निर्देशक राजकुमार पेरियासामी की फिल्म “अमरन” एक वीर साहसी भारतीय सैनिक मेजर मुकुंद की कहानी है। शिवकार्तिकेयन ने मेजर मुकुंद वरदराजन के रोल को निभाया है।
यह फिल्म मेजर वरदराजन की निडरता और जाबाज़ी को दिखाती है। इनकी पत्नी के रूप में साई पल्लवी को दिखाया गया है। मेजर वरदराजन ने कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे ये फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है।
मेजर की इस वीरता के लिए इन्हे अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। फिल्म में हमें भुवन अरोड़ा,राहुल बोस भी नज़र आते है। अमरन को कमल हासन,आर. महेंद्रन,विवेक कृष्णनी ने प्रोडूस किया है।
कहानी
राजकुमार पेरियासामी की अमरन जो आपको एक भारतीय सैनिक की ज़िंदगी में ले जाती है,फिल्म में आपको एक्शन,इमोशन और एक कहानी है जो दर्शको को सीट से उठने नहीं देती। फिल्म की शुरुवात होती है स्कूल के लड़के से और यही लड़का आगे चलकर बनता है मेजर मुकुंद वरदराजन। अगर आप को लगता है के ये एक क्रमिक रूपांतरण तो ऐसा नही है।
राजकुमार पेरियासामी ने मुकुंद वरदराजन के कैरेक्टर को कुछ इस तरह से डेवलप किया है जैसे आपको लगेगा की आप भी उसके साथ-साथ ही ग्रो कर रहे है। जिस तरह से मुकुंद वरदराजन का आर्मी की ट्रेनिंग वाला फेज़ शुरू होता है आपको ऐसा लगता है के आप भी उसी फील्ड में बैठ कर ये सब कुछ अपने सामने देख रहे हो।
मुकुंद वरदराजन के अंदर देशभक्ति की भावना और ज़िंदगी की चुनौतियाँ ये ही इस फिल्म की बैक बोन है। और जब साई पल्लवी की फिल्म में इंट्री होती है मुकुंद वरदराजन की पत्नी के रूप में,तब कहानी में एक इमोशनल लेयर एड हो जाता है जिससे ये फिल्म और भी रियल लगने लगती है।
कैरेक्टर
मुकुंद का कैरेक्टर एक कॉलेज के लड़के से लेकर आर्मी का मेजर बनने तक का सफर बहुत डीप और लेयर्ड है। इसके हर कदम पर जो डिसीजन इसे लेने होते है वो आपको रिस्पेक्ट और इमोशन फील कराता है। सिवकार्थिकेयन और साई पल्लवी ने ऐसी परफॉर्मेंस दी है जो आपको इनके हर एक सीन पर तालिया बजाने का मन करेगा।
साई पल्लवी का रोल शुरू-शुरू में सिंपल लग सकता है पर जिस तरह से कहानी आगे बढ़ती है तब आपको फील होगा साई पल्लवी का कैरेक्टर फिल्म के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इन दोनों के रिलेशन में हमें एक इमोशन टच दिखाई देता है जो कही न कही दर्शको के दिलो को छूने का काम कर सकता है ।साई पल्लवी की एक्टिंग देख आप दोबारा से इनके फैन होने वाले है।
निर्देशन
फिल्म की शूटिंग कश्मीर में की गयी है। उसी रियल लोकेशन पर जहा पर मुकुंद ने अपनी ज़िंदगी के आखरी पलो को बिताया था। फिल्म आपको ऐसा फील कराती है के आप भी इनके साथ कश्मीर की रंगीन वादियों में बैठ कर एक भारतीय सैनिक की जर्नी को देख रहे हो। राजकुमार पेरियासामी फिल्म को रियल दिखाने के लिए डिफेन्स मनिस्ट्री से भी बहुत हेल्प ली थी।यही वो कारण है जो इस फिल्म को एकदम असल बना देता है।
मुकुंद और इंदु के बांड आपको इमोशनल फील कराता है। मेजर मुकुंद को अपनी जोब के चलते अपनी निजी ज़िंदगी से बहुत से सेक्रिफाइज करना होता है। कलाइमेक्स के सभी सीन आपके दिलो को छू जायेगे। सोल्जर के असली स्ट्रेगल क्या होते है वो इस फिल्म ने अच्छे से दर्शाया है। राजकुमार पेरियासामी का निर्देशन शानदार है।
म्यूज़िक
फिल्म में जी.वी. प्रकाश कुमार का म्यूज़िक फिल्म की जान है। पहली बार प्रकाश ने राजकुमार पेरियासामी और सिवकार्थिकेयन के साथ काम किया है और बखूबी किया है बीजीएम स्टोरी को और भी इम्पेक्ट फुल बनाता है। इमोशन और थ्रिलिंग सीन में म्यूज़िक आपको पूरी तरह से इंगेज कर के रखता है। जिससे कहानी का हर एक बीट हम तक डायरेक्टरी पहुँचता है।
सिनेमाटोग्राफी
सीएच साई ने अपनी सिनेमाटोग्राफी के दम से इस फिल्म में कश्मीर पर एक रंग छोड़ा है। राजकुमार पेरियासामी और स्टीफन रिचर ने जितनी डिटेल में इसकी स्टोरी को लिखा और डायरेक्ट किया है वो इस फिल्म को और सेना पर बनी फिल्मो से अलग बनाता है।
फिल्म ड्रामा और हीरोइज़म से ज्यादा एक सोल्जर की अंदर की कहानी को दर्शाती है। फिल्म में कश्मीर के विजुवल के साथ आर्मी की ज़िंदगी के पलो को जिस तरह से फिल्म में दिखाया गया है वो शानदार है।
निष्कर्ष
अमरन की कहानी मेजर मुकुंद वरदराजन के जीवन पर समर्पित है जिन्होंने देश की खातिर अपने प्राणो की आहुति दी थी। ये भारतीय सेना के बहादुर सैनिको में से एक थे। फिल्म के जरिये ये दिखाने की कोशिश की गयी है के किस तरह से मेजर के परिवार ने साहस और हिम्मत दिखाई है।
ये फिल्म हमें देशभक्ति प्यार और बलिदान की प्रेरणा देती है जिसको आप अपनी पूरी फैमली के साथ देख भी सकते है और प्रेरणा भी ले सकते है। कहानी कही-कही पर थोड़ी स्लो हो जाती है पर फिर भी आप को ये खुद से बांधने में पूरी तरह से कामयाब रहती है।
हमारी तरफ से फिल्म को दिए जाते है पांच में से तीन स्टार
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