सोनीलिव के OTT प्लेटफॉर्म पर महारानी का सीजन 4 रिलीज किया जाना था, पर किन्हीं कारणों वश उस सीजन को रद्द करके मायासभा: द राइज़ ऑफ द टाइटन्स के पहले सीजन को रिलीज किया गया है। शो में कुल नौ एपिसोड देखने को मिलेंगे, सभी एपिसोड की लंबाई लगभग 30 से 53 मिनट के बीच की है। यह एक पॉलिटिकल थ्रिलर सीरीज है, जिसे एक वास्तविक घटना पर आधारित बताया जा रहा है।
शो का निर्देशन किया है देवा कट्टा और किरण जय कुमार ने, और इसे लिखा है देवा कट्टा ने। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसे हिंदी डबिंग के साथ पेश किया जा रहा है। इसके साथ ही तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ में भी यह शो देखा जा सकता है। यहां 1970 से 1990 के बीच की राजनीतिक कहानी देखने को मिलेगी। जो लोग आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखते होंगे, उन्हें यह शो पहले ही एपिसोड से समझ आ जाएगा कि इसे किसी राजनीतिक पार्टी के किस नेता के ऊपर रखकर बनाया गया है। वहीं, अगर दर्शक आंध्र प्रदेश के बाहर के राज्यों के हैं, तो उन्हें यह शो समझने में थोड़ा समय लग सकता है। आइए, जानते हैं अपने रिव्यू के माध्यम से कि क्या खास है यहां पर।
कहानी
यह कहानी बचपन के दो दोस्तों की दिखाई गई है, जिन्हें बचपन से ही समाज सेवा का शौक था। जहां एक दोस्त समाज के कुचले हुए, नीची जाति के लोगों के हक की लड़ाई लड़ता है, तो वहीं दूसरा दोस्त अपने आप द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ खड़ा दिखाई देता है। कहानी में इन दोनों की प्रेम कहानी को भी शामिल किया गया है। ट्विस्ट तब आता है, जब यह बड़े होकर दो अलग-अलग दलों में शामिल हो जाते हैं और बचपन के ये अच्छे दोस्त बड़े होकर एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं।
अगर आपको प्रकाश झा की फिल्में जैसे कि गंगाजल, अपहरण, राजनीति, चक्रव्यूह, सत्याग्रह जैसी फिल्में पसंद हैं, तो डेफिनेटली यह शो भी पसंद आने वाला होगा। यह पूरा का पूरा शो एन. चंद्रबाबू नायडू और वाईएस राजशेखर रेड्डी से प्रेरित है। शो के आगे भी बहुत सारे सीजन देखने को मिलेंगे। यही कारण रहा है कि इसकी कहानी को अभी पूरा नहीं किया गया है। क्लाइमेक्स देखने के बाद दर्शकों के मन में यह उत्साह डेफिनेटली आएगा कि सीजन 2 कैसा होगा और सीजन 2 का इंतजार भी रहेगा।
जिन लोगों को पॉलिटिकल थ्रिलर फिल्में देखना पसंद है, उनको तो यह शो पसंद आएगा ही, पर जिन्हें नहीं भी पसंद है, वे भी इस शो से पूरी तरह से शुरू से लेकर अंत तक जुड़े रहेंगे। 70 से लेकर 90 के दशक को यहां इस तरह से दिखाया गया है, जैसे लगता है कि टाइम मशीन के बिना ही 2025 में हम 90 के दशक में बैठे हों। 90 के दशक की बहुत सारी चीजें जैसे कि किसानों की हालत, ऊंच-नीच का भेदभाव, जातिवाद, किस तरह से सिर्फ एक जाति के लोग ही राजनीति में उच्च दर्जा प्राप्त किया करते थे, कॉलेज की पॉलिटिक्स से लेकर फीमेल कैरेक्टर की महत्व को भी दर्शाया गया है।
क्या खास है मायासभा: द राइज़ ऑफ द टाइटन्स
शो के डायरेक्टर देवा कट्टा ने जिस तरह से इसे प्रस्तुत किया है, वह काफी शानदार है। आज के समय में ऐसी बहुत कम फिल्में और वेब सीरीज दिखाई दे रही हैं, जिनसे जुड़ाव हो, पर इस शो से शुरू से लेकर अंत तक इस तरह का जुड़ाव हो जाता है कि सीजन 2 की उत्सुकता दिल में बनी रहती है। 90 के दशक की राजनीति में होने वाली समस्याएं, कैरेक्टरों के बीच की दिक्कतें, दर्शकों को प्रभावित करने का काम करती हैं।
जो लोग पॉलिटिक्स में अच्छे से शामिल हैं, उन्हें यह शो बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहिए। शो की कास्टिंग अच्छे से की गई है। बहुत सारे जबरदस्त एक्टर यहां देखने को मिलते हैं। इन सभी लोगों ने अपने किरदार को जीवंत किया है। इंदिरा गांधी के किरदार को भी पेश किया गया है, जिसको हीरा का नाम दिया गया है, पर इनका किरदार बेहद नकारात्मक तरीके से दिखाया गया है ताकि मुख्य एक्टरों को प्रभावी बनाया जा सके। अब देखना यह है कि इसके सेकंड सीजन में उन्हें उतना ही प्रभावी बनाकर दिखाया जाता है या नहीं। इंदिरा गांधी के समय में हुए आपातकाल और नसबंदी को भी शामिल किया गया है। कहानी कहीं प्यार बढ़ता है, तो कहीं यह अपनी रफ्तार बेहद धीमी कर लेता है।
निष्कर्ष
शो में किसी भी तरह के एडल्ट या न्यूड सीन का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जिससे आप इसे अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं। दूसरी चीज जो शो की अच्छी है, वह यह है कि इसे हिंदी डबिंग के साथ रिलीज किया गया है। मेरी तरफ से इस सीरीज को दिए जाते हैं पांच में से 3.5 की रेटिंग।
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