जन्नत, राज़, मर्डर, आशिकी जैसी फिल्मों को देने वाला भट्ट कैंप अब इस तरह के आउटडेटेड कॉन्टेंट पर फिल्में क्यों बना रहा है, कुछ पता नहीं। कुछ इसी तरह से भट्ट कैम्प की ओर से इस हफ्ते एक फिल्म रिलीज़ हुई है तू मेरी पूरी कहानी जिसका निर्देशन किया है सुहृता दास ने। यह फिल्म रोमांटिक म्यूजिकल ड्रामा के जॉनर में आती है। हिरण्य ओझा और अरहान पटेल यहाँ मुख्य भूमिका में हैं। इन दोनों कलाकारों ने यहाँ से अपने करियर की शुरुआत की है। भट्ट कैंप की फिल्में एक टाइम पर शानदार कंटेंट लेकर आती थीं। आइये जानते हैं क्या तू मेरी पूरी कहानी का कंटेंट भी भट्ट फिल्मों के जैसा ही है।
कहानी
एक लाइन में अगर इस फिल्म का रिव्यू किया जाए तो अगर इसे आज से १५ साल पहले रिलीज़ किया जाता तो डेफिनेटली दर्शक इसे पसंद करते। आज के टाइम पर इस तरह की आउटडेटेड कहानी से आज के दर्शकों को शायद उतना पसंद न आए। इसे देखते समय ऐसा लगता है कि लेखक ने आशिकी २ और सय्यारा फिल्म को दिमाग में रखकर कहानी लिखी होगी। हिरण्य ओझा और अरहान पटेल दोनों का यहाँ अच्छा काम देखने को मिला है। भट्ट कैंप की तरफ से २०२४ और २०२५ में आई ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुँह गिरी हैं, जहाँ कभी अच्छे विषय पर फिल्म बनाने वाली यह प्रोडक्शन कंपनी दिन-ब-दिन धूमिल पड़ती जा रही है। एक टाइम पर इस कैंप की फिल्मों का दर्शकों को इंतज़ार रहता था, फिर चाहे वह फिल्म रोमांटिक होती या हॉरर।
यहाँ कहानी दिखाई गई है एक ऐसी लड़की की जो एक फिल्म मेकर की नाजायज़ औलाद है। अब ज़ाहिर सी बात है कि ये लड़की अपने पिता से नफरत करती होगी। अपनी माँ का सर गर्व से ऊँचा करने के लिए इसे बनना है बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा। अब किस तरह से ये लड़की अपने सपनों को पूरा करती है, यही सब कहानी में आगे देखने को मिलता है।
पॉजिटिव और निगेटिव पॉइंट
२ घंटा १८ मिनट की ये फिल्म निराश करती है। कंटेंट पूरी तरह से पुराना है। शायद मेकर को ऐसा लगता है कि आज के दौर में भी पुराना कंटेंट लोगों को पसंद आ सकता है, तो यहाँ पर ये पूरी तरह से गलत है। ३० सेकंड के रील में अगर कुछ अच्छा न हो तो लोग रील बदल देते हैं, उस दौर में इस तरह की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर चलना लगभग असंभव ही है। फिल्म के डायलॉग, एडिटिंग, सॉन्ग सब पुराना है, जो लड़की का परिवार अजय देवगन की फिल्म जख्म की याद दिलाने का काम करता है। कहीं-कहीं ऐसा लगता है कि मेरा नाम जोकर और चाँदनी पार चलो से भी कहानी को लिया गया है। फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि राइटर को जो भी फिल्में पसंद थीं, उन सभी फिल्मों का थोड़ा-थोड़ा भाग उठाकर फिल्म का नाम दे दिया तू मेरी पूरी कहानी। पहले हिस्से में तो फिर भी ठीक थी, पर इंटरवल के बाद की कहानी सर में दर्द कर देती है। मेकर को चाहिए था कि इसे सीधे ओटीटी पर रिलीज़ किया जाता।
निष्कर्ष
दूसरा हिस्सा खराब है, पहला हिस्सा ठीक है। अनु मलिक का म्यूजिक शानदार रहा है। ९० के दशक में जिस तरह के गाने आया करते थे, ठीक उसी तरह के यहाँ सभी गाने फील कराते हैं। बहुत जगह पर ऐसा भी लगता है कि बीजीएम और म्यूजिक किन्हीं दूसरी फिल्मों से लिए गए हैं, मतलब कि कॉपी-पेस्ट किए गए हैं। मुझे ये फिल्म बिल्कुल पसंद नहीं आई, इसलिए मैं इसे देता हूँ ५ में से २.५ स्टार की रेटिंग।
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