निर्देशक ऋषिकेश गुप्ते ने बनाई एक डरावनी और साइकोलॉजिकल मराठी फिल्म जिसका नाम है जारण मराठी में जारण यानी टोना-टोटका या काला जादू। जारण के मुख्य कलाकारों में अमृत सुभाष, अनिता दाते केलकर, किशोर कदम,अवनी जोशी जैसे और भी मराठी एक्टर देखने को मिलते हैं।
A3 Events & Media Services, A & N Cinema’s LLP, और पैनोरमा स्टूडियोज ने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया है ।6 जून 2025 को रिलीज की गई जरण को imdb पर 10 में से 8.4 की रेटिंग मिली है। आईए जानते हैं कैसी है यह फिल्म क्या आपको इसे अपना कीमती टाइम देना चाहिए या नहीं ।
जारण मराठी फिल्म रिव्यू
एक काले जादू पर आधारित फिल्म है जोकि डर वाली फील देने में पूरी तरह से कामयाब रही है। इस फिल्म को देखने के लिए आपको अपने दिमाग का इस्तेमाल करना होगा तभी आप इसकी एंडिंग को अच्छे से समझ सकेंगे।
कहानी एक छोटे से गांव की है जिस गांव का एक घर जो सिर्फ इसलिए मशहूर होता है के उसके ऊपरी मंजिल पर एक महिला किराए पर रहती थी और उस महिला को गांव वाले इंसान नहीं मानते। सभी गांव वालों का यह कहना था कि उस घर में रहने वाली वह औरत चुड़ैल का एक रूप है जो एक दिन इस पूरे गांव को बर्बाद कर देगी। एक बार जब सभी गांव वाले इकट्ठा होकर इस औरत को गांव से निकालना चाहते हैं तब वह औरत जिस घर में रह रही होती है उसी घर की छोटी लड़की को अपने पास बुलाकर उस पर जादू टोना कर के गांव वालों से यह वादा करती है कि अब से इस लड़की के साथ और इस पूरे गांव के साथ बुरा ही बुरा होगा।
कहानी अब कुछ समय आगे की दिखाई जाती है छोटी लड़की बड़ी हो गईं है जैसा वह डायन इस गांव को छोड़ते वक्त बोलकर गई थी वैसा ही कुछ इस लड़की की जिंदगी में होता हुआ दिखाई देता है।जहां एक कार एक्सीडेंट के बाद इसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है। इसकी जिंदगी में उलझन उस समय पैदा होती है जब इसे अपने ही घर में ऐसा कुछ दिखाई देता है जो किसी नॉर्मल इंसान को नहीं दिखता। इसकी एक छोटी बेटी भी है जिसे एक ऐसा खिलौना(गुड़िया)मिलता है। जो खिलौना इस घर में रहने वाली उसी औरत के पास हुआ करता था जिसे गांव वालों ने निकाल दिया था।
फिल्म के एक सीन में दिखाया जाता है कि बाहर दरवाजे पर इसका पति खड़ा हुआ है और वह अपनी बेटी को अपने साथ ले जाने आया है पर हैरानी की बात यह है कि इसका पति तो उस कार एक्सीडेंट में मारा जा चुका है।
पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट
अमृता सुभाष की एक्टिंग शानदार है जो डर के भाव को अपने चेहरे से बयां कर देती हैं। बच्ची का वह खिलौना सिर्फ खिलौना ही नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा खौफनाक दिखाई पड़ता है। हमने अपने इस रिव्यू में कहानी के बारे में अभी कुछ भी नहीं बताया है ऐसा बहुत कुछ बाकी है जिसे जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी होगी।यह फिल्म हॉरर थ्रिलर से कहीं बढ़कर एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है जो दर्शकों के दिमाग से खेलती नजर आती है। अंत ऐसा है जो हिला कर रख देता है एक के बाद एक इतने शॉकिंग मोमेंट हमारे सामने पेश किए जाते हैं जिन ट्विस्ट और टर्न की उम्मीद दर्शकों को बिलकुल भी नहीं होती। इसे मराठी फिल्म इंडस्ट्री की एक माइंड चेंजिंग फिल्म भी कहा जा सकता है। स्पेशल इफेक्ट और वीएफएक्स की थोड़ी कमी दिखाई पड़ती है। वहीं अगर बचपन के सीन को थोड़ा और दिखाया जाता तो ज्यादा अच्छा रहता।
निष्कर्ष
यह अपनी अच्छी कहानी और सभी कलाकारों के शानदार परफॉर्मेंस साइकोलॉजिकल थ्रिलर की वजह से एक बार तो देखी ही जा सकती है मेरी तरफ से इसे दिए जाते हैं 5 में से 3.5 स्टार की रेटिंग।
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