Weekend in Taipei review in hindi:हॉलीवुड की ओर से एक नई फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ की गई है जिसका नाम ‘वीकेंड इन ताई पे’ है। फिल्म का जॉनर एक्शन और थ्रिलर की कैटेगरी में आता है। इसकी लेंथ तक़रीबन 1 घंटा 40 मिनट की है। मूवी का डायरेक्शन ‘जॉर्ज हुआंग’ ने किया है
जिन्होंने इससे पहले साल 1997 में आई फिल्म ‘ट्रोजन वॉर’ का भी निर्देशन किया था। फ़िल्म की कहानी ‘क्वांग’ नाम के ड्रगडीलर पर बेस्ड है जोकि शहर में धड़ल्ले से नशे के कारोबार को बढ़ा रहा है।
कहानी-
फिल्म की स्टोरी एक ड्रग डीलर कार्टेल ‘क्वांग’ (संग केंग) की है जो शहर में तेजी से अपने ड्रग्स के बिज़नेस को बढ़ाता चला जा रहा है, स्वांग अपनी पत्नी ‘जॉय’ (ग्वेई लून-मीन) जोकि एक ताइपे बेस्ड ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाती है जिनका एक बेटा ‘रेमंड’ (व्याट यांग) भी इन्ही के साथ रहता है।
क्वांग अपने ड्रग्स के कारोबार को चलाने के लिए अपनी वाइफ के ट्रांसपोर्ट बिज़नस का सहारा लेता है, जिससे वह डॉल्फिन मछली के अंदर अपने ड्रग्स को रख कर फैलाता है जिससे किसी को कभी कोई शक न हो। लेकिन इनके बेटे रेमंड को अपना पिता बिल्कुल भी नहीं पसंद था क्योंकि वह एक बुरा आदमी था,एक दिन उसे अपने घर के लॉकर में एक ‘लेज़र बुक’ मिलती है।
pic credit imdb
जिसमे उसके पिता के सभी काले कारनामों के सबूत मौजूद थे। जिसके बाद वह अपने पिता को पकड़वाने के लिए ‘अमेरिकन डीईए एजेंट’ ‘जॉन’ (ल्यूक इवांस) से कंप्लेन कर देता है और वह लेज़र बुक जॉन के हवाले कर देता है। क्योंकि रेमंड को ‘डॉल्फिन’ मछली से बहुत लगाव था जिन्हें उसके पिता ड्रग के लिए मार रहे थे।
हालाकि बाद में क्वांग को यह पता चल जाता है कि उसी के बेटे ने वह लेज़र बुक चुराई थी। जिसके बाद वह अपने बेटे और वाइफ को ढूंढने की मुहिम चलाता है ताकी वह अपने बेटे को मार सके। क्या क्वांग पुलिस के हत्थे चढ़ सकेगा या फिर अपने बेटे को ढूंढ कर मौत के घाट उतार देगा। क्या जॉन इन दोनो मां बेटे को सुरक्षित रख पाएगा यह सब जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी यह फिल्म जो कि आपके नज़दीकी सिनेमाघरों में उपलब्ध है।
टेक्निकल एस्पेक्ट-
फिल्म में बिना किसी सीजीआई इफेक्ट को इस्तेमाल किए, दमदार एक्शन को स्क्रीन पर उतारा है, जो की तारीफ के काबिल है। बात करें इसकी सिनेमैटोग्राफी की तो वह भी अच्छी क्वालिटी की है। मूवी का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी स्ट्रॉन्ग है, जो कि इस फिल्म की थीम को पूरी तरह से सपोर्ट करता है।
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खामियां-
फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसकी कहानी है जिसमें किसी भी प्रकार का नयापन देखने को नहीं मिलता।
बात करें इसकी दूसरी सबसे बड़ी कमी की तो वह इस मूवी का एक्शन है जो की भरपूर मात्रा में दिखाया गया है। इसकी तीसरी सबसे बड़ी कमी कहानी का एग्जीक्यूशन है जो की काफी सिंपल तरीके से दर्शकों के सामने रखा गया है, जिसके कारण फिल्म में किसी भी प्रकार का थ्रिलिंग मोमेंट महसूस नहीं होता।
फाइनल वर्डिक्ट-
अगर आपको हॉलीवुड की एक्शन फिल्में देखना पसंद है, और आप ‘ट्रांसपोर्टर’ जैसी एक्शन फिल्म के फैन हैं। तो आप इस फिल्म को रिकमेंड कर सकते हैं, जो कि आपको एक्शन के मामले में बिल्कुल भी मायूस नहीं करेगी। लेकिन अगर आप कुछ नया देखना चाहते हैं तो यह मूवी आपको पूरी तरह से निराश करती है। क्योंकि इस फिल्म की स्टोरी काफी ओल्ड मॉडल है जिसे आपने इससे पहले दर्जनों हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में देखा होगा।
हमारी तरफ से इस फिल्म को दिया जाते हैं 5/2.5 ⭐.
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