Riff Raff Movie Review in hindi: “रिफ रैफ” की कहानी शुरू होती है एक दिलचस्प सीन से, जहां एक टीनएजर लड़का डीजे (माइल्स जे.हार्वे) अपने स्टेपफादर विंसेंट (एड हैरिस) को बंदूक की नोक पर रखता है। फिर वॉयसओवर में डीजे हमें पीछे ले जाता है, बताता है कि वो तो बस डार्टमाउथ में फ्रेशमैन बनने वाला था, लेकिन फैमिली की मुसीबतों ने सब उलट पुलट कर दिया।
फिल्म की कहानी में विंसेंट एक एक्स कॉन्ट्रैक्टर है, जो अपनी पत्नी सैंडी (गैब्रिएल यूनियन) और स्टेपसन डीजे के साथ मेन के एक दूरदराज घर में खुशहाल जिंदगी जी रहा है। लेकिन अचानक उसका पुराना बेटा रोको (लुईस पुलमैन) अपनी प्रेग्नेंट गर्लफ्रेंड मरीना (एमैनुएला पोस्टाचिनी) और मां रूथ (जेनिफर कूलिज) के साथ आ धमकता है।
ये लोग एक ट्रेजेडी से भाग रहे हैं और पीछे पीछे दो गैंगस्टर्स लेफ्टी (बिल मरे) और लॉनी (पीट डेविडसन) उनकी तलाश में हैं। फिल्म फ्लैशबैक्स के जरिए सबकी बैकस्टोरी दिखाती है, जैसे रोको और मरीना की लव स्टोरी, डीजे का ब्रेकअप और विंसेंट का पास्ट।
ये सब सुनने में तो मजेदार लगता है, लेकिन असल में कहानी धीमी गति से चलती है और अंत तक पहुंचते-पहुंचते आप सोचते रह जाते हो कि आखिर हो क्या रहा है। डायरेक्टर डिटो मॉन्टिएल ने इसे क्राइम, कॉमेडी और फैमिली थ्रिलर का मिक्स बनाने की कोशिश की है लेकिन ये सब कुछ अधर में लटका रहता है।

स्टार कास्ट: बड़े नाम, लेकिन वेस्टेड टैलेंट
अब बात करते हैं कास्ट की, जो इस फिल्म का सबसे बड़ा हाईलाइट है या कहूं कि सबसे बड़ी निराशा? एड हैरिस जैसे दिग्गज एक्टर को देखकर लगता है कि वो कोई पावरफुल रोल में होंगे, लेकिन उनका कैरेक्टर बस एक सख्त पिता का लगता है, जो हम सब पहले भी कई बार देख चुके हैं।
जेनिफर कूलिज अपनी कॉमिक टाइमिंग से हंसाती हैं, खासकर उनकी वल्गर डायलॉग्स और ओवरसेक्स्ड पर्सनैलिटी से, लेकिन वो भी बस एक ही नोट पर अटकी रहती हैं ड्रंक और फनी।
बिल मरे का गैंगस्टर रोल डेडपैन ह्यूमर के साथ आता है, लेकिन वो भी कुछ नया नहीं लाते। पीट डेविडसन एनॉयिंग साइडकिक हैं, गैब्रिएल यूनियन एक स्ट्रेट फेस्ड मां और लुईस पुलमैन बद बॉय टाइप। न्यूकमर माइल्स जे.हार्वे डीजे के रोल में क्यूट लगते हैं और उनका नैरेशन फिल्म को थोड़ी डेप्थ देता है।
लेकिन कुल मिलाकर ये सारे स्टार्स ऐसे लगते हैं जैसे पुराने रोल्स को दोहरा रहे हों इनमे कोई भी नयापन नहीं दिखाई देता हैं। इतनी अच्छी कास्ट होने के बावजूद स्क्रिप्ट उन्हें कुछ करने का मौका नहीं देती। मानो बस स्पेस भरने के लिए बुलाया गया हो!

डायरेक्शन और स्क्रिप्ट:
डिटो मॉन्टिएल, जो एक म्यूजीशियन और डायरेक्टर हैं,उन्होंने पहले “ए गाइड टू रिकग्नाइजिंग योर सेंट्स” जैसी फिल्म बनाई थी, जो काफी फ्रेश लगी थी। लेकिन यहां वो असमंजस में दिखते हैं।
स्क्रिप्ट जॉन पोलोनो ने लिखी है, जो मल्टी लेयर्ड लगती है लेकिन असल में पुरानी कहानियों का रीहैश है जैसे “गुडफेलास” या “नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन” से इंस्पायर्ड, लेकिन उनसे कोसों दूर।
फिल्म कॉमेडी और थ्रिलर के बीच झूलती रहती है। जोक्स आउट ऑफ प्लेस लगते हैं, सस्पेंस कमजोर है, और फ्लैशबैक्स की वजह से स्ट्रक्चर डिस्जॉइंटेड हो जाता है। होलीडे सीजन की सेटिंग का भी कोई फायदा नहीं उठाया गया मेन का बैकड्रॉप बस नाम का है।
टोन शिफ्ट्स इतने अचानक हैं कि आप कन्फ्यूज हो जाते हो कभी हंसना है, कभी सीरियस होना है और अंत में जो ट्विस्ट आता है, वो बहुत लेट होता है और वायलेंस अनअर्न्ड लगता है।
क्या ये फिल्म देखनी चाहिए?
“रिफ रैफ” 103 मिनट की है, लेकिन लगती है जैसे कभी खत्म ही नहीं होगी। ये एक ऐसी फिल्म है जहां पोटेंशियल तो बहुत था इसमें अच्छी कास्ट, इंट्रेस्टिंग प्रेमाइस हैं लेकिन एक्जीक्यूशन में कमी रह गई। अगर आप बिल मरे या जेनिफर कूलिज के फैन हैं, तो शायद एक बार देख लो, लेकिन उम्मीदें कम रखना। बाकी ये बस एक फॉरगेटेबल मूवी है, जो क्राइम कॉमेडी का मिक्सअप करने में फेल हो जाती है।
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