Mazaka movie review 2025:तेलुगू सिनेमा की बेहतरीन फिल्म “मजाका” आज 26 फरवरी 2025 के दिन रिलीज हो चुकी है। इसकी चर्चाएँ दर्शकों के बीच जोरों-शोरों से चल रही हैं। फिल्म के मुख्य कलाकारों में ‘संदीप किशन‘ और ‘रितु वर्मा’ शामिल हैं, जिन्होंने इस बेहतरीन पारिवारिक कॉमेडी ड्रामा को अपनी फिल्म में जीवंत किया है।
इसका डायरेक्शन ‘त्रिनाध राव नक्कीना’ ने किया है। फिल्म के रिलीज होने के कुछ देर बाद ही ट्विटर पर इसके बारे में ढेर सारे ऑडियंस रिव्यूज सामने आने लगे हैं। इस आर्टिकल में हम उन सभी रिव्यूज के बारे में चर्चा करेंगे, जिसमें न केवल इसकी कमियाँ शामिल होंगी, बल्कि फिल्म की खूबियों के साथ-साथ यह दर्शकों को कितना मनोरंजन प्रदान कर पाती है, इस बारे में भी बात होगी।
मजाका का ट्विटर पर पहला इंप्रेशन:
फिल्म के रिलीज होने के बाद ही ट्विटर पर दर्शकों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ देना शुरू कर दिया है। कई यूजर्स इसे “हंसी का लड्डू” और “फैमिली एंटरटेनमेंट” बता रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसके स्क्रीनप्ले को दोष देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं, जिसमें सेकंड हाफ को काफी कमजोर बताया जा रहा है, जबकि फर्स्ट हाफ को फिल्म का मजबूत आधार माना जा रहा है। कुल मिलाकर, ये सभी रिव्यूज मिश्रित प्रकार के दिखाई दे रहे हैं।
क्या है मजाका की कहानी:
फिल्म की कहानी मुख्य रूप से एक पिता (राम रमेश) और बेटे (संदीप किशन) की जिंदगी पर आधारित है। इसमें दोनों एक ही समय पर शादी करने का मन बनाते हैं। फिल्म का कॉन्सेप्ट सुनने में जितना मजेदार लगता है, देखने में उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प है।
इसमें हंसी के भारी डोज के साथ-साथ ड्रामा और इमोशन भी दिखाई देते हैं। ट्विटर पर एक यूजर ने इसे “गुदगुदाने वाली फिल्म” का खिताब दिया, पर साथ ही यह भी कहा कि कहानी में थोड़ा और नयापन डालने की जरूरत थी।
ट्विटर पर पॉजिटिव बातें:
संदीप किशन का जादू:
ट्विटर पर संदीप किशन की एक्टिंग की काफी तारीफ हो रही है। एक यूजर ने लिखा कि संदीप ने अपने करियर की इस फिल्म में भी उतनी ही एनर्जी के साथ काम किया है, जितना अपनी पहली फिल्म में किया था। उनकी एक्टिंग हो या कॉमिक टाइमिंग, सब लाजवाब दिखती है।
राम रमेश फिल्म में छा गए:
फिल्म मजाका में राम रमेश ने संदीप के पिता का रोल निभाया है। उन्हें फिल्म का हीरो बताते हुए एक यूजर ने ट्वीट में लिखा “कि भले ही संदीप इस फिल्म के मुख्य हीरो हों, पर अपनी कॉमेडी और इमोशनल टच से राम ने फिल्म के हीरो को पीछे छोड़ दिया है”।
कॉमेडी का हेवी डोज:
फिल्म के पहले हाफ को लेकर एक यूजर ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की, जिसमें उसने बताया, “लव लेटर वाले सीन और इंटरवल ब्लॉक वाले सीन में हंसी नहीं रुकती” साथ ही इसे फैमिली के साथ भी इंजॉय किया जा सकता है।
कहाँ रह गई कमी:
जैसा कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और कोई भी फिल्म अच्छी होने के साथ-साथ कहीं न कहीं अपनी कुछ कड़ियों में कमजोर भी होती है, ठीक वैसा ही मजाका के साथ हुआ है। ट्विटर पर कई यूजर्स ने इसे बखूबी लिखा है:
स्लो स्क्रीनप्ले:
एक यूजर ने ट्वीट किया, “फिल्म की कहानी में नयापन नहीं झलकता। सेकंड हाफ को राइटिंग का जादू चलाकर थोड़ा और कसा जा सकता था।”
कमजोर म्यूजिक:
फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक को लेकर भी एक यूजर ने ट्वीट किया, जिसमें उसने बताया, “फिल्म में शामिल सभी गानों का म्यूजिक काफी फीका है, जिसमें बैकग्राउंड स्कोर भी शामिल है।”
लॉजिक से कोसों दूर:
कुछ दर्शकों ने तो यह भी लिखा कि “कॉमेडी के चक्कर में मेकर्स ने कहानी के लॉजिक पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।” देखने में मजा तो आता है, पर बिना दिमाग लगाए।
क्या मजाका आपका समय डिजर्व करती है:
अगर आप नॉर्मल ड्रामा फिल्में देखना पसंद करते हैं, जिसमें कुछ हंसी-मजाक के साथ लव स्टोरी का एंगल भी देखने को मिले, तो मजाका आपके लिए एक बेहतरीन ऑप्शन के रूप में सामने आती है। इसके ट्विटर रिव्यूज को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि फिल्म आपको हंसाएगी और गुदगुदाएगी।
हालांकि, यह अनुभव कुछ खास यादगार नहीं रहेगा, क्योंकि कहानी में लॉजिक की कमी है और स्टोरी आपको कुछ एक्स्ट्राऑर्डिनरी प्रदान नहीं करती। इसके चलते एक यूजर ने यह भी ट्वीट किया कि “मजाका एक अच्छा टाइमपास है, पर इसे थिएटर में रिलीज करने के बजाय ओटीटी पर रिलीज किया जाता, तो और भी बेहतर होता।