Sikandar Movie reivew hindi:आज सिकंदर को दुनिया भर के सिनेमा घरों में रिलीज़ कर दिया गया है अब,सलमान खान के फैन के बीच एक जिज्ञासा-सी बनी हुई है कि आखिर ये फिल्म कैसी है , क्योंकि सिकंदर के साथ नाम जुड़ा हुआ है ‘ए.आर. मुरुगदॉस‘ का और प्रोड्यूसर साजिद नाडियाडवाला का।
यह दोनों ही किसी फिल्म में यूँ ही हाथ नहीं डालते। सिकंदर की कहानी ए.आर. मुरुगदॉस के द्वारा ही लिखी गयी है। यहाँ मुख्य कलाकार के रूप में हमें देखने को मिलते हैं सलमान खान, रश्मिका मंदाना, सत्यराज, प्रतीक बब्बर, काजल अग्रवाल, शरमन जोशी। आइये करते हैं सलमान खान की सिकंदर का पूरा रिव्यू।
कहानी
हम सब ने अपनी ज़िंदगी में कभी न कभी दादी-नानी से राजा की कहानी तो ज़रूर सुनी होगी, जहाँ राजा होता था,सोने का ताज पहने, उसका दरबार, ढेर सारे घोड़े, हाथी, राजा की सेना। सिकंदर में भी एक राजा की कहानी है, पर ये राजा हमारी कहानी वाले राजा से थोड़ा अलग है। इस राजा ने रियासतें तो नहीं जीती हैं, पर इसने जो जीता है वह लोगों का दिल है और यह सिकंदर दिल से राजा है।
फिल्म में सलमान खान की एंट्री सीन से ही धमाका लाने वाला है, जिसे देखकर सलमान का “वांटेड” अवतार एक बार फिर से याद आता है। और जब किसी फिल्म का शुरुआती सीन सीटी और ताली मार हो, तब दर्शक के अंदर उत्सुकता पैदा होती है कि आगे अब कुछ अविश्वसनीय देखने को मिलेगा।
कहानी अपने असली रंग में तब आती है जब सलमान खान मुंबई जाता है कमरुद्दीन से मिलने। अब यह कमरुद्दीन कौन है, फिल्म देखकर ही पता लगाना होगा। सिकंदर की कहानी के बारे में ज़्यादा बताया जाए तो फिल्म देखने का मज़ा खराब हो सकता है, पर एक बात जान लें कि यह फिल्म सलमान खान की पिछली फिल्मों के मुकाबले काफी अच्छी है, जो हमारा पूरा पैसा वसूल करने वाली है।

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मुख्य पात्र का परिचय
सलमान खान की इस तरह की एक्टिंग काफी समय के बाद देखने को मिली है और जिस तरह से सलमान का यहाँ प्रदर्शन देखने को मिलता है,वह उनकी पुरानी फिल्मों की याद दिला रहा है। सलमान संजय रजपूत की भूमिका में हैं,इनकी दादी ने इनका नाम सिकंदर दिया था।
प्रतीक बब्बर सत्यराज के बेटे की भूमिका में हैं,जो विलन के रूप में है। रश्मिका मंदाना सलमान खान की पत्नी के किरदार में हैं। जिन लोगों को ऐसा लग रहा था कि रश्मिका का रोल उतना अच्छा नहीं रहने वाला, पर यहाँ रश्मिका कुछ अलग किरदार में नज़र आने वाली हैं।
संघर्ष की शुरुआत
सलमान खान के संघर्ष की शुरुआत होती है प्रतीक बब्बर से, जब शुरुआत में सलमान प्रतीक को किसी बात को लेकर पीट देता है। और प्रतीक बब्बर, जो कि होम मिनिस्टर का लड़का है, वह इसके पीछे पड़ जाता है।अब यह नॉर्मल दुश्मनी किस तरह से खूनी खेल में बदलती है, यही कहानी के दूसरे हिस्से में देखने को मिलता है।
बदले की आग
होम मिनिस्टर के बदले की आग इस कदर क्रूर हो जाती है,जिसका अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता। यह बदले की आग सलमान खान को मौत के घाट उतारने में अपनी पूरी फौज उतार देता है।
मुख्य अभिनेता की परफॉरमेंस
सलमान खान का अभिनय और रश्मिका मंदाना का रोल काफी शानदार है। बाकी शरमन जोशी और जो साइड कलाकार हैं, सभी ने अच्छी एक्टिंग की है।
इमोशनली सीन
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि सिकंदर में सिर्फ एक्शन ही देखने को मिलता है। यहाँ कई सीन ऐसे हैं जो काफी भावनात्मक हैं, जो अक्सर साउथ फिल्मों में देखने को मिलते है। कुछ सीन ऐसे भी दर्शाए गए हैं, जिन्हें देख आँखें नम होती हैं।
एक्शन सीक्वेंस
शुरुआती एक्शन सीन के 20 मिनट के बाद एक और एक्शन सीक्वेंस है, जब मिनिस्टर के गुंडे सलमान खान को मारने के लिए इसकी खदान पर आते हैं। यह एक्शन ओवर-द-टॉप है। जिस तरह से पीछे से बीजीएम बजता है, वो दर्शकों को पूरी तरह से पंप कर देता है। इस सीन को देख लगता है सलमान खान असल में फाइट सीन कर रहा है। इसके बाद एक खदान वाला सीन है, यह सीन भी धमाकेदार है। इस सीन में एक ऐसा ट्विस्ट छिपा होता है, जिसे देखकर अगर आप अपनी पत्नी से प्यार करते हैं तो रो देंगे।
सेट डिज़ाइन और प्रोडक्शन वैल्यू
फिल्म के ज़्यादातर सीन रियल लोकेशन पर ही शूट किये गए हैं, जिसकी सिनेमैटोग्राफी काफी बढ़िया है। यहाँ कैमरा वर्क, लाइटिंग, कलर पैलेट और फ्रेमिंग जैसी टेक्निकल चीज़ों पर बहुत अच्छे से ध्यान दिया गया है।प्रोडक्शन वैल्यू हाई है जहा किसी भी तरह की कोई कमी नहीं हुई है।
एडिटिंग और लेंथ
सिकंदर के पहले भाग को थोड़ा और छोटा करके इसकी लेंथ कम की जा सकती थी।हर सीन को अच्छे से कट किया गया है।सिकंदर में जंप कट्स, मैच कट्स, फेड्स का अच्छे से इस्तेमाल हुआ है। भावनात्मक सीन में बैकग्राउंड बीजीएम डालकर कम टाइम में अच्छे से कट किए गए हैं।
बैकग्राउंड स्कोर
बीजीएम का सफर सिकंदर के पहले सीन से ही शुरू हो जाता है, जहाँ बीजीएम की मदद से सीन को और भी प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया है। एक अच्छा बीजीएम वही होता है, जो रोमांच से भर दे और कानों को परेशान न करे,ऐसा ही बीजीएम सिकंदर में सुनने को मिलता है।
समीक्षक के नज़रिए से फिल्म के बारे में मेरी राय
हम सभी ने साउथ की बहुत-सी फिल्में देखी हैं, जहाँ कट-टू-कट एक सीन के बाद दूसरा सीन शुरू हो जाता है। वैसा ही कुछ सिकंदर में भी देखने को मिलता है, जहाँ कभी सलमान राजकोट, तो कभी मुंबई, कभी ट्रेन, तो कभी टैक्सी, हॉस्पिटल, सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी में हो रहा है, जिसे एक खराब स्क्रीनप्ले बोला जा सकता है।
इस तरह का किरदार सलमान खान पर बिल्कुल भी फिट नहीं बैठ रहा। अगर यह फिल्म आज से दस साल पहले आती, तो शायद कुछ करिश्मा कर सकती थी।
फिल्म में प्री-क्लाइमेक्स तो दिखा दिया गया, पर क्लाइमेक्स गायब है।एक्शन आउटडेटेड है, जो पहले कभी हुआ करते थे। सलमान खान को देखकर लगता है कि अब सलमान का मन ही नहीं करता एक्टिंग करने का , अब वो एक्टिंग करते हैं तो सिर्फ अपने फैन के लिए।
वीएफएक्स के ज़रिए कभी सलमान को फिट दिखाया है, तो कभी खराब वीएफएक्स की वजह से वो मोटे दिखाई पड़ते हैं।
सिकंदर के सभी गाने अच्छे हैं। कहानी साधारण है, अगर इमोशन न होते, तो शायद यहाँ कुछ भी देखने को नहीं था। सिकंदर की शूटिंग के समय सलमान बीमारी से जूझ रहे थे, वो साफ सिकंदर के सीन में देखने को मिलता है।
निष्कर्ष
ए.आर. मुरुगदॉस से जितनी उम्मीद थी, वो उन उम्मीदों पर खरे न उतर सके। सलमान खान की वजह से सिकंदर देखी जा सकती है।सलमान खान के फैन होने के नाते मुझे यह फिल्म काफी पसंद आयी पर समीक्षक के तौर पर निराश किया। सिकंदर ने रिलीज़ से पहले ही अपने बजट को रिकवर कर लिया है। फिल्म हिट रहेगी। मेरी तरफ से इसे दिए जाते हैं पाँच में से ढाई स्टार।
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