Nani court movie review hindi:कल रात विशाखापट्टनम के एक छोटे से गांव के सिनेमाघर में मैंने फिल्म “कोर्ट वर्सेज स्टेट ऑफ नोबडी” देखी। ये एक तेलुगु फिल्म है जिसे राम जगदीश ने डायरेक्ट किया है और इसे प्रोड्यूस नानी ने किया है। फिल्म में मेन रोल में प्रियदर्शी पुलिकोंडा और हर्ष रोशन दिखे हैं। साथ में बाकी कई एक्टर्स भी अपना जलवा दिखाते हैं। ये फिल्म खास तौर पर पास्को (POCSO) जैसे सीरियस लॉ पर बेस्ड है,जो इसे एक सेंसिटिव टॉपिक बनाता है। 2 घंटे 29 मिनट की ये फिल्म दर्शकों को एंटरटेनमेंट और मैसेज का कॉम्बो कितना दे पाई चलिए इस रिव्यू में देखते हैं।
कास्ट:
कलाकार: प्रियदर्शी,हर्ष रोशन,श्रीदेवी, शिवाजी,साई कुमार,हर्ष वर्धन
निर्देशक: राम जगदीश
फ़िल्म की लम्बाई: 2 घंटा 29 मिनट
कहाँ देखे: सिनेमाघर

कहानी:
फिल्म की स्टोरी दो मेन कैरेक्टर्स चंदू (हर्ष रोशन) और जबेली (श्रीदेवी) के आसपास घूमती है। शुरू में दोनों का प्यार उनकी मस्तियां और क्यूट हरकतें दिल जीत लेती हैं। इनके रोमांस में आप इतना खो जाते हो कि फिल्म का पहला हाफ मजे में निकल जाता है। हर्ष रोशन और श्रीदेवी की केमिस्ट्री स्क्रीन पर इतनी जबर लगती है कि थिएटर में कई लोग मुस्कुराते दिखे।
लेकिन स्टोरी में असली ट्विस्ट तब आता है जब सेकंड हाफ शुरू होता है। जबेली के बाप मंगपति (शिवाजी) जो इलाके के बड़े और रसूख वाले आदमी हैं,इनको अपनी बेटी और चंदू के रिलेशन का पता चलता है। ये बात उन्हें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती। गुस्से में वो चंदू पर पास्को एक्ट के तहत झूठा केस ठोक देते हैं। शिवाजी ने भले ही विलेन का रोल प्ले किया हो लेकिन उनकी स्क्रीन प्रेजेंस गजब की है। उनके एक्सप्रेशंस,गुस्सा,डर और पावर का घमंड इतना दमदार है कि थिएटर में लोग बोलते दिखे, “क्या कमाल का विलेन है यार”।

फिल्म का सेकंड हाफ लव और इमोशंस से हटकर पूरा कोर्ट रूम ड्रामा बन जाता है। यहां जूनियर लॉयर सूर्य तेज (प्रियदर्शी) चंदू को बेगुनाह साबित करने की जंग लड़ते हैं। प्रियदर्शी ने अपनी एक्टिंग से स्टोरी को सपोर्ट करने की कोशिश की है। लेकिन क्लाइमेक्स में उनकी परफॉर्मेंस वैसी नहीं लगी जैसी होनी चाहिए थी। दूसरी तरफ जबेली का अपने बाप से टकराव वाला सीन फिल्म का एक सॉलिड मोमेंट है। डायरेक्टर राम जगदीश ने इस फिल्म से पास्को जैसे सीरियस लॉ का मैसेज देने की कोशिश की है कि सिर्फ लॉ बनाना काफी नहीं,इसके गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए अवेयरनेस भी जरूरी है।
नेगेटिव पॉइंट्स:
प्रियदर्शी की कमजोर एक्टिंग:
चंदू के लॉयर सूर्य तेज के रोल में प्रियदर्शी ने मेहनत तो की है लेकिन क्लाइमेक्स में उन्हें जितना स्ट्रॉन्ग और कॉन्फिडेंट दिखना था वो वहां फीके पड़ गए। उनकी डायलॉग डिलीवरी स्टोरी की डिमांड तक नहीं पहुंच पाई।

इमोशनल टच की कमी:
फिल्म का एंड चंदू के फैसले पर टिका है लेकिन वहां इमोशंस की कमी खलती है। डायरेक्शन में ये खामी साफ दिखती है जिससे ऑडियंस का इमोशनल कनेक्शन कमजोर रहता है।
पॉजिटिव पॉइंट्स:
मंगपति के रोल में छा गए शिवाजी:
शिवाजी ने अपने नेगेटिव रोल को इतने जोश से निभाया कि हर सीन में वो छा जाते हैं। उनकी एक्टिंग फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है। जब भी वो स्क्रीन पर आते हैं,ऑडियंस की नजरें उन पर टिक जाती हैं।
पास्को जैसे सीरियस टॉपिक को उठाना:
ऐसे सेंसिटिव और कॉम्प्लेक्स लॉ पर फिल्म बनाना अपने आप में बड़ी बात है। डायरेक्टर ने इसे स्टोरी में अच्छे से फिट किया और सोसाइटी को एक जरूरी मैसेज देने की कोशिश की।
कमाल का सेकंड हाफ:
फिल्म की शुरुआत जहां लव और ड्रामे से भरी है, वहीं सेकंड हाफ कोर्ट रूम ड्रामा और थ्रिल के साथ ऑडियंस को बांधे रखता है। ये चेंज स्टोरी को नया टच देता है और आखिर तक एक्साइटमेंट बनाए रखता है।
टेक्निकल साइड:
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी ठीक ठाक से बेहतर है। गांव की सिंपल सिटी और कोर्ट की सीरियसनेस को कैमरे ने अच्छे से कैप्चर किया। बैकग्राउंड म्यूजिक स्टोरी के मूड को सेट करता है,खासकर सेकंड हाफ में। हां लेकिन एडिटिंग में थोड़ी और कटिंग हो सकती थी जिससे कुछ सीन और धांसू बन सकते थे।
निष्कर्ष:
अगर आपको कोर्ट ड्रामा और सोशल मैसेज वाली फिल्में पसंद हैं तो “कोर्ट वर्सेज स्टेट ऑफ नोबडी” आपके लिए अच्छी चॉइस हो सकती है। ये फिल्म हाल ही में थिएटर्स में तेलुगु में रिलीज हुई है। उम्मीद है कि कुछ हफ्तों बाद ये ओटीटी पर हिंदी में भी आएगी। भले ही फिल्म में कुछ कमियां हों लेकिन इसके कैरेक्टर्स की एक्टिंग और सीरियस टॉपिक इसे देखने लायक बनाते हैं। वैसे फैमिली के साथ देखने से पहले सोच लो क्योंकि पास्को जैसे टॉपिक की वजह से स्टोरी में कुछ ऐसी चीजें हैं जो फैमिली के साथ देखने में अजीब लग सकती हैं।
फिल्मीड्रिप रेटिंग : 3/5
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