मैंने दर्जनों हॉरर कॉमेडी फिल्में देखी हैं और आज मैं बात कर रहा हूं एक नई कन्नड़ फिल्म ‘सु फ्रॉम सो’ की। यह फिल्म एक छोटे से गांव की कहानी है जहां हंसी और डर का मिश्रण इतना शानदार तरीके से किया गया है कि आप अंत इससे तक बंधे रहते हैं। डेब्यू डायरेक्टर जेपी थुमिनाड ने खुद लीड रोल भी निभाया है, और यह फिल्म लाइटर बुद्धा फिल्म्स के बैनर तले बनी है। अगर आप कन्नड़ सिनेमा के फैन हैं, तो यह आपके लिए एक ताजा हवा की तरह है, चलिए विस्तार से जानते हैं।
फिल्म की कहानी:
फिल्म की शुरुआत एक छोटे से तटीय कर्नाटक के गांव से होती है, जहां हर खुशी या दुख में लोग इकट्ठा होते हैं। यहां के रीति-रिवाज बड़े ही जोर-शोर से मनाए जाते हैं। मुख्य किरदार अशोका (जेपी थुमिनाड) एक लड़की से प्यार करता है, लेकिन जल्दी ही मुसीबतों में फंस जाता है।
गांव में रवि अन्ना (शनील गौतम) जैसा कैरेक्टर है, जो हर समस्या का हल निकालता है, वो इतना ताकतवर है कि कभी किसी से पिटा नहीं। लेकिन एक दिन सोमेश्वर की सुलोचना नाम की आत्मा गांव में आ जाती है और वो भी भूत बनकर! अब पूरा गांव इस भूत को भगाने की कोशिश करता है और इसी में हंसी मजाक की बाढ़ आ जाती है।
🎬 Movie Review: #SuFromSo (2025)
— Nithish KN (@Nithish_017) July 26, 2025
Language: Kannada
Genre: Horror Comedy
Cast: J.P. Thuminad, Raj B. Shetty, Shaneel Gautham, Deepak Rai Panaje, Prakash Thuminad, Mime Ramdas, Sandya Arekere & others
Runtime: 2 hrs 17 mins
Director: J.P. Thuminad
Plot Summary:
Ashoka (J.P.… pic.twitter.com/y3vdB4rVuQ
कहानी का असली ट्विस्ट क्या है, वो फिल्म देखकर ही पता चलेगा, क्योंकि स्पॉइलर नहीं दूंगा। फिल्म की लंबाई 137 मिनट है, और हर पल आपको बांधे रखती है, मेरे अनुभव से कहूं तो यह कहानी पुरानी हॉरर कॉमेडी फिल्मों से अलग है, क्योंकि यहां कॉमेडी प्राकृतिक तरीके से आती है, जबरदस्ती नहीं ठुसी गयी।
अभिनय:
अभिनय की बात करें तो जेपी थुमिनाड ने डायरेक्टर होने के साथ-साथ लीड रोल में कमाल किया है। उनका किरदार अशोका इतना मजेदार है कि आप हंसते हंसते लोटपोट हो जाते हैं। शनील गौतम रवि अन्ना के रोल में चमकते हैं उनका कॉमिक टाइमिंग लाजवाब है।
प्रकाश थुमिनाड और दीपक राय पनजे जैसे कलाकारों ने भी ऊर्जा भरी है, जो फिल्म को जीवंत बनाती है। राज बी शेट्टी का कैमियो रोल पैरोडी स्टाइल में है, जो बड़ा मजेदार है। लेकिन फिल्म का हाईलाइट है संध्या अरकेरे का रोल, वो एक महिला के संघर्ष को इतनी गहराई से दिखाती हैं कि आप इमोशनल हो जाते हैं।
फिल्म में ज्यादातर पुरुष किरदार हैं, लेकिन अंत में यह महिलाओं के खिलाफ पितृसत्ता पर जोरदार प्रहार करती है। मेरी विशेषज्ञ राय में, यह अभिनय इतना बढ़िया है कि फिल्म को सिर्फ कॉमेडी नहीं, बल्कि एक संदेश वाली कहानी बनाता है।

संगीत और सिनेमेटोग्राफी:
संगीत इस फिल्म का दिल है। कंपोजर सुमेध के और संदीप तुलसीदास ने बैकग्राउंड म्यूजिक इतना शानदार बनाया है कि हर मूड को ऊंचा उठाता है। गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं, और भावनाओं को छूते हैं। एस चंद्रशेखरन की सिनेमेटोग्राफी गांव की खूबसूरती को इतनी अच्छी तरह कैद करती है कि आप खुद वहां होने का अहसास करते हैं।
शुरुआत में एक जंपस्केयर और मौत की खबर से फिल्म शुरू होती है, जो आपको तुरंत पकड़ लेती है। मेरे अनुभव से कन्नड़ फिल्मों में संगीत अक्सर कमजोर पड़ जाता है, लेकिन यहां यह मजबूत कड़ी है।
निर्देशन और संदेश:
जेपी थुमिनाड का निर्देशन डेब्यू होने के बावजूद परिपक्व है। उन्होंने हर सीन में हास्य डाला है, लेकिन कहानी कभी पटरी से नहीं उतरती। फिल्म हॉरर कॉमेडी है, लेकिन अंत में भावुक मोड़ लेती है जहां गांव की बाहरी सुंदरता के पीछे छिपी गंदगी, यानी महिलाओं पर पुरुषों का दबाव उजागर होता है।
यह बदलाव इतना सहज है कि आपको भारी नहीं लगता। फिल्म एक बड़े दिल वाली कहानी के साथ खत्म होती है और संदेश देती है कि महिलाओं को अपनी आवाज उठाने का हक है। मेरी राय में यह फिल्म कन्नड़ सिनेमा में एक नया मानक स्थापित करती है, क्योंकि यहां कॉमेडी के साथ सामाजिक मुद्दा जुड़ा है।
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर, ‘सु फ्रॉम सो’ एक ऐसी फिल्म है जो हंसाती है, डराती है, अगर आप हॉरर कॉमेडी पसंद करते हैं, तो इसे जरूर देखें। मेरे जैसे फिल्म समीक्षक के नजरिए से, यह 100 प्रतिशत मनोरंजक है, और कन्नड़ सिनेमा के लिए गर्व की बात है। फिल्मीड्रिप रेटिंग: 4/5
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