Kanneda Web Series Review:जिओहोटस्टार पर कैनेडा नाम की एक वेब सीरीज रिलीज़ हुई है। चंदन अरोड़ा के इस शो को प्रोड्यूस किया है, जय पिक्चर्स, अजय जी राय ने। शो के मुख्य कलाकार में हैं परमीश वर्मा, मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब, रणवीर शोरी। कैनेडा को हिंदी भाषा के साथ मराठी, बंगाली, कन्नड़, मलयालम, तमिल और तेलुगु में भी देखा जा सकता है।
कैनेडा वेब सीरीज समीक्षा
शो के ज़्यादातर कैरेक्टर पंजाबी भाषा का उपयोग करते दिखाई दे रहे हैं, पर यहाँ ठेठ पंजाबी न रख कर हल्की फुल्की पंजाबी बोली गई है जो हिंदी दर्शकों को आसानी से समझ में आ जाए। शो की कहानी दिल को छू जाती है। इस शो से वो लोग ज़्यादा कनेक्ट करेंगे जो विदेश में नौकरी करने के लिए गए हुए हैं या जाने की सोच रहे हैं।
यहाँ पर सिख समुदाय के बारे में ज़्यादा दिखाया गया है। जहाँ हर साल बहुत से लोग कैनेडा में बेहतर जीवन की तलाश में माइग्रेट करते हैं। 1984 सिख विरोधी दंगे हुए जो कि ‘इंदिरा गांधी हत्या’ के विरोध में किए गए थे। इस घटना के बाद आर्थिक परेशानी, सुरक्षा के कारण बहुत से पंजाबी कैनेडा की ओर कूच कर गए थे। पर यहाँ आकर एक अच्छा जीवन तो मिलता है पर साथ में मिलता है भेदभाव। इसी भेदभाव के कारण बहुत से परिवारों को घुट-घुट कर अपना जीवन बिताना पड़ता है।
ऐसी ही कुछ कहानी निम्मा की भी है। निम्मा के कैरेक्टर में हैं परमीश वर्मा जो कि सिख दंगों के बाद 1990 में एक बेहतर ज़िंदगी तलाश की तलाश में अपनी फैमिली के साथ टोरंटो आ जाता है। यहाँ इसकी ज़िंदगी परेशानियों से भरी हुई दिखाई गई है साथ ही निम्मा को भेदभाव का सामना भी करना पड़ता है। यहाँ इसे हमेशा यह अहसास दिलाया जाता है कि तुम बाहरी मुल्क के हो, यह मुल्क तुम्हारा नहीं है।
यह रेसिज़्म (racism) इतना बढ़ जाता है कि इसे कॉलेज से भी बाहर कर दिया जाता है।अब कॉलेज से ड्रॉप आउट होने के बाद निम्मा बनता है रैप सिंगर, कुछ टाइम बाद यह एक मशहूर सिंगर बन जाता है। इन्हीं सबके बीच वह एक गैंग जॉइन करता है जिसका मुखिया है सरबजीत।सीरीज में कुछ असल कहानी को ड्रामैटिक तौर पर प्रस्तुत किया गया है।
ज़ीशान अय्यूब पुलिस की भूमिका में हैं और रणवीर शोरी एक मार्गदर्शक के रोल में दिखाई दे रहे हैं। यहाँ कैनेडा और कनाडा के बीच का फर्क समझाया गया है।निम्मा इस गैंग के दलदल में फंसता चला जाता है, क्या अब यह इससे निकल भी पाएगा या नहीं, यही सब आपको यहाँ देखने को मिलेगा।
क्या ख़ास है शो में
पहले एपिसोड में ही शोकिंग सीन है जो एक दर्शक के तौर पर कहानी से हमें जोड़ कर रख देता है। सभी कलाकारों ने अच्छा काम किया है। हर एक एपिसोड में गाने हैं,जो हमारे मूड को और बेहतर करने में मदद करते हैं।क्योंकि कहानी को 1990 के दौर में रखकर दिखाया गया है शो का आर्टवर्क बढ़िया है, जो यह दिखाता है कि यह 1990 का टोरंटो है। इसके आठ एपिसोड तेज़ी के साथ आगे बढ़ते हैं।
शो के नकारात्मक पहलू
कहानी काफ़ी प्रिडिक्टेबल है जिसे देख कर आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आगे क्या होने वाला है। आठ एपिसोड के जगह यह छह एपिसोड में ही बन सकती थी, बेवजह मेकर के द्वारा इसे खींचा गया है। सपोर्टिंग कैरेक्टर पर अगर थोड़ी ज़्यादा तवज्जो दी जाती तब शो में और जान आ सकती थी।
निष्कर्ष
निम्मा यानी परमीश वर्मा की शानदार एक्टिंग के लिए यह शो एक बार तो देखा जा सकता है, जो हमें दिखाता है अपने देश छोड़कर, दूसरे देश में जाकर संघर्ष करना, कुछ हासिल करने के बाद अहंकार की आग में जलना यह सब एक साधारण जीवन पर किस तरह असर डालता है। मेरी तरफ़ से इस शो को दिए जाते हैं पाँच में से तीन स्टार।
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