Jugnuma 2025:मनोज बाजपेयी और दीपक डोब्रियाल की जुग्नुमा

Published: Sat Sep, 2025 12:56 PM IST
Jugnuma 2025 Movie Reviewमनोज बाजपेयी और दीपक डोब्रियाल की जुग्नुमा

Follow Us On

रम रेड्डी के निर्देशन में बनी फिल्म जुगनुमा 12 सितंबर 2025 से सिनेमाघरों में रिलीज़ कर दी गई है। यहाँ मनोज बाजपेयी के साथ दीपक डोबरियाल, प्रियंका बोस, तिलोत्तमा शोमे देखने को मिलेंगे। रिलीज़ से पहले यह कई इंटरनेशनल फेस्टिवल का हिस्सा भी बनी है जहाँ इसे बहुत सराहा गया था। जिन दर्शकों को पहाड़ों में रहना पसंद है, वादियों की शांति का अहसास करना है, उनके लिए यह एक परफेक्ट फिल्म हो सकती है जो आजकल की फिल्मों से बिल्कुल अलग है। यहाँ कहानी देव और उसकी फैमिली की दिखाई गई है। आइए जानते हैं अपने रिव्यू के माध्यम से कि कैसी है ये फिल्म, क्या यह फिल्म सबके लिए है या फिर सिर्फ आर्ट दर्शकों की पसंद ही बन सकती है।

कहानी

कहानी देव यानी मनोज बाजपेयी पर आधारित है जो एक बड़ा जमींदार है। इनके पास 5 हज़ार एकड़ की जमीन है जिनमें सेब और अन्य फल उगाए जाते हैं। कहानी बेस है 1989 में उत्तराखंड के ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर, जहाँ देव अपने परिवार के साथ रह रहा होता है। ट्विस्ट उस समय आता है जब देव के फलों के बागानों में अचानक से आग लगना शुरू हो जाती है। अब ये आग कौन और क्यों लगा रहा है, यही कहानी फिल्म में आगे देखने को मिलती है। 16 एमएम पर शूट की गई यह 1 घंटा 58 मिनट की फिल्म मुझे ऐसा लगता है कि सिर्फ और सिर्फ फिल्म फेस्टिवल के लिए ही बनी है। आम दर्शक इस तरह की आर्ट फिल्मों से रिलेट नहीं कर पाते। जुगनुमा को अगर सिनेमाघरों में न रिलीज़ करके सीधे ओटीटी पर रिलीज़ कर दिया जाता तो अच्छा रहता। क्योंकि ये बॉलीवुड फिल्मों के जैसी चमक-दमक वाली फिल्म नहीं है। जुगनुमा एक स्लो पेस में चलने वाली फिल्म है। पर हाँ, इसे मनोज बाजपेयी की अब तक की बेस्ट परफॉर्मेंस वाली फिल्म बोला जा सकता है। आज का समय है सोशल मीडिया का, जहाँ हर 30 सेकंड में दर्शकों को कुछ चटपटा न दिखा तो वो रील बदल देते हैं। ऐसे में महँगा टिकट खरीदकर इस तरह की आर्ट फिल्मों को देखने भला कौन ही जाएगा।

पॉज़िटिव पॉइंट

लोक कथा पर आधारित इस फिल्म की कहानी अच्छी है। यह एक आर्ट फिल्म है जो इसे देखकर महसूस भी होता है। मनोज बाजपेयी का शानदार परफॉर्मेंस, मोहन के कैरेक्टर में दीपक डोबरियाल का परफेक्ट रोल, शानदार पहाड़ों का सिनेमैटिक एक्सपीरियंस, साथ ही फिल्म की एडिटिंग जो पुराने समय की याद दिलाती है। अगर आपको स्लो कहानी देखना अच्छा लगता है तब ही आप इस फिल्म को देखने जाएँ।

निगेटिव पॉइंट

फिल्म को कुछ ज़्यादा ही लंबा खींचा गया है, जहाँ फिल्म एक घंटे में भी दिखाई जा सकती थी। बेमतलब स्लो सीन को दिखाकर इतना लंबा खींचा गया है। सिनेमाघरों में बैठकर बेमतलब के सीन देखकर दर्शक बोर हो जाते हैं। ओटीटी पर रिलीज़ हो तो इसे आसानी से स्किप भी किया जा सकता है। लोक कथा पर आधारित यह फिल्म काफी प्रेडिक्टेबल है, जिसे आसानी से समझा जा सकता है कि आगे क्या होने वाला है। जब सिनेमाघर में बैठे हुए दर्शक यह जानते हैं कि अंत में क्या होने वाला है तो फिर बेवजह फिल्म को इतना लंबा खींचने की क्या ज़रूरत थी।

निष्कर्ष

क्लाइमेक्स में जिस तरह से इसका अंत किया गया है, वो सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ। यहाँ अगर चीज़ों को थोड़ा और एक्सप्लेन करके दिखाया जाता तो ज़्यादा अच्छा रहता। बहुत सी चीज़ों को सही से एक्सप्लेन नहीं किया गया है। यहाँ किसी भी तरह का एडल्ट या वल्गर चीज़ों का इस्तेमाल नहीं हुआ है, जिससे इसे परिवार के साथ देखा जा सकता है। मेरी तरफ से इस फिल्म को दिए जाते हैं 5 में से 3 स्टार की रेटिंग।

READ MORE

Mannu Kya Karegga:जेन Z की ज़िंदगी की सच्चाई को बयान करती

Beauty In Black Season 2 Part 1 Review: किम्मी होरास की प्रॉपर्टी से बेदखल होगी या फिर पूरी फैमिली को करना होगी किम्मी की जी हुज़ूरी, जानें इस सीजन में

Do You Wanna Partner बियर पिने वाले बिलकुल मिस न करें

Tarot Korean Movie Review: एक फिल्म, लेकिन तीन साइकोलॉजिकल मिस्ट्री थ्रिलर और सस्पेंस से भरपूर कहानी

Author

  • Amir Khan

    हाय! मैं आमिर खान, FilmyDrip के लिए लेखक और सिनेमा का दीवाना हूँ। बॉलीवुड की चमक, फिल्मों की कहानियाँ और सितारों का जलवा मुझे बहुत पसंद है। मैं अपने लेखों में लेटेस्ट फिल्म रिव्यू, मनोरंजन की खबरें और मजेदार विश्लेषण लाता हूँ। चाहे ब्लॉकबस्टर मूवी हो या नए सितारों की कहानी, मैं हर लेख को रोचक और सच्चा बनाने की कोशिश करता हूँ। FilmyDrip के साथ, मेरा मकसद है सिनेमा प्रेमियों को मनोरंजन की दुनिया से जोड़े रखना। मेरे लेख पढ़ें और बॉलीवुड के मज़ेदार सफर का हिस्सा बनें!

    View all posts

Also Read