Notifications Powered by   DiziPush

The Bengal Files: विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द बंगाल फाइल्स आपके समय के लायक है या नहीं ? जानें

the bengal files review in hindi

5 सितंबर 2025 के दिन सिनेमाघर में रिलीज हुई फिल्म “द बंगाल फाइल्स“। डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री के डायरेक्शन में बनी यह ,मूवी काफी लंबे समय से विवादों में घिरी हुई थी क्योंकि इसकी कहानी भी विवेक अग्निहोत्री की पिछली सभी कंट्रोवर्शियल फिल्मों की तरह ही दिखाई गई है।

फिल्म के मुख्य किरदारों में दर्शन कुमार, अनुपम खेर, दिब्येंदु भट्टाचार्य, शाश्वत चटर्जी, सिमरत कौर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, नमशी चक्रवर्ती, प्रियांशु चटर्जी, पुनीत इस्सर, राजेश खेड़ा, एकलव्य सूद जैसे अन्य कई बड़े कलाकार शामिल हैं।

वहीं फिल्म के प्रोड्यूसर अभिषेक अग्रवाल और पल्लवी जोशी हैं। मूवी का जोनर ड्रामा और हिस्टोरिकल इवेंट पर आधारित है, साथ ही फिल्म की लंबाई की बात करें तो यह 3 घंटे 24 मिनट की है। चलिए जानते हैं फिल्म की कहानी और करते हैं इसका डिटेल रिव्यू।

The Bengal Files Movie
Image Credit: The Bengal Files Movie

फिल्म की कहानी

स्टोरी की शुरुआत होती है एक बड़े अंग्रेजी अफसर और उसकी पत्नी के बीच वार्तालाप से, जिसे देखकर हमें पता चलता है कि जल्दी ही यह अंग्रेज अफसर कोई बड़ा फैसला लेने वाला है जो कि भारत के इतिहास पर गहरा प्रभाव छोड़ेगा।

हालांकि यह अफसर डरा हुआ है, इसे देखकर पत्नी समझाती है और कहती है, “हर किसी को इतिहास बदलने का मौका नहीं मिलता, लेकिन आपको मिला है” तभी अगले सीन में दिखाया जाता है कि एक बड़ी मीटिंग आयोजित की गई है जिसमें सभी बड़े ब्रिटिश अफसर के साथ-साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस और भारत के कई महान नेता शामिल हैं, जिनमें नेहरू जी, सरदार पटेल जी शामिल हैं।

तभी अंग्रेज अफसर द्वारा एक घोषणा की जाती है।
इस सीन को देखकर ही आप समझ जाएंगे कि यह घटना 1946 यानी आजादी से पहले की है जब हमारा देश भारत ब्रिटिश शासन से आजादी के काफी करीब था। तभी वह ब्रिटिश अफसर कहता है कि हमने बहुत सारी तरकीबें इस्तेमाल कीं जिससे बिना कोई लड़ाई-दंगा हुए भारत को आजादी मिल सके,

The Bengal Files Movie Review
Image Credit: The Bengal Files Movie

लेकिन फिर भी इसे रोकने में नाकामयाब हो रहे हैं, जिसके चलते ब्रिटिश शासन को एक नया कानून पारित करना होगा। इन सब का एक ही सॉल्यूशन है भारत में हिंदू और मुस्लिम एक साथ नहीं रह सकते। जी हां, यह वही समझौता है जब इंडिया का बटवारा करके इसे बांट दिया गया था और बांटने के बाद पाकिस्तान बनाया गया था। हालांकि वह अंग्रेज अफसर यह भी कहता है कि इस कानून को सिर्फ 10 दिन के भीतर ही पारित करना होगा,

यानी यह नया देश यानी पाकिस्तान 10 दिन के अंदर बनेगा और सभी मुस्लिम्स को इंडिया छोड़कर जाना होगा। वह अफसर ये चेतावनी देता है कि उसे आज रात 12:00 बजे तक सभी नेताओं के फैसले का इंतजार रहेगा। तभी वहां बैठा एक नेता मोहम्मद अली जिन्ना, जो बाद में पाकिस्तान के संस्थापक भी बने, वह कहते हैं कि रात 12:00 बजे तक ही क्यों, हम आपको अपना फैसला 11:00 बजे तक ही दे देंगे। इससे ये बात साफ हो जाती है कि जिन्ना की मंशा शुरू से ही पाकिस्तान बनाने की थी।

The Bengal Files Movie Review In Hindi
Image Credit: The Bengal Files Movie

यहां से यह टाइमलाइन खत्म हो जाती है और अगली टाइमलाइन, यानी फिल्म का अगला सीन शुरू होता है, एक जांबाज CBI ऑफिसर शिवा पंडित (दर्शन कुमार) से, जिन्हें उनके हाई कमान अफसर (पुनीत इस्सर) ने एक नया केस देने के लिए बुलाया है। यह नया केस वेस्ट बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके का है, जहां पर एक दलित लड़की गीता मंडल, जो कि जर्नलिस्ट है, वह गायब हो गई है।

इस अपहरण का शक वहां के MLA सरदार हुसैनी पर जताया जा रहा है और क्योंकि यह केस काफी सेंसिटिव है, इसलिए इसे शिवा को दिया जाएगा क्योंकि शिवा का इससे पहले कोई भी पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है।

इस केस की सिर्फ एक ही प्राइम सस्पेक्ट है, जो काफी उम्र दराज़ हैं, साथ ही डिमेंशिया यानी भूलने वाली बीमारी से ग्रस्त है। अब शिवा को उस बूढ़ी औरत भारती बनर्जी से मिलना होगा और सबूत इकट्ठे करने होंगे, साथ ही काफी सतर्कता भी बरतनी होगी क्योंकि उस इलाके में पहले ही धारा 144 लगा दी जा चुकी है।

The Bengal Files Spoiler Free Review
Image Credit: The Bengal Files Movie

तभी अगले ही सीन में मिथुन दा की एंट्री होती है, जो कि बूढ़े शराबी और पागल के रूप में दिखाई दे रहे हैं। तभी कहानी आगे बढ़ती है और एंट्री होती है एक नई-नई रिपोर्टर बनी लड़की रिया की, जो कि उस अपहृत हुई लड़की गीता मंडल की दोस्त है। वह शिवा के सामने कई बड़े खुलासे करती है, जो कि गीता से जुड़े हुए हैं।

जैसे कि वह बताती है कि गीता की मां MLA सरदार के घर काम किया करती थी और वहां मौजूद सभी लोग मिलकर उसकी मां का सेक्शुअल एब्यूज करते थे। हालांकि गरीबी और भुखमरी के कारण मां मजबूरी में काम करती रही। बाद में कुछ पैसे जुटाने के बाद उन्होंने गीता को खुद से दूर दिल्ली भेज दिया ताकि वह सेफ रहे और जर्नलिज्म की पढ़ाई कर सके।

हालांकि गीता की मां ने उसे खुद से दूर सेफ रखने के लिए भेजा था, लेकिन अब गीता उसी MLA को एक्सपोज करने का प्रण लेती है और यही उसकी जिंदगी का मकसद था। हालांकि अपने इसी मकसद को गीता कामयाब न कर सकी और सरदार के चंगुल में फंस गई और उसे गायब कर दिया गया।

The Bengal Files Spoiler Free Review In Hindi
Image Credit: The Bengal Files Movie

फिल्म के आगे की कहानी इसी बात पर टिकी हुई है कि कैसे शिवा गीता मंडल को ढूंढेगा और उसके साथी वह कैसे धीरे-धीरे उस करप्ट MLA को एक्सपोज करेगा और उसकी सच्चाई दुनिया के सामने रखेगा। अब क्या गीता असल में जिंदा है या फिर MLA सरदार हुसैनी द्वारा मार दी गई है, यह सब जानने के लिए आपको देखनी होगी फिल्म द बंगाल फाइल्स।

डायरेक्शन कैसा है:

विवेक अग्निहोत्री, जो कि अपनी कंट्रोवर्शियल फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, वह अपने करियर में कई इस तरह की बड़ी फिल्में बना चुके हैं, जिनके रिलीज होने से पहले काफी विवाद हुआ था। इन फिल्मों में साल 2016 में रिलीज हुई, बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम, साल 2019 में रिलीज हुई द ताशकंद फाइल्स, साल 2022 में रिलीज हुई द कश्मीर फाइल्स और 2023 में आई द वैक्सीन वॉर शामिल हैं।

ठीक उसी तर्ज पर चलते हुए इस बार भी विवेक ने उसी तरह की एक कहानी अपनी इस फिल्म द बंगाल फाइल्स में पेश की है। जो कि तथ्यात्मक रूप से सही है या नहीं, ये तो कोर्ट ही डिसाइड करेगा क्योंकि यह केस अभी भी कोर्ट में पेंडिंग है। लेकिन अगर इस फिल्म की बात करें,

The Bengal Files Bharti
Image Credit: The Bengal Files Movie

सिर्फ इसे सिनेमाई रूप से देखने और इसके एक्सपीरियंस की, तो यह फिल्म काफी बढ़िया है, जिसमें विवेक के डायरेक्शन की दाद देनी चाहिए। फिल्म में दिखाए गए सभी इवेंट्स काफी असली लगते हैं, जैसे कि वह शुरुआती सीन, जिसमें ब्रिटिश के बड़े अफसर और हमारे देश के बड़े दिग्गज नेताओं का दिखाया जाना,

जिनमें जवाहरलाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल जैसे अन्य लोग शामिल थे। यकीन मानें यह सीन एकदम असली लगता है, जैसे कि मानो सच में वह भारत की आजादी से पहले का समय दिखाया जा रहा हो। साथ ही फिल्म में एक और सीन है, जब मुख्य किरदार शिवा, जो कि वहां के एक रसूखदार MLA की सभा में उसे रोकने जाता है, क्योंकि वह MLA भड़काऊ भाषण दे रहा होता है।

इस दौरान उस पर पत्थरों से हमला कर दिया जाता है, जहां पर शिवा द्वारा एक काफी इमोशनल डायलॉग बोला जाता है। यह सुनकर आपकी आंखें भर आएंगी। इसी तरह के छोटे-छोटे लेकिन मजबूत सीन विवेक अग्निहोत्री के बेहतरीन डायरेक्शन को हमारे सामने पेश करते हैं।

The Bengal Files Actress
Image Credit: The Bengal Files Movie

कमजोर पक्ष:

  • द बंगाल फाइल्स के शुरुआती सीन में, जब शिवा को दलित अपहृत लड़की का केस सौंपा जाता है, तो उसे बोला जाता है कि क्योंकि उसका कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है, इसलिए उसे यह केस दिया जा रहा है,लेकिन मेरे हिसाब से यह तथ्य थोड़ा कमजोर लगता है। साथ ही यह सीन थोड़ा जल्दबाजी में लिखा हुआ भी लगता है।
  • मूवी की अगली बड़ी कमी है इसकी लंबाई, जो कि पूरे 3 घंटे 24 मिनट की है। हां भले ही स्टोरी काफी इंगेजिंग है लेकिन इसे देखते वक्त कई सारे ऐसे सीन भी आते हैं, जिन्हें देखकर आप बोर होने लगते हैं, क्योंकि उन्हें हद से ज्यादा खींचा गया है।
  • फिल्म में कई मुख्य कलाकार भी शामिल हैं, जिनमें देबेदु भट्टाचार्य, जो कि राजेंद्र लाल राय चौधरी (काकू) के किरदार में हैं, वह एक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक हैं, पुनीत इस्सर, CBI के बड़े ऑफिसर के रूप में; नमशी चक्रवर्ती, गुलाम सरवर के रूप में; अनुपम खेर ने गांधी जी का किरदार निभाया है। इन सभी किरदारों के रोल काफी सीमित हैं, क्योंकि फिल्म दो टाइमलाइन्स के बीच चलती है, जो कि थोड़ा खलता है।
The Bengal Files Actress 2
Image Credit: The Bengal Files Movie

मजबूत पक्ष:

  • जैसा कि मैंने बताया फिल्म को दो टाइमलाइन्स में शूट किया गया है। पहली, जो कि आजादी से पहले के समय की है और दूसरी जो कि आज के समय की है, जिसमें एक दलित लड़की को ढूंढने का प्रयत्न किया जा रहा है। और यकीन मानें यह दोनों टाइमलाइन्स एक-दूसरे से इस तरह जुड़ी हुई हैं कि कब आप पुराने समय में चले जाते हैं और कब आप नए समय में, आपको पता ही नहीं चलता। यही इस फिल्म की खूबसूरती है।
  • मूवी में CBI ऑफिसर की जिम्मेदारियों को भी काफी अच्छे से दिखाया गया है, जिसमें यह जानने का मौका मिलता है कि कैसे एक बड़ा अफसर, एक बड़े पद पर होते हुए भी नेताओं द्वारा कंट्रोल किया जाता है या फिर उसे दबाने की कोशिश की जाती है। और मुझे लगता है यह सब हमारे असल दुनिया में भी ठीक वैसे ही होता है, जैसे द बंगाल फाइल्स फिल्म में दिखाया गया है।
  • मूवी का मुख्य किरदार जो कि दर्शन कुमार ने निभाया है, वह इससे पहले तूफान, NH10, मैरी कॉम जैसी बड़ी फिल्मों में काम कर चुके हैं और ठीक उसी तरह से उन्होंने द बंगाल फाइल्स में भी बेहतरीन ऐक्टिंग की है, जिन्हें देखते वक्त उनसे गहरा जुड़ाव हो जाता है, जैसे कि हम खुद उस CBI ऑफिसर की दुनिया में पहुंच गए हैं।

निष्कर्ष:

अगर आपको हिस्टोरिकल ड्रामा पर बनी फिल्में देखना पसंद है, जिनमें कुछ हद तक कहानी फिक्शनल और कुछ हद तक तथ्यों पर आधारित होती है, तब आपको द बंगाल फाइल्स जरूर देखनी चाहिए। भले ही CBFC द्वारा इसे A सर्टिफिकेट दिया गया हो, लेकिन फिल्म में कोई भी अश्लील सीन नहीं देखने को मिलता। बल्कि यह सर्टिफिकेट इसे इसलिए दिया गया, क्योंकि इसमें अत्यधिक हिंसा और भयानक सीन दिखाए गए हैं। मेरी इस फिल्म को लेकर रेटिंग रहेगी 3.5/5।

READ MORE

9 Upcoming Movies in September: इस महीने को बनाया खास इन एक्शन पैक्ड फिल्मों के साथ

The Conjuring: Last Rites: कॉन्ज्यूरिंग की चौथी किस्त, डरा पाने में कामयाब रही या नहीं? जानें

Author

  • Movie Reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है, मैने अपने ब्लॉगिंग करियर की शुरवात साल 2023 में न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी। वर्तमान समय मे,भारत की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई डेडीकेटेड हिंदी एंटरटेंमंट वेबसाइट,फिल्मीड्रीप के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ। मुख्य तौर पर मै फिल्मों और एंटरटेनमेंट से जुड़ी हुई ट्रेंडिंग और वायरल खबरों का एक्सपर्ट हूं। आशा करता हूँ की मेरे द्वारा दी गई हर एक जानकारी सटीक और भरोसेमंद हो,जिसे पढ़ कर आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे, धन्यवाद।

    View all posts