Locked review in hindi आज 21 मार्च 2025 के दिन सिनेमाघरों में कई फिल्में रिलीज़ हुई हैं,लेकिन इन सबके बीच हॉलीवुड की फिल्म “लॉक्ड” ने अपनी अलग छाप छोड़ी है। भारत में इसे इंग्लिश भाषा में रिलीज़ किया गया है।
हालाकि टिकट खरीदते वक्त मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि यह फिल्म मुझे एक ऐसे रोमांचक सफर पर ले जाएगी,जो डर और सस्पेंस से भरा होगा। डायरेक्टर “डेविड यारोवेस्की” ने इस फिल्म में “बिल स्कार्सगार्ड” और “एंथनी हॉपकिंस” जैसे सितारों के साथ कमाल कर दिखाया है।
इसके निर्माता सैम राइमी हैं जो “Evil Dead” जैसी फिल्मों के लिए मशहूर हैं। फिल्म की लंबाई 1 घंटा 35 मिनट है और यह खत्म होने के बाद मैं पूरी तरह हक्का बक्का रह गया था। क्योंकि यह मेरे लिए एक अनोखा अनुभव साबित हुई। चलिए इस रहस्यमयी कहानी को करीब से जानते हैं और इसका डिटेल रिव्यू करते हैं।
कहानी:
फिल्म की शुरुआत होती है “एड” नाम के एक शख्स से,जिसका किरदार बिल स्कार्सगार्ड ने निभाया है। एड एक छोटा मोटा चोर है,जो अपनी ज़िंदगी चोरी करके चलाता है। एक रात वह एक चमचमाती SUV कार को अपना निशाना बनाता है।
पहले सीन को देखकर मुझे लगा कि यह कोई आम चोर की नॉर्मल कहानी होगी। लेकिन जैसे ही एड कार के अंदर घुसता है कहानी एकदम पलट जाती है। कार का दरवाज़ा अपने आप लॉक हो जाता है और पीछे से एक गहरी और डरावनी आवाज़ सुनाई देती है। यह आवाज़ है “विलियम” की, जिसे एंथनी हॉपकिंस ने निभाया है। विलियम इस कार का मालिक है और एक ऐसा इंसान है,जो अपराधियों से नफरत करता है और उन्हें अपने तरीके से सजा भी देता है।
यहाँ से कहानी एक खतरनाक मोड़ लेती है,एड कार से बाहर निकलने की कोशिश करता है,लेकिन विलियम उसे वायरलेस के ज़रिए कंट्रोल करता है। हैरानी की बात यह है कि विलियम वहाँ मौजूद ही नहीं है,फिर भी उसकी मौजूदगी हर सीन में महसूस होती है।
कभी कार की खिड़कियाँ अपने आप बंद हो जाती हैं तो कभी तेज़ रफ्तार में इंजन की आवाज़ गूँजती है। एड हर कोशिश करता है कभी शीशे तोड़ने की,कभी छत फाड़ने की,लेकिन हर बार विलियम का नया प्लान उसे और गहरे जाल में फँसाता है।
एंथनी हॉपकिंस की शांत लेकिन खतरनाक आवाज़ आपको उनकी पुरानी फिल्म “हैनिबल” की याद दिलाती है, हालाँकि यहाँ वह उससे भी ज़्यादा रहस्यमयी लगते हैं। यह फिल्म आपको उस कार में फँसा हुआ महसूस करवाती है और अंत तक यह सवाल बना रहता है कि एड बच पाएगा या नहीं।
फिल्म की खामियाँ:
“लॉक्ड” में रोमांच और डर का डोज़ भरपूर है, लेकिन कुछ जगह यह थोड़ी कमज़ोर भी लगती है। कहानी शुरू में जितनी मज़बूत नज़र आती है उतनी गहराई क्लाइमेक्स तक नहीं पहुँच पाती।
एड और विलियम की पर्सनल लाइफ के बारे में बहुत कम बताया गया है जिसके चलते उनके किरदारों से पूरी तरह जुड़ाव नहीं हो पाता। अगर इनके बैकग्राउंड को थोड़ा और खोला जाता,तो कहानी और मज़बूत हो सकती थी।
साथ ही कुछ एक्शन सीन ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए हैं। जैसे एक सीन में कार हवा में उछलती है,जो देखने में थोड़ा अटपटा लगता है और कहानी को लॉजिक से दूर ले जाता है।
फिल्म की खूबियाँ:
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसका सस्पेंस है, जो आपको शुरू से अंत तक बाँधे रखता है। हर सीन में कुछ न कुछ नया ट्विस्ट आता है,जो आपको सोचने का मौका ही नहीं देता। कभी कार की लाइट्स अचानक बंद हो जाती हैं,तो कभी विलियम का नया टॉर्चर प्लान सामने आता है जो पिछले से भी ज़्यादा खतरनाक होता है।
एक सीन में एड कार की छत तोड़ने की कोशिश करता है और उस वक्त सिनेमाघर में सन्नाटा छा गया था,सभी की साँसें थम गई थीं। बिल स्कार्सगार्ड ने एड के डर और बेबसी को शानदार तरीके से दिखाया है। वहीं एंथनी हॉपकिंस की आवाज़ हर सीन में जान डाल देती है। फिल्म का म्यूज़िक और सिनेमैटोग्राफी भी कमाल की है हर धुन और हर फ्रेम इस डरावने माहौल को और गहरा बनाता है।
फाइनल वर्डिक्ट: रोमांच का पूरा पैकेज?
सिनेमाघर से बाहर निकलते वक्त मैंने लोगों की अलग अलग राय सुनीं। कुछ इसे “डर और सस्पेंस का धमाका” बता रहे थे। तो कुछ का कहना था कि इसे थोड़ा और बेहतर बनाया जा सकता था। मेरे लिए “लॉक्ड” एक ऐसी फिल्म रही जो आपको अपनी सीट से हिलने न दे। यह परफेक्ट तो नहीं लेकिन रोमांच और डर का ऐसा मज़ा देती है कि आप इसे मिस नहीं करना चाहेंगे।
फिल्मीड्रिप रेटिंग: ४/५
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