Stolen movie review hindi: बॉलीवुड में कुछ ऐसे निर्देशक है जो थोड़ा हटके फिल्म बनाते है।यह अपनी फिल्मों को बड़े बजट में ना बनाकर,बल्कि एक छोटे से बजट में तैयार कर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, पहले इसे फिल्म फेस्टिवल में दिखाते हैं।
उसके बाद वह इन फिल्मों को भारत में रिलीज करते हैं। प्राइम वीडियो के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कुछ इसी तरह की एक फिल्म को 4 जून 2025 से रिलीज कर दिया गया है इसका नाम है स्टोलेन जिसका मतलब है चुराया गया या चोरी हुआ।
स्टोलेन का निर्देशन किया है करण तेजपाल ने और कलाकारों की बात की जाए तो अभिषेक बनर्जी,शुभम वर्धन,मिया मेलज़र यहां मुख्य भूमिका में दिखाई दे रहे हैं।
कहानी:
हमारी जिंदगी में कई बार कुछ ऐसे पल आते है जब हम चाहते हैं किसी गरीब की मदद करना पर मदद करने के बाद यह एहसास होता है, कि मैंने इसकी मदद करके कहीं कुछ गलत तो नहीं कर दिया। उदाहरण के तौर पर किसी के बारे में अच्छा सोचो तो वह चीज बुराई में ले ली जाती है।

था कहानी दो भाइयों की दिखाई गई है अभिषेक बनर्जी और इसका छोटा भाई।अभिषेक बनर्जी अपने भाई को लेने के लिए रेलवे स्टेशन जाता है रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद अभिषेक बनर्जी को पता चलता है कि वहां पर एक गरीब औरत की एक छोटी बच्ची चोरी हो गई है।
अब पुलिस के साथ वह औरत भी अभिषेक बनर्जी और उसके छोटे भाई पर यह इल्जाम लगा देते हैं कि मेरी बच्ची को इन्हीं लोगों ने चुराया है। पर इन लोगों ने उस छोटी बच्ची को नहीं चुराया है ये दोनो पूरी तरह से निर्दोष है। निर्दोष होने के बाद भी पुलिस से पूरी तरह से सपोर्ट ना मिलने की वजह से अभिषेक और उसका भाई जिस तरह से फिल्म के अंत तक इस बच्ची को ढूंढने के लिए इंगेज हो जाते हैं गौतम बंसल और रमन बंसल को यह नहीं पता होता कि यह बच्चा ढूंढने की यात्रा एक खौफनाक रूप में उनके सामने पेश होने वाली है।
परेशानी तब आती है जब गांव वालों के बीच यह अफवाह फैलती है कि गौतम बंसल रमन बंसल और वह औरत जिसका की बच्चा खोया है यही तीनों बच्चा चोर है और यही तीनों बच्चा चोरी करके भागे हैं।धीरे-धीरे वह इस हद तक इसमें डूब जाते हैं कि उनकी लाइफस्टाइल से लेकर टाइम सब कुछ तबाह हो जाता है।अब इन तीनों को बच्चा ढूंढने के साथ-साथ अपनी जान भी बचाना है।
#NowWatching: #Stolen (Prime Original).
— BINGED (@Binged_) June 3, 2025
High expectations — hope it lives up. pic.twitter.com/qieiqHEEE1
अभिषेक बनर्जी की एक्टिंग:
फिल्म में अंत के क्लाइमेक्स में अभिषेक बनर्जी की एक्टिंग बहुत ही शानदार है इस तरह की एक्टिंग शायद ही,अभिषेक बैनर्जी ने अपनी पिछली फिल्मों में की हो,अभिषेक बैनर्जी ग्राउंड लेवल से उभरे हुए एक एक्टर है,और उनकी एक्टिंग में भी वह ग्राउंड लेवल वाली फील आती है।
फिल्म के एक दृश्य में अभिषेक बनर्जी अपने भाई को लेकर गाड़ी में कहीं जा रहे हैं।वहीं कुछ गुंडे बाइक से इनका पीछा कर रहे हैं इस सीन में किसी भी तरह का वीएफएक्स सीजीआई का इस्तेमाल नहीं किया गया ।यहां जिस तरह से कैमरा एंगल पर वर्क किया गया और अभिषेक बनर्जी ने जिस तरह से यहां पर परफॉर्म किया है वह देखने में लाजवाब है।
फिल्म के पॉजिटिव प्वाइंट
कहानी तो बहुत सिंपल है पर स्क्रीन प्ले के माध्यम से इसे इतना इंगेजिंग बनाया गया है। जिससे दर्शक शुरू से लेकर अंत तक कहानी से पूरी तरह से जुड़े रहते हैं। फिल्म पूरी तरह से फास्ट वे में चलती है ये कहीं भी स्लो नहीं होती यह रोमांच से भरी हुई फिल्म दर्शकों को पूरी तरह से इंगेज करके रखती है।
बच्चे के खोने से पहले और उसे ढूंढने तक जो भी इन्हें संघर्ष करना पड़ते हैं उसे जिस तरह से रोमांच के साथ पेश किया गया है वह देखकर लगता है कि यहां पर डायरेक्टर ने खूब मेहनत की होगी।
फिल्म के अंदर बहुत से ऐसे सीन है जो आपकी सांसों को रोक सकते हैं जिस तरह से इन तीनों की कार पर हथियारबंद गांव वालों का हमला होता है। उस सीन को देखकर ऐसा महसूस होता है कि इनकी कार में हम भी सवार हैं। कहानी में कहीं पर भी ये नहीं दिखाया गया,कि यह भारत के किस एरिये की है पर एक अनुमान के मुताबिक इसे देखकर ऐसा लगता है कि यह हरियाणा या राजस्थान हो सकता है।
नेगेटिव पॉइंट
नेगेटिव पॉइंट की बात की जाए तो क्लाइमैक्स थोड़ा वीक है फिल्म देखते समय ऐसा लगता है कि इसे काफी जल्दबाजी में बनाकर खत्म किया गया है। 10 से 15 मिनट लेकर, और अच्छे से क्लाइमेक्स को थोड़ा और बढ़ाना चाहिए था। यहां हर चीज तेजी के साथ नहीं चलती हर एक सीन को रियल तरीके से पेश किया जाता है जो शायद कुछ दर्शकों को अच्छा ना लगे।
टेक्निकल
फिल्म में साउंड डिजाइन एक मजबूत पिलर का काम करता है कैमरा वर्क की जितनी भी तारीफ की जाए वहां कम है। प्रोडक्शन वैल्यू भी ठीक-ठाक है सिनेमैटोग्राफी एकदम रियल जैसी फील देती है। फिल्म का बजट कम है तब टेक्निकल एक्सपेक्ट में इससे बहुत ज्यादा तो उम्मीदें नहीं की जा सकती ।
निष्कर्ष
अगर आप एक मास्टर पीस अच्छी फिल्म देखना चाहते हैं तो यह फिल्म डिजर्व करती है। यह मास मसाला एंटरटेनमेंट फिल्म नहीं है न ही उस तरह की ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनाई गई है फिल्म में किसी भी तरह की न्यूड सीन या वल्गैरिटी को नहीं दर्शाया गया,मेरी तरफ से इसको दिए जाते हैं पांच में से 3 स्टार की रेटिंग।
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