आजाद फिल्म से बॉलीवुड के दो स्टार किड्स अपना डेब्यू करने जा रहे हैं अजय देवगन के भतीजे अमान देवगन वहीं दूसरी ओर है रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी। जिन लोगों को पीरियड ड्रामा फिल्में देखना पसंद हैं उनके लिए यह सरप्राइज पैकेज की तरह ही है।
आजाद का निर्देशन किया है अभिषेक कपूर ने। अभिषेक कपूर की इससे पहले कई पुकार और केदारनाथ फिल्म तो हम सभी लोगों ने देखी ही होगी। बस वैसा ही कुछ हटकर हमें आजाद फिल्म में भी कपूर ने दिखाने की कोशिश की है।
अभिषेक कपूर अपनी फिल्मों में जिस तरह से सिनेमैटिक और विजुअल पर एक्सपेरिमेंट करते दिखते हैं वही एक्सपेरिमेंट हमें आजाद फिल्म में भी देखने को मिल रहा है।
कहानी में इंसान और जानवर के प्यार को जिस तरह से दिखाया गया है वह देखने में काफी आकर्षक लगता है। आइए करते हैं आजाद फिल्म का फुल रिव्यू और जानते हैं कैसी है ये फिल्म क्या यह आपके टाइम को डिजर्व करती भी है या नहीं।
कहानी
कहानी में एक घोड़ा एक लड़का और आजादी की लड़ाई का मिला जुला स्वरूप देखने को मिलता है। आज़ाद की कहानी को 1920 के भारत में रख कर दिखाया गया है जब देश ब्रिटिश के गुलामी की जंजीरों में बंधा हुआ था और यहाँ जमींदारों का राज हुआ करता था। जनता ज़मींदारों की गुलामी में काम किया करती थी। तब कुछ लोग प्रताड़ित होकर अलग समुदाय बना कर इस गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की कोशिश में लगे थे।
यही एक समुदाय के मुखिया अजय देवगन और इनका घोड़ा आजाद दिखाया जाता हैं। जिस तरह से महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक हुआ करता था उसी तरह से फिल्म में अजय देवगन के घोड़े आजाद को दिखाया गया है।
कहानी को दो फ्रेम में घूमता दिखाया जाता है। एक तरफ अजय देवगन होते हैं और दूसरी तरफ अमान देवगन , अमान देवगन यह चाहते हैं कि जिस तरह से अजय देवगन को इस घोड़े ने अपना मालिक चुना था उसी तरह से ये घोड़ा उन्हें भी अपना मालिक चुने।
जिससे कि वह इस अत्याचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ सके। अब क्या अमान देवगन आजाद के साथ इस स्वतंत्रता की लड़ाई में देश को आजादी दिला पाते हैं या नहीं यही सब कुछ आपको इस फिल्म में देखने को मिलेगा।
पॉजिटिव प्वाइंट
एक लाइन में अगर आजाद का रिव्यू किया जाए तो यह पूरी तरह से एंटरटेनिंग फिल्म है। बहुत टाइम के बाद बॉलीवुड में किसी जानवर पर आधारित फिल्म को बनाया गया है। जिसे अभिषेक कपूर ने अपने स्क्रीनप्ले के माध्यम से और भी अच्छी तरह से प्रेजेंट किया है।
जहां पहले हाफ में फिल्म पूरी तरह आपको इंगेज कर रखता है। जिससे आपको इसके दूसरे हाफ को जानने की उत्सुकता बनी रहती है। सेकंड हाफ के बहुत से सीन ऐसे हैं जो आपकी आंखों में आंसू ले आएंगे और इमोशन से भर देंगे। वही क्लाइमेक्स के सभी एक्शन सीक्वेंस शानदार हैं।
नेगेटिव प्वाइंट
जिस तरह से फिल्म की हाइप बनाई गई थी, उस तरह से फिल्म में कुछ ज्यादा देखने को नहीं मिलता। कहानी दो टाइम लाइन में चलती है। वह आपस में कनेक्ट नहीं हो पाती।
जितना अच्छा इसका म्यूजिक है अगर उतने ही अच्छे से इसके गानों पर भी काम किया जाता तो कहानी और भी प्रभावी रूप से दर्शकों के सामने उभर कर आती। कहानी में अगर गाने ना भी डाले जाते तब और अच्छा रहता है। जिससे की कहानी और तेज़ी के साथ आगे बढ़ती।
प्रदर्शन
अमान देवगन राशा थडानी का डेब्यू फिल्म है लेकिन परदे पर उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता है कि यह उनकी पहली फिल्म है। दोनों का परफॉर्मेंस उम्मीद से कहीं बेहतर है। इन्होंने अपने इमोशनली रेंज कैरेक्टर परफॉर्मेंस और डायलॉग डिलीवरी को जिस तरह से पेश किया है , उसे देखकर लगता है कि वह अपने सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं। पूरी फिल्म में राशा थडानी बेहद खूबसूरत दिखाई दी है और उसी तरह से उनका गेट अप भी किया गया है जैसा कि पीरियड फिल्मों में हमें देखने को मिलता है।
टेक्निकल एक्सपेक्ट
आजाद पीरियड ड्रामा होने के कारण फिल्म का गेटअप, कास्टूम डिजाइनिंग और सेट की डिजाइनिंग के माध्यम से कहानी का शानदार पीरियड प्रस्तुतीकरण किया गया है।
दोस्ती वफादारी और साहस के साथ-साथ एक जानवर की वफादारी को जिस तरह से पेश किया गया है यह सभी चीज़ें पूरी तरह से दर्शकों को संतुष्ट कर सकती हैं। अमित त्रिवेदी का सुकून भरा म्यूजिक प्रोडक्शन वैल्यू के उच्च स्तर के कारण विजुअल इफेक्ट साउंड डिजाइनिंग और एडिटिंग इस फिल्म को और भी शानदार बनाते हैं। वास्को के द्वारा दिए गए सभी डांस स्टेप काफी प्रभावशाली हैं।
निष्कर्ष
आजाद को आप अपनी पूरी फैमिली के साथ बैठकर देख सकते हैं। फिल्म में किसी भी प्रकार के एडल्ट या वल्गर भाषा का इस्तेमाल नहीं हुआ है। आजाद एक विजुअल मास्टरपीस है जो 1920 के भारत की याद दिलाती है। अगर आपको देशभक्ति से भरी हुई कहानी पसंद आती है या आपने काफी समय से जानवर पर बनी फिल्म नहीं देखी तो यह फिल्म आपके लिए है। फिल्मी ड्रिप की तरफ से इसे दिए जाते हैं 5 में से 3 स्टार।
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