Ziddi Girls Review:जिद्दी गर्ल्स का पूरा रिव्यू: क्या है इसमें खास?

Ziddi girls review in hindi

Ziddi girls review in hindi:आज 27 फरवरी 2025 को अमेजॉन प्राइम वीडियो पर वेब सीरीज “जिद्दी गर्ल्स” का सीजन 1 रिलीज हो चुका है। इस सीरीज में टोटल 8 एपिसोड हैं, और हर एपिसोड की लंबाई 40 से 50 मिनट के बीच है। अगर जॉनर की बात करें तो ये एक ड्रामा सीरीज है, जिसे सोनाली बोस, नेहा वीना शर्मा और वसंत नाथ ने डायरेक्ट किया है।

कहानी का पूरा फोकस कॉलेज हॉस्टल में रहने वाली लड़कियों की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें ढेर सारे इमोशनल, रोचक और मनोरंजक पल देखने को मिलते हैं। तो आइए, जानते हैं कि “जिद्दी गर्ल्स” में क्या है खास और क्यों आपको इसे जरूर देखना चाहिए। इसके साथ ही, हम इसका डिटेल रिव्यू भी करेंगे।

कास्ट:

रेवथी,नंदिता दास,सिमरन,नंदीश सिंह संधू,अनुप्रिया करौली,अतिया तारा नायक,दिया दामिनी,उमंग भड़ाना,जैन अली।

कहानी: लड़कियों की जिद और जिंदगी का रंग

“जिद्दी गर्ल्स” की कहानी पानीपत में बने एक गर्ल्स कॉलेज “माटिल्डा हाउस कैंपस” (M.H) की है। ये कॉलेज कई सालों से टॉप रैंकिंग में रहा है, लेकिन हाल के दिनों में स्टेट फंडिंग की कमी की वजह से पैसों की तंगी झेल रहा है। इसी कॉलेज की कुछ स्टूडेंट्स की जिंदगी पर ये सीरीज फोकस करती है। इनमें मुख्य किरदार हैं- देविका, वंदना, तृषा, पारु और वालिका बिष्ट।

तृषा:

हॉकी में माहिर इस लड़की का एडमिशन स्पोर्ट्स कोटा से हुआ है। कॉलेज में आने के बाद उसकी दोस्ती “पार्थ राणा” से हो जाती है, जो कहानी में एक रोमांटिक टच लाता है।

वालिका:

नई स्टूडेंट, जो पहली बार घर से दूर आई है और अपने पापा “गढ़वाली” को बहुत मिस करती है। उसकी मासूमियत और स्ट्रगल दिल को छू लेती है।

पारु सरना:

कॉलेज की प्रेसिडेंट, जो अपनी जूनियर्स पर हद से ज्यादा सख्ती बरतती है।

कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब पारु और उसकी टीम जूनियर्स को एक अंधेरे कमरे में जबरदस्ती बैठाकर अश्लील फिल्म दिखाती है।

घबराहट में नई स्टूडेंट देविका इस घटना का वीडियो बनाकर अपने बॉयफ्रेंड को भेज देती है। ये वीडियो “अश्लील नाइट इंसिडेंट” के नाम से रातों-रात वायरल हो जाता है। जिसके कारण कॉलेज को सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोलिंग झेलनी पड़ती है, और कॉलेज की डीन मालविका को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है।

इसके बाद नई डीन लता बख्शी की एंट्री होती है। लता एक सिंगल मदर हैं, जिनका बेटा दिमागी तौर पर बीमार है। उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ का बैलेंस देखना सीरीज का एक मजबूत पहलू है।

मालविका के इस्तीफे के बाद कॉलेज कमेटी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, लेकिन स्टूडेंट्स सिर्फ मालविका को ही डीन के रूप में वापस चाहती हैं। लता स्टूडेंट्स के सामने सख्त शर्तें रखती हैं, जैसे कर्फ्यू टाइम को रात 11 से घटाकर शाम 6 बजे करना। इसके जवाब में लड़कियां भूख हड़ताल शुरू कर देती हैं।

अब सवाल ये है- क्या ये जिद्दी लड़कियां अपनी मस्ती भरी लाइफ को बदल पाएंगी? क्या मालविका वापस आएंगी? ये सब जानने के लिए आपको “जिद्दी गर्ल्स” का पूरा सीजन देखना होगा।

पॉजिटिव पॉइंट्स: क्यों देखें ये सीरीज?

गर्ल्स सेंट्रिक स्टोरी:

ये सीरीज पूरी तरह लड़कियों की जिंदगी पर बेस्ड है। हर एपिसोड में उनकी स्ट्रेंथ, कमजोरियां और सपने दिखाए गए हैं।

यौन शिक्षा पर खुली बात:

सीरीज में सेक्सुअल एजुकेशन जैसे सीरियस टॉपिक को बिना किसी झिझक के पेश किया गया है, जो इसे खास बनाता है।

शानदार एक्टिंग:

रेवथी, नंदिता दास और बाकी कास्ट ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है। हर किरदार अपनी छाप छोड़ता है।

इमोशनल डेप्थ: हॉस्टल लाइफ के मस्ती भरे पल हों या गंभीर स्ट्रगल, हर सीन में इमोशन्स की गहराई नजर आती है।

नेगेटिव पॉइंट्स: कमिया

एपिसोड की लंबाई:

40-50 मिनट के एपिसोड्स को अगर 30 मिनट तक रखा जाता, तो शायद ये और क्रिस्प होती। कई बार लगता है कि सीन खींचे गए हैं।

कई किरदारों के होने की वजह से कभी-कभी कन्फ्यूजन हो सकता है कि कौन सा नाम किस किरदार का है।

पुराना कॉन्सेप्ट:

कॉलेज लाइफ और रैगिंग की कहानी पहले भी कई शोज में देखी जा चुकी है, जो इसे थोड़ा रिपिटेटिव बनाता है।

“जिद्दी गर्ल्स” के सभी एपिसोड्स:

एपिसोड 1: फचस।

एपिसोड 2: पारो की पीजी पार्टी।

एपिसोड 3: भूख हड़ताल।

एपिसोड 4: कुछ जिद्दी लड़कियां।

एपिसोड 5: मैं डरना नहीं चाहती।

एपिसोड 6: अपने मन की करूंगी।

एपिसोड 7: क्या सबका फर्स्ट ईयर इतना हैपनिंग होता है।

एपिसोड 8: अभिव्यक्ति के खतरे।

फाइनल वर्डिक्ट: देखें या स्किप करें?

अगर आप एक नारी हैं, तो “जिद्दी गर्ल्स” आपके लिए खासतौर पर बनी है। ये सीरीज न सिर्फ लड़कियों की ताकत और आजादी को दिखाती है, बल्कि ये साबित करती है कि वो कमजोर नहीं होतीं।

कहानी भले ही लड़कियों पर फोकस करती हो, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पुरुष इसे स्किप करें। हर किसी को इसे देखना चाहिए, ताकि वो हॉस्टल लाइफ, दोस्ती और स्ट्रगल को करीब से समझ सकें।

पैरेंटल गाइडलाइन:

सीरीज में कोई बहुत डिस्टर्बिंग सीन तो नहीं है, लेकिन फिर भी फैमिली के साथ देखने से बचें। ये सोलो या फिर दोस्तों के साथ एंजॉय करने वाली सीरीज है।

फिल्मीड्रिप रेटिंग: 3/5

Author

  • movie reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है मैने अपनी ब्लॉगिंग की शुरवात न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी अभी के टाइम पर मै कई मीडिया संस्थानों के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ उनमे से एक फिल्मीड्रीप है मै हिंदी इंग्लिश तमिल तेलगु मलयालम फिल्मो का रिव्यु लिखता हूँ । आशा करता हूँ के मेरे द्वारा दिए गए रिव्यु से आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे धन्यवाद।

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