तेलुगु सिनेमा इंडस्ट्री की ओर से एक नई फ़िल्म रिलीज़ की गई है, जिसका नाम ‘लग्गम’ है। बात करें इसके जॉनर की, तो यह लव और ड्रामा है। इसकी लेंथ तक़रीबन 2 घंटे की है, जिसका डायरेक्शन ‘रमेश चेप्पाला’ ने किया है।
जिन्होंने इससे पहले साल 2003 में आई फ़िल्म ‘कबड्डी कबड्डी’ का लेखन किया था। बात करें इस फ़िल्म की कहानी की, तो यह एक इंजीनियर बाप की है, जो अपनी बेटी का रिश्ता भी एक इंजीनियर फैमिली में करना चाहता है।
कहानी
लग्गम फ़िल्म की स्टोरी तेलंगाना के एक गाँव की है, जिसमें ‘सदनम’ (राजेंद्र प्रसाद) की जिंदगी पर बुनी गई है। उनका भतीजा ‘चैतन्य’ (साई रौनक), जो कि हैदराबाद में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम करता है। वह अपनी बेटी ‘मानसा’ (प्रज्ञा नागरा) की शादी चैतन्य से करवाना चाहते हैं, क्योंकि चैतन्य भी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
इसके बाद उनके माता-पिता और सभी की सहमति से इंजीनियर चैतन्य और मानसा की शादी तय हो जाती है, जिसमें शादी से पहले मंगनी कर दी जाती है। इसके बाद फ़िल्म की कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिलते हैं, जिन्हें जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी, जो कि आपके नज़दीकी सिनेमाघर में उपलब्ध है।
खामियाँ
इस फ़िल्म की सबसे बड़ी कमी इसकी लेंथ है, जो कि काफ़ी बड़ी है, जैसे एडिटिंग के दौरान कम किया जाना चाहिए था। फ़िल्म की दूसरी सबसे बड़ी कमी मेकर्स द्वारा इसका ठीक से प्रमोशन ना किया जाना है, जिसके कारण यह फ़िल्म चर्चा में नहीं बनी रही, जिसका असर इसके बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन पर भी देखने को मिलेगा।
फ़ाइनल वर्डिक्ट
अगर आप फैमिली ड्रामे से भरी हुई फ़िल्म देखना चाहते हैं, तो आप इसे ज़रूर रिकमेंड कर सकते हैं, जो आपकी सभी आशाओं को पूरी तरह से पूर्ण करेगी। फ़िल्म की कहानी एक फैमिली ड्रामा है, जिसमें कॉमेडी और इमोशनल सभी प्रकार के एंगल देखने को मिलते हैं। फ़िल्म हमको हंसाती है, रुलाती है और कई बार टेंशन का माहौल भी क्रिएट करती है।
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