मैडॉक फिल्म ‘तेहरान’अरुण गोपालन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में हमें जॉन अब्राहम, मानुषी छिल्लर, नीरज बाजवा, हादी खजानपुर, मधुरिमा तुली जैसे कलाकार देखने को मिलेंगे। फिल्म की अवधि है 1 घंटा 56 मिनट, जिसे ज़ी5 के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देखा जा सकता है। आइए जानते हैं, क्या खास है जॉन अब्राहम की इस फिल्म में।
कहानी
इजराइल और ईरान की दुश्मनी हाल ही में हमें देखने को मिली है। ईरान जैसे ही परमाणु शक्ति (न्यूक्लियर पावर) बनाने की कोशिश करता है, इजराइल को जैसे ही इसकी भनक पड़ती है, वह ईरान के परमाणु साइट को अपना निशाना बनाता है। बात 13 फरवरी 2012 की है, जब ईरान द्वारा इजराइल के तीन डिप्लोमैटिक ठिकानों को निशाना बनाया गया था।

इसमें पहले नंबर पर जॉर्जिया, दूसरे पर थाईलैंड और तीसरे नंबर पर भारत था। भारत में जब इजराइली डिप्लोमैट को निशाना बनाया जाता है, तब इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाती है जॉन अब्राहम को। इस ब्लास्ट में एक फूल बेचने वाली अनाथ बच्ची की भी मौत हो जाती है, जिसका सिर्फ एक छोटा भाई है। जॉन अब्राहम अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बताते हैं कि यह पाकिस्तान का काम नहीं है।

जॉन अच्छे से जानते हैं कि पाकिस्तानी, इजराइल की गाड़ी को नहीं उड़ा सकते, जिसके पीछे की वजह अमेरिका है, जो पाकिस्तान का हुक्मरान है। वहीं दूसरी ओर, कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि यह पाकिस्तान ने ही किया है। अब किस तरह से जॉन साबित करते हैं कि इजराइली डिप्लोमैट पर हमला ईरान ने करवाया है? यह पूरी फिल्म असल घटना पर आधारित है।

क्या खास है फिल्म में
असल में यह कुछ इस तरह से हुआ था कि दिल्ली में इजराइल एम्बेसी की गाड़ी में एक बम लगा दिया गया था, जिस ब्लास्ट में एम्बेसी में काम करने वाले एक व्यक्ति की पत्नी घायल हुई थी। इस घटना के बाद इजराइल ने ईरान और लेबनान के शिया समूह हिजबुल्लाह पर इल्ज़ाम लगाया था। जब दिल्ली पुलिस ने इसकी जांच की, तो पता चला कि इस घटना में ईरान की IRGC का हाथ था। कहानी रियल इंसिडेंट से प्रेरित कही गई है, पर बेमतलब के सीन यहाँ भरे पड़े हैं, जैसा असल में हुआ ही नहीं था।

निर्देशन कमजोर है, इमोशनल डेप्थ की कमी साफ नजर आती है। अच्छा है कि इसे सिनेमाघरों में रिलीज़ नहीं किया गया। शुरुआत से ही फिल्म दर्शकों को खुद से जोड़े रखने में कामयाब नहीं रहती। स्क्रीनप्ले कमजोर है। जॉन अब्राहम ने फ़ारसी और हिब्रू भाषा का इस्तेमाल किया है, इसे रियल कहानी नहीं कहा जा सकता, यह पूरी तरह से काल्पनिक (फिक्शनल) है।
निष्कर्ष
कहानी में कुछ भी अश्लील या एडल्ट सीन का इस्तेमाल नहीं हुआ है। यह पूरी तरह से परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती है। मेरी ओर से इस फिल्म को दी जाती है 5 में से 2.5 स्टार की रेटिंग।
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