1 अक्टूबर 2025 को सुपरस्टार धनुष की एक नई फिल्म इडली कढ़ाई को तमिल, तेलुगु और हिंदी भाषा में रिलीज़ की गई है। पावर पांडी जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके धनुष ने ही इस फिल्म का भी निर्देशन किया है। इस पारिवारिक ड्रामा में नित्या मेनन, अरुण विजय, राजकिरण जैसे कलाकार भी दिखाई देंगे। फिल्म की कहानी धनुष के इर्द-गिर्द घूमती है जहाँ वो अपने पिता की पुरानी इडली की दुकान को बेचने से बचाने में लगा है। इडली कढ़ाई से पहले धनुष की फिल्म कुबेरा ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था। अब जानते हैं कि इडली कढ़ाई में भी कुबेरा जैसा ही प्रदर्शन दिखाई देता है या नहीं।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम बात करते हैं इडली कढ़ाई फिल्म की, जो मैंने देख ली है। तो आइए जानते हैं इडली कढ़ाई फिल्म के बारे में मेरे विचार अच्छे हैं या सामान्य। कहानी बिना स्पॉइलर दिए बताता हूँ कि धनुष विदेश में अच्छी जॉब करते हैं। कुछ समय के बाद ये अपने गांव वापस आते हैं। गांव में है इनके पिता का खाने का होटल और ये इस होटल के कारोबार को आगे ले जाना चाहते हैं। धनुष अपने पिता के प्रोटोकॉल को आगे फॉलो करता है। पर अरुण विजय के द्वारा कुछ ऐसा किया जाता है जो धनुष के सामने परेशानी पैदा कर देता है। फिल्म का कॉन्सेप्ट अच्छा है पर कहानी में मज़बूती की कमी दिखती है।

कहानी
धनुष के पिता शिवन (राजकिरण द्वारा अभिनीत) जो कि बहुत अच्छे इंसान हैं, ये ईमानदारी के साथ छोटा सा खाने का ठेला लगाते हैं। इनके खाने में जो सबसे अच्छा है वो है इनके हाथों के द्वारा बनाई गई इडली। ये बहुत मेहनती हैं और अपने काम को ही पूजा मानते हैं। इनके खाने बनाने की स्टाइल पुरानी जैसी ही है। इन्हे अपनी पुरानी परंपरा पर बहुत भरोसा करते हैं। शिवन अपने खाने को बनाने के लिए इलेक्ट्रिक चीज़ों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। शिवन का मानना है कि हाथ से बनी हुई चीज़ें ही स्वादिष्ट हो सकती हैं। आसपास के लोग शिवन से कहते हैं कि दूर गांव में आउटलेट खोलने के लिए, पर इस पर ये राज़ी नहीं होते। इन्हें लगता है कि खाने में स्वाद मौजूद होने के लिए इनका वहाँ होना ज़रूरी है, पर ये एक समय पर दो जगह पर मौजूद नहीं हो सकते।

धनुष यहाँ शिवन बेटे मुरुगन के किरदार में दिखाए गए हैं, जिसका सपना नई उम्र के लड़के जैसा है, जो एक अपडेटेड शहर की ज़िंदगी चाहता है। पर मुरुगन के पिता शिवन ये मानते हैं कि अच्छी ज़िंदगी का राज़ छिपा है गांव के हवा और पानी में। कुछ समय के बाद मुरुगन एक अच्छी ज़िंदगी की तलाश में बैंगकॉक में जाकर जॉब करने लगता है। पर कहानी में मोड़ तब आता है जब इसे वापस फिर उसी गांव में आना पड़ता है, जहाँ इसे लगता था कि अच्छा जीवन संभव नहीं है। ये बिल्कुल शाहरुख खान की फिल्म स्वदेश जैसा ही है।
विलन के रूप में इंट्री होती है अश्विन (अरुण विजय) की, जो कि पूँजीपति है। अश्विन की बहन की शादी बैंगकॉक में मुरुगन के साथ होने वाली थी। मुरुगन मीरा से शादी न करके गांव वापस लौट आया है। अब इसका बदला लेना है अश्विन को। मुरुगन अपने पिता के सिद्धांतों पर चलता है, जहाँ हिंसा की कोई जगह नहीं है। यह देखना थोड़ा बुरा अहसास दिलाता है, जहाँ विलन ज़ोरदार और हीरो कमज़ोर दिखाया जाए।
पॉज़िटिव और निगेटिव पॉइंट
फिल्म की शुरुआत का काफी हिस्सा साधारण सा है, जिसे प्रकाश कुमार का बीजीएम ओवर ड्रामैटिक बना देता है। न जाने क्यों मेकर ने मीरा और मुरुगन की कहानी को बहुत छोटा करके दिखाया है। इन दोनों की केमिस्ट्री कमज़ोर दिखाई पड़ती है। सत्यराज ने यहाँ मीरा और अश्विन के पिता की भूमिका निभाई है, जो अपने दोनों बच्चों को बहुत प्यार करते हैं। अश्विन के द्वारा किए गए गलत कामों को ये नज़रअंदाज़ करते रहते हैं, जो थोड़ा ठीक नहीं लगता। एक समय ऐसा आता है कि लगता है कि सत्यजीत को अश्विन को अब मना करना चाहिए।

धनुष ने जिस तरह से रयान में अपने किरदार को मज़बूती से निभाया था, उस तरह का प्रदर्शन यहाँ थोड़ी कमी रहा। एक समय ऐसा आता है जब इडली कढ़ाई भावात्मकता की गहराई में गोते खाने लगती है। मेकर को फिल्म के माध्यम से यह बताना था कि विदेशों में नौकरी करने से अच्छा है परिवार के साथ रहना। बात करें अगर स्क्रीनप्ले की, तो इसमें थोड़ा सा जादुई टच तो देखने को मिलता है। मुरुगन जब बैंगकॉक में जॉब कर रहा होता है और इसके गांव में कुछ बुरा होने वाला होता है, तब इसे अचानक से इसका अहसास होता है, मानो कोई इसके तक बातों को पहुँचा रहा हो। छोटी-छोटी चीज़ों पर फिल्म में बहुत ध्यान दिया गया है। एक सीन में अश्विन और मुरुगन की लड़ाई हो रही होती है, जहाँ मुरुगन को नंगे पैर और अश्विन को महंगे जूते पहने दिखाया गया है।
निष्कर्ष
मेरी नज़र में यह एक डिसेंट फिल्म है, जिसे क्रिएटिव ढंग से पेश किया गया है। थोड़ी बहुत गलतियाँ हैं, जिन्हें आसानी से इग्नोर किया जा सकता है। आप इस फिल्म को अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर देख सकते हैं। मैं इसे दूँगा 5 स्टार में से 3 स्टार की रेटिंग।
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