Mandala Murders on Netflix: नेटफ्लिक्स की दुनिया में इन दिनों भारतीय कंटेंट की बाढ़ आ गई है और (मंडला मर्डर्स) “Mandala Murders” उसी लहर का एक हिस्सा है। यह सीरीज साइंस, मिथोलॉजी और थ्रिलर को मिलाकर एक ऐसा कॉकटेल बनाती है, जो शुरू में तो आपका ध्यान खींच लेती है, लेकिन बाद में उलझा देती है। आइए इस सीरीज के बारे में बात करते हैं क्या ये वाकई देखने लायक है या नहीं।
कहानी:
सीरीज की कहानी 1952 से शुरू होती है जब उत्तर भारत के शहर चारंदासपुर में कुछ महिलाओं को “चुड़ैल” कहकर अलग थलग कर दिया जाता है। ये महिलाएं ‘आयस्थ मंडला’ नाम के एक रहस्यमय ग्रुप की सदस्य हैं, जो एक देवता ‘यस्त’ को जिंदा करने की कोशिश में इंसानों की बलि देने लगती हैं।
कहानी आगे बढ़ते बढ़ते वर्तमान में आती है, जहां दिल्ली पुलिस का सस्पेंड ऑफिसर विक्रम सिंह (वैभव राज गुप्ता) अपने गांव में लौटता है। यहां उसे एक खौफनाक हत्या का सामना करना पड़ता है,जोकि एक शव है जिसके अंगों को सर्जरी से जोड़ा गया है और माथे पर मंडला का निशान लगाया गया है।

इसके बाद एंट्री होती है सीआईबी ऑफिसर रिया थॉमस (वाणी कपूर) की, जो इस केस को सुलझाने आती है। कहानी में राजनीति, पुरानी रिवाजों और साइंस फिक्शन का मिक्स है। जैसे की वेब सीरीज में एक ऐसी मशीन दिखाई गयी है, जो इच्छाएं पूरी करने के बदले में अंगूठा काट लेती है,
ये सीन तो वाकई डरावने हैं लेकिन साथ ही हंसी भी आती है कि क्या भला सच में ऐसी चीज़ें हो सकती हैं? कुल मिलाकर कहानी कई दशकों को स्पैन करती है और आपको बांधे रखती है लेकिन बीच बीच में ये इतनी उलझी हुई लगती है कि आप सोचने लगते हैं “अरे, ये क्या हो रहा है?”
हर एक रोल में जान है, लेकिन सबको न्याय नहीं मिला
अब बात करते हैं “Mandala Murders” के किरदारों की तो, वाणी कपूर इस सीरीज से ओटीटी डेब्यू कर रही हैं, और उनका काम ठीक ठाक है, वो रिया थॉमस के रोल में एक स्ट्रॉन्ग महिला पुलिस ऑफिसर लगती हैं, जो अपने अतीत के घावों से जूझ रही है,
लेकिन कभी कभी उनका एक्सप्रेशन ऐसा लगता है जैसे वो एक ग्लैमरस फिल्म से यहां आ गई हैं, यह ऑडिएंस को थोड़ा डिस्कनेक्टेड कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ वैभव राज गुप्ता हैं जोकि एक स्टैंडआउट परफॉर्मर हैं। वो विक्रम सिंह के रोल में इतने नैचुरल लगते हैं कि आप उनके दर्द को महसूस कर सकते हैं। उनकी बैकस्टोरी जिसमे मां की गुमशुदगी और भाई की मौत जैसे तथ्य सीरीज को और भी ज़्यादा इमोशनल डेप्थ देती है।

Mandala Murders सीरीज़ में सुरवीन चावला एक राजनीतिक फिगर के रोल में नजर आती हैं और उनका काम लेयर्ड है, लेकिन उनका किरदार थोड़ा अधूरा रह जाता है। श्रिया पिलगांवकर अपने अतीत में कमाल करती हैं, खासकर रूक्मिणी के रूप में।
सीरीज़ में रघुबीर यादव भी शामिल हैं, हाँ वही जिन्हे अब पूरा भारत पंचायत वेब सीरीज़ वाले प्रधान जी के नाम से जानता है , वो तो ऐसे हैं जैसे हमेशा की तरह मजा कर रहे हैं, उनका रोल सीरीज का हाइलाइट है। कुल मिलाकर हर किरदार का अपना बैकस्टोरी है, जो अच्छा है लेकिन लेखक इतनी सारी कहानियों को एक साथ संभाल नहीं पाते, जिससे कुछ किरदार बस यूजलेस लगने लगते हैं, जैसे कुछ गैंगस्टर भाई जो आते हैं और चले जाते हैं बिना कोई असर छोड़े।
सीरीज की हाइलाइट्स: क्या अच्छा है और क्या नहीं
सीरीज की सबसे बड़ी ताकत इसमें दिखाया गया गांव का डरावना और रहसयमई माहौल है,जिसमे चारंदासपुर का धूल भरा शहर, जंगल की डरावनी साउंड्स और बैकग्राउंड म्यूजिक ये सब मिलकर आपको स्क्रीन से चिपका देते हैं। काहनी में मिथोलॉजी और साइंस का ब्लेंड इंट्रेस्टिंग है,
Mandala Murders – @NetflixIndia 🕯️
— @RightCircle (@kapiln13) July 25, 2025
Bold, intense—but muddles mysticism. Vaani Kapoor anchors a visually striking crime thriller steeped in myth, yet tangled timelines and cult-laced dialogues often divert the punch. Still, the ritualistic murder scenes and gripping atmosphere… pic.twitter.com/YUHYoI73Fk
जैसे कि बलि देने वाले रिवाज और आधुनिक हत्याओं का कनेक्शन, ये सीरीज भारत की जटिल हिस्ट्री को छूती है, जिसमे जाति और ट्रॉमा जैसे टॉपिक्स पर बात करती है, जो आज के जमाने में रिलेवेंट हैं।
लेकिन यहां परेशानी भी हैक्योंकि यह कहानी इतनी ज्यादा उलझी हुई है, कि आप चार पांच एपिसोड्स तक समझ ही नहीं पाते कि सीरीज़ का असली प्लॉट आखिर है क्या?। लेखकों ने बहुत सारे आइडियाज डाले हैं इनमे भूत प्रेत, राजनीति, गैंगस्टर और रहस्यमय चीज़ें शामिल हैं, लेकिन सब को सही से जोड़ा नहीं गया।
शुरू में कहानी काफी तीज रफ़्तार से दौड़ती है लेकिन बीच में काफी धीमी हो जाती है और आखिर में जो ट्विस्ट्स आते हैं, वो प्रेडिक्टेबल लगते हैं। ये सीरीज ‘असुर‘ जैसी थ्रिलर्स से इंस्पायर तो लगती है लेकिन उतनी पंच नहीं मार पाती।
एक और बात जो मुझे अजीब लगी वह है, साइंस और फैंटेसी का मिक्स, जैसे मिसाल के तौर पर, एक तरफ मशीन इंसानी अंग काटती है और दूसरी तरफ मिथिकल रिवाज ये दोनों चीज़ें साथ में बिलकुल भी फिट नहीं होती हैं। सीरीज में वायलेंस है लेकिन वो ज्यादा नहीं है जो अच्छी बात है,
Mandala ke khel mein ab aapki baari hai. Mol chukane ka waqt aa gaya hai 👀🕸️
— Netflix India (@NetflixIndia) July 25, 2025
Watch Mandala Murders, out now, only on Netflix.#MandalaMurdersOnNetflix pic.twitter.com/9XHvY10cqh
हालाँकि इसके कुछ डिसएडवांटेज भी हैं जैसे की इससे डर का एहसास कम हो जाता है। कुल मिलाकर अगर आप स्लो बर्न थ्रिलर्स पसंद करते हैं, तो ये आपके लिए हो सकती है, लेकिन अगर आप एक साफ सुथरी स्टोरी देखना चाहते हैं तो मंडला मर्डर्स आपको थोड़ा निराश कर सकती है।
निष्कर्ष:
“मंडला मर्डर्स” नेटफ़्लिक्स की इस साल की अच्छी कोशिशों में से एक है, जो कोशिश तो बहुत करती है लेकिन परफेक्ट नहीं हो पाती। ये सीरीज 8 एपिसोड्स की है और इसे एक साथ बिंज वॉच करना आसान है, लेकिन बीच में आप बोर हो सकते हैं।
अच्छी बात ये है कि हर सीन एक दूसरे से कनेक्टेड है और परफॉर्मेंसेज सॉलिड हैं। अगर आप इंडियन थ्रिलर्स में कुछ फ्रेश चाहते हैं, तो इसे ट्राय करें खासकर अगर आपको मिथोलॉजी इंट्रेस्ट करती है।
नेटफ्लिक्स को ऐसे एक्सपेरिमेंट्स जारी रखने चाहिए, क्योंकि ये इंडस्ट्री को आगे ले जाते हैं। लेकिन अगली बार लेखकों को कहानी को और क्लियर रखना होगा। क्या ये सीरीज यादगार है? शायद नहीं लेकिन ये आपके ज़हन में एक गहरी छाप छोड़ कर जाएगी – और यही Mandala Murders वेब सीरीज़ की जीत है।
फिल्मीड्रिप रेटिंग : 5/3
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