SRIKANTH trailar review HINDI:10 मई को राजकुमार राव की एक फिल्म आरही है जिसका नाम है श्रीकांत इस फिल्म की सबसे दिलचस्प बात ये है के इसमें पहली बार राजकुमार राव एक अंधे का किरदार करते हुए नज़र आने वाले है। ये फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है और फिल्म का निर्माण सांड की आंख जैसी फिल्म बनाने वाले तुषार हीरा नंदनी ने किया है इस ट्रेलर की खासियत आईये जानते है ।
आप अपनी मेहनत और डेडिकेशन से क्या नहीं कर सकते है वो इस फिल्म में आपको देखने को मिलने वाला है। अगर कास्टिंग की बात की जाये तो राजकुमार के अलावा शायद ही और कोई इस रोल को कर पता राजकुमार इस फिल्म के लिए एक दम परफेक्ट कास्टिंग है।
राजकुमार राओ ने अपने इंस्टाग्राम पर एक विडिओ शेयर किया था जिसमें वो ओरिजनल श्रीकांत के साथ बाते कर रहे है और उनकी बातो को देख कर ऐसा लग ही नहीं रहा था के वो श्रीकांत की तरह ही देख नहीं सकते है
राजकुमार राव ने इस रोल के लिए बहुत मेहनत की है। राजकुमार की डेडिकेशन हमें इस ट्रेलर में देखने को मिलती है।

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श्रीकांत ने अपनी असली ज़िंदगी में अंधे होने को कभी भी अपना नेगेटिव पॉइंट नहीं समझा क्या आप को पता है के श्रीकांत के 12 में 98 % मार्क आये थे हम इससे ही अंदाज़ा लगा सकते है के ये कितने टैलेंटेड थे।
श्रीकांत ने खुद की कम्पनी खोली और खुद के जैसे इम्प्लॉई भी रक्खे इनकी कम्पनी ने 150 करोड़ का टर्नओवर भी किया फोर्बंस मैगज़ीन में नाम भी आया
यहाँ से ही हम सोच सकते है के कितनी मुशिकिलो का सामना करना पड़ा होगा श्रीकांत को यहाँ तक पहुंचने में।
ट्रेलर हमें कही से भी इस तरह की फीलिंग नहीं देता है के ये किसी अंधे इंसान की कहानी है ट्रेलर हमें पॉज़िटिव ऊर्जा से भर देता है श्रीकांत ने ये प्रूफ कर दिया है उन्होंने अपनी डिस अबिलटी को अबिलटी में बदल कर इस दुनिया को दिखाया है। ट्रेलर काफी लम्बा है पर आपको कही से भी फील नहीं होने वाला के ये ट्रेलर ३ मिनट 17 सेकंड का है।
श्रीकांत फिल्म में हमें अब्दुल कलाम को भी दिखाया जायेगा इससे पहले अब्दुल कलाम को इस तरह से किसी भी फिल्म में नहीं दिखाया गया है इसमें इनके कुछ डायलॉग भी सुनने को मिल रहे है।
बॉलीवुड में बायोग्राफिकल ड्रामा लोगो को पसंद आने लगा है पिछले साल और इस साल बहुत सी बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्मे रिलीज़ हुई है। इस वीक ही अजय देवगन की मैदान फिल्म रिलीज़ के लिए तैयार है जो की सय्यद अब्दुल रहीम जो की हिंदुस्तान के फुटबाल कोंच हुआ करते थे उनके ऊपर बनाई गयी है। इसी तर्ज पर श्रीकांत भी एक सच्ची कहानी से प्रेरित है।
श्रीकांत ने किस तरह अंधे होकर भी खड़ी कर दी करोडो की कम्पनी

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श्रीकांत का जन्म हैदरबाद के एक गरीब परिवार में हुआ था जब ये पैदा हुआ तो माँ और बाप को पता लगा के ये नेत्रहीन है तब पडोसो और रिश्तेदारों ने कहा के श्री को मार दो ये क्या करेगा जीकर पर इनके माँ बाप ने ऐसा नहीं किया जैसे तैसे गरीबी की हालत में श्रीकांत को पढ़ाया इनको स्कूल में बहुत दिक्कते आयी बच्चे मस्ती मज़ाक किया करते थे स्कूल में सबसे पीछे वाली सीट पर इनको बैठाया जाता था हर पल ये अहसास करवाया जाता था के आप अंधे हो श्रीकांत ने एक बात दिल में ठान ली थी के चाहे कुछ भी हो जाये वो ट्रेनों में भीक नहीं मानेगा।
इन्होने 10 में साइंस लेनी चाही पर उस टाइम नेत्रहीन लोग साइंस नहीं ले सकते थे बहुत मेहनत के बाद श्रीकांत देश के पहले नेत्रहीन सांइस स्टूडेंट बने
श्रीकांत पढ़ाई में इतने अच्छे थे के इनको अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में देखिला मिल गया ये भारत के पहले नेत्रहीन स्टूडेंट थे जिनको अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में दाखिला दिया गया था पढ़ाई पूरी करने के बाद ये वापस भारत आये और हैदरबाद में एक कमरे के रूम में पैकिंग कम्पनी खोली और उस बिज़नेस ने ऐसी रफ़्तार पकड़ी के आज इनके पास 4000 लोग काम कर रहे है करोडो का टर्न ओवर है।
श्रीकांत की कम्पनी में लगभग 70 % काम करने वाले लोग नेत्रहीन है।
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