The Leopard Review hindi review:नेटफ्लिक्स ने 5 मार्च 2025 को अपनी नई वेब सीरीज “द लेपर्ड” को दुनिया के सामने पेश किया है, और यकीन मानिए ये ऐसा ड्रामा है जो आपके वीकेंड को यादगार बना देगा। कुल 6 एपिसोड्स के साथ हर एपिसोड की लंबाई 1 घंटे से भी कम रखी गई है जो इसे बिंज वॉचिंग के लिए एकदम परफेक्ट बनाती है। ये एक हिस्टॉरिकल ड्रामा है,जो पुराने ज़माने की कहानी को इतने शानदार तरीके से स्क्रीन पर लाता है कि आप उस दौर में खो से जाते हैं।
इसमें देवा कैसल, बेनेडेटा पोरकारोली और किम रॉसी स्टुअर्ट जैसे धांसू कलाकारों ने कमाल की एक्टिंग की है। स्क्रिप्ट का जादू बेन्जी वाल्टर्स और रिचर्ड वारलो ने चलाया है, जो गिउसेप्पे टोमासी डि लैम्पेदुसा के मशहूर नॉवेल से प्रेरित है। और डायरेक्शन को टॉम शैंकलैंड ने संभाला है जिन्होंने इस कहानी में जान फूँक दी है। तो चलिए इस सीरीज की कहानी में झाँकते हैं और इसका रिव्यू करते हैं।

कहानी:सत्ता की आँधी और परिवार का संघर्ष
“द लेपर्ड” की कहानी आपको सीधे 1860 के इटली में ले जाती है, जहाँ सत्ता का खेल अपने पूरे शबाब पर है। यहाँ का हीरो है “डॉन फैब्रिजियो कोर्बेरा” सलीना राज्य का प्रिंस जो अपने परिवार के साथ सुकून की जिंदगी जी रहा है। लेकिन बाहर क्रांतिकारियों की आँधी चल रही है,जो उसकी सत्ता की जड़ें उखाड़ फेंकना चाहते हैं। दूसरी तरफ “डॉन कैलोगरो सेडारा” एक मेयर है जो इस बदलते वक्त में अपनी कुर्सी पक्की करने की होड़ में लगा है।
कहानी तब रफ्तार पकड़ती है जब फैब्रिजियो का परिवार मुसीबत में फँस जाता है। क्रांतिकारी सलीना राज्य पर कब्जा करना चाहते हैं,ताकि वहाँ लोकतंत्र की हवा बह सके। पहले एपिसोड में ही एक ऐसा ट्विस्ट आता है जो आपके दिल को दहला देगा। जिसमें फैब्रिजियो का भतीजा क्रांतिकारियों के साथ जा मिलता है और उसे फाँसी की सजा सुना दी जाती है।
लेकिन एक चाचा का प्यार फैब्रिजियो अपनी बेटी “कोंसेटा” की खातिर कुछ जमीन का सौदा करता है और भतीजे को बचा लेता है। ये सीन देखकर आपकी आँखें नम हो सकती हैं,क्योंकि यह दिखाता है कि परिवार के लिए इंसान क्या-क्या नहीं करता। फिर एक नई टेंशन शुरू होती है।

गर्मियाँ नजदीक हैं और फैब्रिजियो अपने परिवार को ठंडे इलाके के महल में ले जाना चाहता है। लेकिन विद्रोह की आग ऐसी है कि बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अब क्या फैब्रिजियो कोई नया दाँव खेलेगा या वक्त के आगे घुटने टेक देगा? ये जानने के लिए तो आपको स्क्रीन ऑन करनी पड़ेगी।
तकनीकी पहलू:सिनेमेटोग्राफी और विजुअल्स
द लेपर्ड के सीन इतने खूबसूरत हैं कि आपकी नज़र हटने का नाम नहीं लेगी। सिनेमैटोग्राफी का कमाल “निकोलई ब्रुएल” ने दिखाया है, जो हर फ्रेम को किसी पुरानी तस्वीर सा बना देता है। बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के मूड को ऐसा बाँधता है कि आप हर सीन में डूबते चले जाते हैं। कैमरा वर्क भी लाजवाब है मानो हर कोण से कहानी आपसे बात कर रही हो। ये सब मिलकर देखने का मज़ा दोगुना कर देता है।
कमियाँ:
स्पेशल इफेक्ट्स की कमी:
सीरीज में CGI या स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल न के बराबर है। फैब्रिजियो का महल देखकर लगता है कि एक प्रिंस का ठाठ-बाट इससे कहीं ज्यादा शाही होना चाहिए था। ये थोड़ा खलता है।
किरदारों की भीड़:
शाही परिवार की कहानी है, तो किरदारों की भीड़ तो बनती है। लेकिन हर एपिसोड में सबको थोड़ा थोड़ा टाइम देने से दिमाग में कन्फ्यूजन हो सकता है। किरदारों को थोड़ा और साफ करना चाहिए था।
खूबियाँ:
पुराने ज़माने का जादू:
भले ही स्पेशल इफेक्ट्स कम हों लेकिन 1860 का इटली जिस तरह दिखाया गया है, वो कमाल का है। ऐसा लगता है कि आप उस दौर की हवा में साँस ले रहे हों और सब कुछ आपके सामने घट रहा हो।
दिमाग संतुलन:
फैब्रिजियो को शांत,समझदार और चालाक दिखाया गया है। उसकी हर चाल कहानी में नया रंग भरती है, और ये देखना रोमांचक है कि एक प्रिंस अपनी सत्ता और परिवार को कैसे बचाता है।
निष्कर्ष:वीकेंड पर शाही तोहफा
अगर इस वीकेंड आप कुछ ऐसा देखना चाहते हैं जो नया और शानदार होने के साथ साथ आपके दिल को भी छू जाए तो “द लेपर्ड” आपके लिए ही बना है। हिंदी, इंग्लिश और कई दूसरी भाषाओं में सबटाइटल्स के साथ ये हर किसी के लिए तैयार है। इसमें प्यार और सत्ता का वो खेल है जो पुराने दौर को जिंदा कर देता है। हाँ कुछ कमियाँ हैं लेकिन फिर भी ये सीरीज आपको अपनी गिरफ्त में ले लेगी।इसका डायरेक्श,एक्टिंग और कहानी का ऐसा तड़का है कि आप इसे भूल नहीं पाएँगे।
फिल्मीड्रिप रेटिंग: 3.5/5
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