JAAT Movie Review Hindi:सन्नी देओल की जाट फिल्म को गोपीचंद मालिनेनी के निर्देशन में तैयार किया गया है। यह फिल्म आज सिनेमा घरों में दस्तक दे चुकी है। सन्नी देओल यहां मुख्य भूमिका में हैं।आइए जानते हैं कैसी है जाट फिल्म, क्या यह आपका भरपूर मनोरंजन करेगी या फिर फिल्म देखकर होगा आपका पैसा बर्बाद।
जाट मूवी समीक्षा
सन्नी देओल की गदर 2 की अगर बात की जाए तो इस फिल्म के तारा सिंह से हमारी भावनाएँ जुड़ी हुई थीं। यही वजह थी कि इसका पार्ट 2 आते ही लोगों में इसे देखने की उत्सुकता बढ़ी और गदर 2 ब्लॉकबस्टर रही। जाट फिल्म में सन्नी देओल के किरदार को जिस तरह से दिखाया गया है, सन्नी ऐसे ही किरदारों के लिए जाने जाते थे – घातक, घायल, जिद्दी, इंडियन, चैंपियन – ऐसी बहुत सी सन्नी की फिल्में हैं।
कुछ इसी तरह के किरदार में सन्नी देओल दोबारा से जाट में देखने को मिले हैं।सन्नी देओल और रणदीप हुड्डा फिल्म के दो ऐसे किरदार हैं, जब फिल्म खत्म होती है तो ये दोनों किरदार हमें याद रहते हैं। जाट का जो सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है, वो है इसका एक्शन सीक्वेंस।

PIC CREDIT YOUTUBE
कहानी
फिल्म की शुरुआत होती है रणदीप हुड्डा के किरदार ‘वरदराजा रणतुंगा’ से। बीस मिनट तक यह दिखाया जाता है कि वरदराजा रणतुंगा कौन है, इसके इलाके में इसको लेकर लोगों में किस तरह की दहशत फैली हुई है। वरदराजा रणतुंगा कैसे लाशों के ढेर लगाने में माहिर है। ट्रेलर में रणदीप हुड्डा एक डायलॉग बोलते दिखाए गए हैं, “मेरे इलाके में रास्तों को किलोमीटर से नहीं नापते, बल्कि लाशों से नापते हैं।” ये डायलॉग कहानी में सच होता दिखता है।
वरदराजा रणतुंगा के इलाके में लोग इनकी दहशत से इतने डरे हुए हैं,कि इसका कोई इलाज नहीं है। लगभग बीस मिनट के बाद ही फिल्म में सन्नी देओल की इंट्री होती है। यह फुल सीटी ताली मार इंट्री है।
अब ऐसा क्या होता है कि सन्नी देओल को वरदराजा रणतुंगा के एरिया में जाना पड़ता है?
सन्नी देओल और वरदराजा रणतुंगा के बीच ऐसा क्या हो गया कि ये दोनों आपस में भिड़ रहे हैं?
नॉर्मल फिल्मों के जैसा यहाँ इसकी इंट्री को नहीं दिखाया गया है कि हीरो ने विलन को मार दिया और फिल्म खत्म। यहाँ आपको कुछ और ही देखने को मिलेगा।
क्या खास है जाट में
फिल्म निर्देशक गोपीचंद को अच्छे से पता था कि फिल्म में सन्नी देओल को पेश कैसे करना है। फिल्म में रणदीप हुड्डा यानी वरदराजा रणतुंगा की ताकत को बहुत बड़ा करके दिखाया गया है, जिससे लगता है कि हीरो को विलन को हराना इतना आसान नहीं। टिकट के पैसे तब वसूल होते हैं जब वरदराजा रणतुंगा और सन्नी देओल की अंत के बीस मिनट में भिड़ंत होती है।
एक्शन सीक्वेंस के साथ जो बीजीएम सुनने को मिलता है,उसका एक अलग तरह का नशा आपके ऊपर चढ़ता दिखाई देगा। सभी एक्शन सीक्वेंस को नेचुरल तरह से शूट किया गया है,VFX का इस्तेमाल न के बराबर ही है। स्क्रीनप्ले, सिनेमाटोग्राफी, प्रोडक्शन वैल्यू डिसेंट है। मुझे लगता है कि सन्नी देओल और रणदीप हुड्डा एक परफेक्ट कास्ट हैं फिल्म के लिए। इन दोनों के जगह पर अगर कोई और एक्टर होता तो शायद फिल्म अपना उतना प्रभाव न छोड़ पाती।
कहानी में किसी भी तरह का सस्पेंस थ्रिलर न होते हुए भी दोनों एक्टर ने जिस तरह से इसे पेश किया है, इसे देखकर मज़ा ज़रूर आता है।
निगेटिव पॉइंट
बहुत से एक्शन सीक्वेंस ओवर द टॉप हैं, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि भाई बस करो, ये कुछ ज़्यादा ही हो गया। बहुत बार कुछ सीन को देखकर हमें ऐसा लगता है कि अरे भाई ऐसा कैसे हो सकता है।
जिस तरह से नब्बे के दशक में फिल्में आया करती थीं – गांव के लोग ठाकुर के अत्याचारों से परेशान हैं, गांव में मसीहा यानी हीरो की इंट्री होती है, गांव के लोगों को ऐसा लगने लगता है कि ये भगवान के द्वारा भेजा गया है और यही हम सब को बचाएगा, फिर हीरो गांव वालों को विलन से बचाता है और लोगों का वो हीरो बन जाता है। डिट्टो ऐसी ही कुछ कहानी जाट में भी देखने को मिलती है, बस थोड़े नए म्यूज़िक, सिनेमाटोग्राफी, एक्शन सीक्वेंस के साथ।
निष्कर्ष
अगर आपको गदर 2 फिल्म पसंद आयी थी तो डेफिनेटली जाट फिल्म भी पसंद आने वाली है। यहाँ मास और क्लास का कोई लफड़ा नहीं, सभी को ये कहानी अच्छी लगने वाली है। अगर 2025 में किसी एक्टर को बेस्ट विलन का अवार्ड दिया जाना चाहिए तो इसमें रणदीप हुड्डा का नाम सबसे ऊपर होगा। मेरी तरफ से जाट फिल्म को दिए जाते हैं पांच में से तीन स्टार।
READ MORE