Pepe movie review 2019:जिओ सिनेमा के ओटीटी प्लेटफार्म पर ‘कन्नड़’ इंडस्ट्री की तरफ से एक नई फिल्म रिलीज की गई है जिसका नाम पेपे है।
जोकि एक्शन थ्रिलर और गैंगस्टर ड्रामा कैटेगरी में आती है, जिसकी लेंथ 1 घंटा 30 मिनट की है, जिसका डायरेक्शन ‘श्रीलेश एस नायर’ ने किया है जिन्होंने इस फिल्म से ही अपने डायरेक्शनल करियर में डेब्यू किया है। फिल्म के स्टोरी दो गांव के कहानी पर बेस्ड है जिन में जाति धर्म जैसी चीज शामिल हैं।
कहानी- फिल्म की कहानी ऐसे दो गुटों के बीच विभाजित है जो की एक दूसरे के जानी दुश्मन है। जिसमे २ गांव दिखाए गए हैं जो की नदी के सहारे बटे हुए हैं और एक दूसरे से अलग है। फिल्म का लीड रोल ‘पेपे’ (विनय राजकुमार) ने निभाया है। जोकि एक यंग एंग्री मैन के रूप में पर्दे पर दिखाई देते हैं, और समाज के उस दलित तबके से आते हैं, जिसे लोग आज भी हीन भावना से देखते हैं और रिस्पेक्ट देना पसंद नहीं करते।
फिल्म की कहानी मैं रुतबे वाले लोग खनन माफिया का कारोबार चलाते हैं जिसमें वह दलित समुदाय के लोगों का शोषण करते हैं। अत्याचारों को सहने के बाद दलितों के बीच से ही एक मसीहा निकल कर सामने आता है जो गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाता है।
यह फिल्म हमे हमारे समाज के उस डार्क सच्चाई से रूबरू कराती है जिससे हम कभी मुंह नहीं मोड़ सकते। यह फिल्म नारी शक्ति को भी बढ़ चढ़कर उजागर करती है जिसका किरदार ‘काजल कुंदर’ ने निभाया है,जो की एक रसूखदार फैमिली से हैं जो महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ती हैं।
फिल्म की कहानी पुराने और नए समय की दोनों टाइम लाइन में चलती है जिसमें लगातार नए और पुराने सीन्स आते रहते हैं। फिल्म में भरपूर एक्शन दिखाया गया है जोकि कारगर साबित होता है या नहीं यह सब जानने के लिए आपको देखनी पड़ेगी या फिल्म।
pic credit imdb
खामियां- फिल्म की सबसे बड़ी कमी है इसके पटकथा है जो की लगातार लड़खड़ाती हुई सी दिखती है। मूवी के हीरो विनय राजकुमार की पिछली फिल्मों से यह फिल्म थोड़ी अलग है जिसके कारण वे इस इंटेंस किरदार में फिट नही बैठते।फिल्म में भरपूर एक्शन सीक्वेंस फिल्माए गए है जोकि कई बार बहुत ज्यादा फील होते है।
फाइनल वर्डिक्ट- अगर आपको एक्शन फिल्में देखना पसंद है जो कि किसी सामाजिक मुद्दे पर आधारित हो तो आप इस फिल्म को रिकमेंड कर सकते हैं। जिसकी स्टोरी साल 2019 में आई फिल्म आर्टिकल 15 जैसी लगती है जोकि आयुष्मान खुराना स्टारर है।फिल्म में उठाया गया मुद्दा काबिले तारीफ है इसकी जितनी भी सराहना की जाए उतनी कम है।
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