Silence 2:ज़ी 5 लेकर आया है अपनी एक साइलेंस फिल्म जिसका साइलेंस पार्ट २ एक सस्पेंसन थिरलर और मर्डर मिस्ट्री फिल्म है ये अपने पार्ट वन की तरह ही है जो की एक ए रेटेड फिल्म है। ऐ रेटेड इस लिए है के इस फिल्म में गालिया बहुत दी गयी है। ये फिल्म बच्चो की समझ में नहीं आने वाली है इसलिए इस फिल्म से बच्चो को दूर ही रक्खे। फिल्म में अगर न्यूड सीन और एडल्ट सीन की बात की जाये तो वो जीरो है।
अगर हम साइलेंस फिल्म की स्टोरी की बात करते है तो एसीपी वर्मा और टीम को एक नया केस मिला है। जिसमे पहले पार्ट के जैसा ही इस पार्ट में भी एक मर्डर होता हुआ दिखाया गया है। मनोज बाजपयी को इन्वेस्टीगेशन करके मर्डर करने वाले लोगो को पकड़ना होता है।
अगर आप बड़े बजट की फिल्मो के शौक़ीन है तो यहाँ आपको एक सिंपल सेटअप देखने को मिलने वाला है। आपको ऐसा लगेगा आप टीवी पर एक प्रोग्राम देख रहे हो। ऐसा लगता है के आप दो बरस पुरानी कोई फिल्म देख रहे है। आपको सीआईडी और क्राइम पट्रोल जैसी फीलिंग आती दिखाई देती है। फिल्म देखते समय आपको ऐसा कही पर भी फील नहीं होता है के आप कहे के वह क्या सीन देखने को मिला है ऐसा सीन तो पहले कभी देखा ही नहीं।
जिस टॉपिक को फिल्म में दिखाया गया है उस टॉपिक को बहुत ज़ादा स्ट्रांग दिखाया जा सकता है फिल्म को देख कर ऐसा लगता है के जैसे किसी फिल्म को ए रेटेड फिल्म बनाई जाए और ए रेटेड फिल्म बन ही ना पाए अगर बना ले जाते तो ये फिल्म लोगो के इमोशन से अच्छे से खेलती। और आप इस फिल्म से कनेक्ट भी कर लेते हलाकि इस फिल्म के लास्ट के दस मिनट जिसको देख कर आपको लगता है के अब मेरे टाइम का सही इस्तेमाल हुआ है। क्युकी वही पर पूरी फिल्म का सस्पेंस खुलता है।
फिल्म को देख कर ऐसा लगता है के डायरेक्टर सीआईडी और क्राइम पट्रोल का कोई ढाई घंटे का एपिसोड बना दिया गया है।
काम चालु है फिल्म का रिव्यु
काम चालू है में राजपाल यादव का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। जिसे देख कर आपको लगेगा का राजपाल यादव इससे पहले इस रोल में क्यों नज़र नहीं आये थे कहा उन्होंने अपने टैलेंट को छिपा कर रक्खा था। फिल्म में दिखाया गया है के कैसे एक बाप अपने सपनो को टूटता हुआ देखता है।
फिल्म में एक बाप की कहानी को दिखाया गया है एक बाप की कहानी को एक दम सरल तरीके से इस फिल्म में दिखाया गया है। राजपाल यादव ने अपनी ज़िंदगी का सबसे बढ़िया किरदार इस फिल्म में निभाया है।
राजपाल की बेटी का मर जाना इस तरह से दिखाया गया है जिसे देख कर कई बार आपकी आँखों में आंसू आने वाले है। ये फिल्म एक घंटा बाइस मिनट की है जो की सच्ची घटना पर आधारित है। महारष्ट्र के सांगली में एक इंसान पर बनाई गयी फिल्म जो की अपनी बेटी को क्रिकेटर बनाना चाहता था उसकी बायोपिक है फिल्म की स्टोरी बहुत छोटी दिखाई गयी है ये फिल्म अपनी ग्रिप को शुरवात से ही पकड़ लेती है। ये फिल्म आपको शुरवात से आखिर तक बांधे रखती है। फिल्म की शुरवात में फिल्म के प्लाट को बिल्ड करने में थोड़ा टाइम लग गया था।
फिल्म के शुरू के आधे घंटे तक यही इंतज़ार करना पड़ता है के कब वो दर्शय आएगा जब आप फिल्म के मेन कहानी से जुड़ पायेगें। फिल्म में राजपाल के आगे सभी कैरेक्टर एक दम फीके नज़र आते हुए दिखाई देते है। ऐसा कह ले के इस फिल्म को एकेले राजपाल यादव ही अपने कंधो पर ढो कर चलते है।
इस फिल्म में किसी भी तरह के कोई एडल्ट सीन नहीं है न ही किस या न्यूड सीन आपको देखने को मिलेंगे इसलिए इस फिल्म को आप अपनी फैमिली के साथ बैठ कर देख सकते है।