर रह जाएंगे।
उस समय विजय की आयु सिर्फ 20 वर्ष की थी और इस कम आयु में यह बात इनको इतनी बुरी लगी कि वह पूरी रात रोते रहे,पर फिर विजय ने सोचा कि मेरे आइडियल तो रजनीकांत है मैं भला कैसे हार मान सकता हूँ। बहुत सारी फ्लॉप फिल्में देने के बाद अंत में विजय की ‘पोरम पुगुंधु वरुगा’ जिसका निर्देशक विक्रमान ने किया था कर यह विजय की पहली बॉक्स ऑफिस हिट रही।
यह थलापति विजय की जिंदगी की पहली ऐसी फिल्म थी जिसके द्वारा लोगों में विजय के प्रति फैन फॉलोइंग तेजी से बढ़ने लगी इसके बाद थलापति विजय ने एक के बाद एक अच्छी-अच्छी फिल्में देकर अपने आप को प्रूफ कर दिया कि वह आने वाले टाइम के सुपरस्टार हैं जिस तरह से बॉलीवुड में शाहरुख खान दिलवाले दुल्हनिया ले जायगे के बाद सुपरस्टार बन गए थे,
ठीक उसी तरह से थलापति विजय भी अपनी एक फिल्म वर्ष 2000 में रिलीज ‘थाथलदा मलम कुल्लू’ से सुपरस्टार बने। यह एक रोमांटिक फिल्म थी। इस फिल्म ने डेढ़ सौ दिनों तक सिनेमाघर में चलकर विजय सेतुपति को सुपरस्टार बना दिया।
बॉलीवुड में बनी फिल्म खुशी अगर आप लोगों ने देखी होगी इसके मुख्य कलाकार में फरदीन खान और करीना कपूर देखने को मिले थे,यह खुशी फिल्म विजय की इसी फिल्म का रीमेक था।
विजय ने अपनी इस ब्लॉकबस्टर फिल्म के साथ फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक जगह तो बना ली थी पर अभी उनका सपना पूरा नहीं हुआ था जो इससे कहीं ज्यादा था विजय को विजय से बनना था थलापति, जो कभी हारता नहीं ,कभी फेल नहीं होता,विजय को विजय से थलापति विजय बनाने वाली दो फिल्में थी घिल्ली और थिरुमलाई इसके बाद यह थलापति बन गए।
पर अभी तक विजय की एक भी फिल्म पन इंडिया रिलीज नहीं की गई थी अब वह टाइम आया जब साउथ की फिल्मों को हिंदी में डबिंग कर के टीवी पर प्रसारित किया जाने लगा ,यंहा से थलापति विजय को हिंदी दर्शक बहुत पसंद करने लगे। वही तमिल इंडस्ट्री की बात की जाए तो कमल हसन और रजनीकांत के बाद जो तीसरे नंबर का सुपरस्टार है वह थलापति विजय ही है

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थलापति विजय क्यों न बन सके पेन इंडिया सुपर स्टार
पेन इंडिया में थलापति विजय उस तरह से प्रसिद्ध नहीं हो सके जिस तरह से रजनीकांत,कमल हसन,प्रभास,अल्लू अर्जुन,जूनियर एनटीआर हुए।तमिल फिल्म इंडस्ट्री अपनी फिल्मों में बेसिक ह्ययूमन इमोशंस डालकर बनाने की कोशिश करता है,जो कि वहां के आम जनता को टच करती है
बॉलीवुड में अलग तरह की फिल्में बनाई जाती है जैसे कि एग्जांपल के तौर पर लापता लेडीज़ को ही ले लिया जाए अगर लापता लेडीज़ तमिल फिल्म इंडस्ट्री में बनाई जाती तो शायद वहां के दर्शक इसे पसंद ना करते।
कोविड के टाइम पर जब सभी फिल्में फ्लॉप हो रही थी और नई फिल्मों को ओटीटी पर रिलीज किया जा रहा था तब थलापति विजय की फिल्म मास्टर ने 300 करोड़ का बिजनेस करके सब को चौंका दिया था इसके बाद लियो और वारेसु का भी कलेक्शन बहुत जबरदस्त हुआ था।
पर थलापति इस बात को अच्छी तरह से जानते है के वो हिंदी दर्शको के साथ कनेक्ट नहीं कर पाए है।
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