Laggam Movie Hindi Dubbed Release on Prime Video:आजकल के लोग अपने दामाद को या तो डॉक्टर या फिर इंजीनियर के रूप में पाना चाहते हैं और ये भी सोचते हैं कि जहां दहेज ना देना पड़े वहीं शादी की जाए। कुछ इसी तरह की कहानी लग्गम फिल्म की भी है।
इस फिल्म को हिंदी डब्ड वर्जन में प्राइम वीडियो के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ कर दिया गया है। लग्गम की सिनेमा रिलीज़ की बात की जाए तो इसे 30 जुलाई 2024 को तेलुगु भाषा में रिलीज़ किया गया था। इसमें मेन लीड में साई रोनक, प्रज्ञा नागरा, और राजेंद्र प्रसाद जैसे कलाकार देखने को मिलते हैं।
लग्गम एक भावात्मक फिल्म है, जिसे रमेश चेप्पाला द्वारा निर्देशित किया गया था। आहा के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इसे पहले ही कन्नड़ भाषा में रिलीज़ कर दिया गया था पर अब यह हिंदी डब्ड वर्जन में प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है। आइए जानते हैं 2 घंटे 7 मिनट की यह स्टोरी किस तरह से और क्या दर्शाती है।
कहानी
कहानी शुरू होते ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर चैतन्य के कैरेक्टर को दिखाती है, जो हैदराबाद की एक बड़ी कंपनी में बड़े पद पर काम कर रहा होता है। चैतन्य और उनकी टीम मिलकर एक नए सॉफ्टवेयर पर काम कर रहे हैं जिससे कंपनी को बहुत ज्यादा फायदा होने वाला है।
एक दिन जब चैतन्य का मामा उससे मिलने आता है तब उसकी लग्ज़री लाइफ को देखकर बहुत इंप्रेस होता है। गांव लौटते वक्त जो सवाल उसके दिमाग में सबसे पहले आता है, वह यह है कि क्यों ना वह अपनी बेटी की शादी अपने भांजे से कर दे जहां उसे दहेज भी देना नहीं होगा।
अब चैतन्य का मामा चैतन्य की मां से शादी की बात करता है। चैतन्य की मां अपने भाई की बेटी से शादी करने के लिए तुरंत राजी हो जाती है। अब वह अपने बेटे से कहती है कि तुम तुरंत छुट्टी लेकर घर आ जाओ।
अब मनसा पर आएं तो मनसा अपने ही गांव के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर है। मनसा की मां पहले ही मर चुकी है। अब जब मनसा को इस बात का पता लगता है कि उसकी शादी चैतन्य से होने वाली है, तो शादी फिक्स होने से पहले जो सबसे बड़ा ट्विस्ट निकल कर आता है, वह तब आता है
जब चैतन्य का एक अंकल कहता है कि उसे दहेज में 50 लाख के सामान के साथ 3 किलो सोना और 10 किलो चांदी भी चाहिए, तभी यह शादी हो पाएगी। अब यह शादी किस तरह से होती है या नहीं होती है या होने के बाद टूट जाती है? अगर टूटती है तो वह कौन से कारण हैं? यही सब इस कहानी में आगे देखने को मिलता है।
कहानी के पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट
एक सिंपल कहानी में जिस तरह से आगे ट्विस्ट और टर्न आते दिखते हैं, उनको देखकर दिमाग में जो सबसे पहली बात आती है, वह यह है कि जहां गलती किसी की भी नहीं है। बस कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग की वजह से सब कुछ बिगड़ जाता है। कहानी में वैसे तो कुछ नया देखने को नहीं मिलता, पर जिस तरह से इसे पेश किया गया है, वहां एक सिंपल सी स्टोरी कुछ नया दिखाने का दम भरती है।
यहां पर आपको एक बहन और भाई, परिवार, खानदान, पति-पत्नी, इन सब के बीच गलतफहमी की वजह से जिस तरह से रिश्ते टूट जाते हैं, यह सभी बातों को डिटेल से जानने का मौका मिलता है।
कहानी का पहला हाफ थोड़ा स्लो है जिससे कहानी आगे बढ़ने में थोड़ा टाइम ले लेती है। मनसा का कैरेक्टर पोजेसिव है जिसे हमेशा यही लगता है कि उसकी मां नहीं है तो लोग उस पर दया दिखा रहे हैं। मनसा की इस बिहेवियर को देखकर कहीं-कहीं पर एक दर्शक होने के नाते हमें थोड़ा गुस्सा भी आने लगता है, जिसको देखकर ऐसा लगता है कि इन सब चीजों को बेवजह ही फिल्म में डाला गया है।
कहानी अपने दूसरे हिस्से में जिस तरह से सीरियस तरीके से आगे बढ़ती है, वहां इसकी अगली-पिछली सभी गलतियों को माफ किया जा सकता है। कहानी के अंत में जिस तरह से मैसेज दिया गया है, वह आपके चेहरे पर एक अलग तरह की मुस्कान छोड़कर जाती है।
निष्कर्ष
प्राइम वीडियो पर हिंदी डब्ड भाषा में उपलब्ध करा दी गई है। आप इसे अपनी पूरी फैमिली के साथ बैठकर देख सकते हैं। यहां किसी भी प्रकार के एडल्ट या वल्गर सीन देखने को नहीं मिलते हैं। एक अच्छी कहानी के साथ हम इसे देते हैं 5 में से 3 स्टार।
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