Raado Review hindi:राडो एक गुजराती फिल्म है जो की 2022 में रिलीज की गई थी। बहुत टाइम से सिनेमा से प्यार करने वाले लोगो को इस फिल्म की तलाश थी जो अब OTT पर रिलीज कर दी गई है। राडो 2 घंटे 14 मिनट की एक पॉलिटिकल थ्रिलर गुजराती फिल्म है। कृष्णदेव याग्निक ने इस फिल्म को लिखा और इसका निर्देशन भी किया है।
कहानी
फिल्म की कहानी में दिखाया गया है कि शहर में दंगा हो गया है अब ये दंगा किसने कराया है और इस दंगे से किस पार्टी को फायदा होने वाला है। इन्हीं सब बातों के बीच फिल्म की कहानी चलती रहती है।
राडो एक मास्टर पीस फिल्म कहीं जा सकती है,क्योंकि इस तरह की फिल्में हमारी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कम ही देखने को मिलती हैं। जो सच न होकर भी समाज की सच्चाई दिखा जाती है। कहीं ना कहीं इस तरह की फिल्में रियल लाइफ से इंस्पायर होती है। यही वजह है कि आप राडो फिल्म से पूरी तरह से जुड़ जाते हैं।
इस फिल्म से पहले गुजराती सिनेमा में इस तरह की फिल्में बनती नजर नहीं आई थी। राडो गुजराती फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक लैंडमार्क की तरह है। छोटे शहर की राजनीति के डार्क फेस को जिस तरह से फिल्म ने हमारे सामने दिखाया है वो अकल्पनीय है ।
फिल्म में दिखाए गए सभी दंगों को एकदम रियल सिचुएशन में डालकर दिखाया गया है। फिल्म को एकदम बैलेंस में लेकर चला गया है। फिल्म को देखकर आप जिस भी पार्टी का सपोर्ट करते होंगे आपको ऐसा बिलकुल भी नहीं लगेगा के सिर्फ एक पक्ष को ही सही ठहराया गया है ।
pic credit imdb
बजट
15 करोड़ के बजट में बनाई गई इस फिल्म की प्रेजेंटेशन कुछ इस तरह से की गई है के इन 15 करोड़ में जिस तरह से इस फिल्म को बिल्ड किया है। वह सच में काबिले तारीफ है राडो फिल्म अब तक की गुजराती फिल्म इंडस्ट्री की सबसे हाई बजट फिल्म है।
टेक्निकल
फिल्म को देखकर फिल्म के कैरेक्टर और कहानी में आप पूरी तरह से खो जाते हैं। कम समय में जितनी ज्यादा चीज़े हमें फिल्म में देखने को मिलती है। उन पर यकीन करना इतना आसान नहीं है। जिस तरह से एक्शन बम ब्लास्ट के सीन को फिल्म में शूट किया गया है,उनको देखकर रियलिस्टिक फीलिंग सी आती है।
फिल्म की सीजीआई कुछ इस तरह से की गयी है जिसे देखकर आपको लगता ही नहीं है कि इसमें किसी भी तरह का वीएफएक्स या सीजीआई का इस्तेमाल किया गया है। अगर यह फिल्म पेन इंडिया लेवल पर पूरे भारत में रिलीज़ की जाती तो शायद एक रिकॉर्ड ब्रेकिंग बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करके दिखा सकती थी।
pic credit imdb
अभी भी यह फिल्म सिर्फ गुजराती लैंग्वेज में ही ओटीटी पर उपलब्ध है। अभी तक इसकी हिंदी डबिंग नहीं आयी है और शायद ही अब इसकी हिंदी डबिंग आपको देखने को न मिले। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी ड्रोन शॉट जिस तरह से दंगो को कैप्चर करते हैं उसे देखकर आपको ऐसा लगेगा कि सब कुछ आपकी आंखों के सामने ही हो रहा है।
फिल्म की कलर ग्रेडिंग एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी है और बीजीएम भी ठीक-ठाक ही है। फिल्म के पहले 1 घंटे में यश सोनी को जिस तरह से प्रेजेंट किया गया जिस तरह से उनके डायलॉग डिलीवरी को दिखाया गया है वह लाजवाब है। यही एक वजह है के आप इनके कैरेक्टर से जुड़ाव महसूस करते है । फिल्म के दूसरे हिस्से में थोड़ी बहुत चीज उलट पुलट दिखाई गई है पर फिर भी जो भी है वह अच्छा है।
निर्देशन
फिल्म का डायरेक्शन बहुत अच्छे से किया गया है फिल्म की शुरुआत से ही डायरेक्टर साहब का विजन आपको देखने को मिलता है। हमें ऐसा लगता है कि शायद ‘राडू‘ फिल्म का बॉलीवुड में रीमेक मिक्स बनाया जाए। ठीक उसी तरह जिस तरह वश गुजराती फिल्म का बॉलीवुड में रीमेक किया गया था। क्योंकि वश और राडो फिल्म का निर्देशन कृष्णदेव याग्निक ने ही किया है।
video credit Panorama Studios
फिल्म के पॉजिटव पॉइंट
इस तरह की फिल्में गुजराती सिनेमा में हमें ज्यादा देखने को नहीं मिलती हैं यश सोनी ने जिस तरह से फिल्म को लीड किया है वह बहुत अच्छी तरह से किया है ।वश फिल्म वाले हितु कनोडिया ने भी फिल्म में बहुत अच्छा काम किया है हालांकि उनका बहुत ज्यादा फिल्म में रोल नहीं है पर जितना भी उन्होंने फिल्म में अपना रोल किया है वह दमदार किया है फिल्म में हितेन कुमार का भी काम अच्छा है।
ये मान के चले के फिल्म की पूरी की पूरी स्टार कास्ट ही अच्छी है। सेकंड हाफ लॉजिकली ठीक नहीं था पर उसको आप अपने हिसाब से फिक्स कर सकते हैं जिस तरह की फिल्म की स्टोरी थी उस तरह का फिल्म का बीजीएम नहीं था बीजीएम पर अगर थोड़ी और मेहनत कर ली जाती तो फिल्म और भी अट्रैक्टिव बन सकती थी।
निष्कर्ष
गुजराती फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह फिल्म एक मील के पत्थर के जैसी है ये उस की फिल्म है जो बनाते टाइम नहीं लगता के फिल्म इतनी अच्छी बनकर निकलेगी। हमारी तरफ से इस फिल्म को पांच में से तीन स्टार दिए जाते हैं अगर आप इस फिल्म को अपनी फैमिली के साथ बैठकर देखना चाहते हैं तो देख सकते हैं फिल्में वल्गैरिटी या एडल्ट सीन को नहीं दर्शाया गया है