बात शुरू होती है हॉलीवुड के सुपरमैन से, हालही में आई हॉलीवुड फिल्म “सुपरमैन 2025” में एक छोटा सा किसिंग सीन है लेकिन वो भी सिर्फ दो सेकंड का। वो भी एक दम नॉर्मल तरीके से बिना कोई ओवर द टॉप ड्रामा के, लेकिन हमारे ग्रेट इंडियन सेंसर बोर्ड ने उसे देखते ही कैंची उठा ली और इस सीन को कट कर दिया गया लेकिन क्यों? क्योंकि सुपरमैन का किस हमारी संस्कृति के लिए खतरा बन गया था। अब सवाल ये है कि आखिर उस सीन में ऐसा क्या था? एक सुपरहीरो का प्यार भरा पल जो स्टोरी को और भी गहराई दे रहा था वो कैसे संस्कारों का दुश्मन बन गया?
देसी रोमांस में सब कुछ मंजूर
अब जरा बॉलीवुड की फ़िल्मों की बात बरते हैं यहाँ पर तो हीरो हीरोइन का रोमांस काफी जायद स्पीड में चलता है, सबसे पहले एक लंबा किस फिर बारिश में एक हॉट आइटम सॉन्ग फिर टॉवल में स्लो मोशन, फिर बेडरूम में 3 मिनट का मॉन्टाज और सेंसर बोर्ड फिर भी चुप रहता है, और अगर बोलता भी है तो सिर्फ ये की “अरे ये तो सिनेमैटिक लिबर्टी है”।
ये वही मूवीज हैं जिनकी रेटिंग सुपरमैन वाली मूवी के बराबर होती है, तो फिर सुपरमैन का वो छोटा सा किस क्यों काटा गया? क्या देसी प्यार में तो संस्कारों की रक्षा हो रही है लेकिन विदेशी प्यार दुनिया को खत्म कर देगा?।

सेंसर बोर्ड का संस्कार फॉर्मूला:
सेंसर बोर्ड का सिस्टम कुछ ऐसा लगता है देसी रोमांस = संस्कार, विदेशी रोमांस = संसार का अंत।
रणबीर कपूर अगर ‘ऐ दिल है मुश्किल’ फिल्म में 10 मिनट तक किसिंग सीन करे तो वो आर्ट है।
रणवीर सिंह अगर ‘बाजीराव मस्तानी’ में दीपिका के साथ रोमांटिक पल बिताए तो वो इमोशनल डेप्थ है।
पर अगर हॉलीवुड फिल्म सुपरमैन फिल्म में एक मामूली सा किस्स सीन दिखा दिया गया, तो वह एक कल्चरल शॉक बन गया, ये डबल स्टैंडर्ड क्यों भाई? सेंसर बोर्ड की रूल बुक में क्या ये लिखा है, कि अगर प्यार विदेशी हो तो कैंची चलेगी और अगर देसी हो तो सब कुछ चलेगा।

सेंसर बोर्ड का कट
एक काफी इंटरेस्टिंग बात निकल कर सामने आई है, जब से सेंसर बोर्ड ने सुपरमैन 2025 फिल्म के भीतर से
एक किस्स सीन को काटा है, तब से उस सीन को दर्शक इंटरनेट पर और भी ज्यादा सर्च करने में जुट हुए हैं, हालांकि इस सीन की क्लिप्स पहले ही इन्टरनेट पर वायरल हो चुकी हैं
साथ ही सोशल मीडिया पर भी लोग तरह तरह के मीम्स बना रहे हैं “सुपरमैन का किस भारत में बैन लेकिन बॉलीवुड का बेडरूम सीन सुपरहिट” ये सेंसर बोर्ड की कैंची चलने के बाद इन्हीं लोगों ने उल्टा उस सीन को और ज्यादा पॉपुलर कर दिया है। लोग बोल रहे हैं “अरे अगर इतना खतरनाक सीन था, तो हमें तो देखना ही है”।
सिनेमा आर्ट से संस्कार तक
पहले ज़माने में सिनेमा को कभी आर्ट माना जाता था, कहानी को कहने का तरीका ऐसा होता था, जिसमें इमोशन्स, प्यार और गुस्सा सब कुछ मिक्स होता था। लेकिन अब ऐसा लगता है जैसे सेंसर बोर्ड ने सिनेमा के ज़रिए सिर्फ संस्कार सिखाने का ठेका ले रक्खा है। लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर ये संस्कार हैं क्या?
अगर एक मासूम सा किस सीन हमारी संस्कृति के खिलाफ है, तो फिर वो 3 मिनट के बेडरूम मॉन्टाज कैसे सही हैं? और अगर रेटिंग्स एक जैसी हैं तो ये डबल स्टैंडर्ड क्यों।
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— Superman (@Superman) July 14, 2025
तो क्या है अंतिम निष्कर्ष?
सेंसर बोर्ड का लॉजिक समझ से बाहर है सुपरमैन का किस कट करना और बॉलीवुड के ओवर द टॉप रोमांस को पास करना ये सब एक सवाल उठाता है की क्या हमारा सेंसर बोर्ड सिनेमा को आर्ट की नजर से देखता है या सिर्फ संस्कार का चश्मा पहन लेता है। सुपरमैन को तो उड़ने दो, और अगर वो थोड़ा प्यार जता दे तो उसमें क्या बुराई है? सेंसर बोर्ड को चाहिए कि वो थोड़ा चिल करे और सिनेमा को सिनेमा की तरह ही देखे, आखिर प्यार तो प्यार है चाहे वो सुपरमैन का हो या बॉलीवुड का।
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