ओटीटी की दुनिया में 2024 में शामिल हुआ अल्ट्रा प्ले के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एक ओरिजिनल फिल्म रिलीज़ की गई है, जिसका नाम है खलनिग्रणाया (Khalnigranaya ), जिसका जॉनर क्राइम थ्रिलर है। फिल्म के मुख्य किरदार में हैं पलक सिंह, दयानंद शेट्टी और निर्देशन किया है सुमेश एन. पिल्लई ने। एक घंटा तीस मिनट की यह फिल्म क्या दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल रही है? क्या यह सीआईडी ड्रामे की तरह ही सस्पेंस और थ्रिल को दिखाने का काम करती है? आइए जानते हैं इस रिव्यू के माध्यम से।
कहानी
खलनिग्रणाया (Khalnigranaya )में सीआईडी सीरियल वाले दया मुख्य भूमिका में हैं। कहानी की बात करें तो यह एसीपी विक्रम की है, जिनके जीवन में इस समय बहुत सी परेशानियां चल रही हैं। कहानी उस समय एक अलग रंग में बदलती है, जब एसएसपी के बच्चे को कुछ लोग किडनैप कर लेते हैं। विक्रम को अपने बच्चे को बचाना है। एक तरफ बाप की भूमिका, तो दूसरी ओर उसकी ड्यूटी। यहीं से शुरू होता है टॉम एंड जैरी वाले चूहे-बिल्ली का खेल। वे कौन लोग हैं, जिन्होंने विक्रम का बच्चा किडनैप किया है? आखिर ये लोग ऐसा किसके कहने पर कर रहे हैं? क्या विक्रम अपने बच्चे को बचा पाता है या नहीं? यह सब जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी, जो कि अल्ट्रा प्ले के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

पॉजिटिव और निगेटिव पॉइंट
- खलनिग्रणाया उस तरह का सस्पेंस और थ्रिलर पेश नहीं कर पाती, जो इस तरह की फिल्मों में होना चाहिए। सस्पेंस फिल्मों की कहानी ऐसी होती है, जो शुरू से लेकर अंत तक दर्शकों को उलझाकर रखे और आप इतनी आसानी से क्लाइमेक्स को प्रेडिक्ट न कर पाएं, लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है।
- पूरी फिल्म को एक ड्रामे की तरह दिखाया गया है। खलनिग्रणाया (Khalnigranaya )देखते समय फिल्म जैसी फीलिंग ही नहीं आती। इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे हम कोई ड्रामा या सीरियल देख रहे हों।
- वीएफएक्स और सिनेमैटोग्राफी बहुत कमजोर है, जो एक बी-ग्रेड फिल्म जैसा अनुभव देता है। अगर कहा जाए कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी प्रोडक्शन वैल्यू कम है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। प्रोडक्शन वैल्यू कम होने वाली फिल्में भी देखने में अच्छी लगती हैं, उदाहरण के लिए मलयालम फिल्मों को ही ले लीजिए।
- विक्रम के पिता के रूप में कुछ सीन भावनात्मक रूप से दिल को छू लेने वाले हैं। दयानंद शेट्टी की परफॉर्मेंस शानदार है।
- अत्यधिक प्रेडिक्टेबल होना। जो भी आपके दिमाग में आएगा, ठीक वैसा ही यहां आगे देखने को मिलता है।
निष्कर्ष
अल्ट्रा प्ले अब तक जितनी भी अपनी ओरिजिनल फिल्में लेकर आया है, बहुत कम ऐसी हैं जो अच्छी रही हों। क्या वजह है कि यह अच्छा कंटेंट पेश करने में असफल रहता है? इस तरह की फिल्मों से दर्शक नाखुश होते हैं और नाराज़ भी, जिस कारण सब्सक्रिप्शन को रिन्यू करना और नए दर्शक जोड़ना मुश्किल होगा। हम यही आशा करते हैं कि आगे अल्ट्रा प्ले की ओर से अच्छा कंटेंट देखने को मिले। मेरी तरफ से इसे दिए जाते हैं 5 में से 2.5 स्टार की रेटिंग।
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