dont look in the mirror short film review:ज़रा सोचे के आप कही जा रहे हो और रास्ते में आपको एक शीशा रक्खा मिले और उस पर लिखा हो फ्री ,तब आप उसे अपने घर ले आते हो और उसमे अपनी शक्ल को देखने लगते हो ।
और उस शीशे में खुद को देख कर आपको लगता है के आप बहुत ज़ादा खूबसूरत दिखाई दे रहे हो। जिस वजह से आपको वक़्त का अंदाज़ा नहीं रहता । बस हर वक़्त उसी में खोये रहते है। ये शीशा कोइ नार्मल शीशा नहीं होता। ये एक श्रापित शीशा है।
जब आपकी माँ आपसे मिलने आती है तो वो भी इस शीशे को देखती है और वो श्रापित शीशा उनको भी अपने सम्मोह के जाल में फसा लेता है आपकी माँ भी उस शीशे को देखने लगती है। अब कैसे आप दोनों इस श्रापित शीशे से बच कर निकल पाएंगे। ये सब जानने के लिए आपको ये शार्ट फिल्म देखनी होगी इस शार्ट फिल्म का नाम है डोंट लुक इन द मिरर ये फिल्म आप यूट्यूब पर फ्री में देख सकते है।
क्या सिखाती है ये सीरीज
ये सीरीज हमें सिखाती है के कभी-कभी हमारी क्रियोसिटी (जिज्ञासा) हम पर भारी पड़ सकती है। क्रियोसिटी का होना भी जरुरी है पर एक लिमिट में,खुद को इस तरह न बनाये के आप के अंदर हर एक चीज़ के बारे में जानने की (जिज्ञासा) बनी रहे ।
अगर आपको कुछ भी फ्री में मिल रहा है तो उसे लेना आपके लिए जरुरी नहीं है। अगर आपके पास वो चीज़ नहीं है तब आप उसे ले सकते है। इस शार्ट फिल्म में अगर ये लड़की उस मिरर को अपने घर न उठा कर लाती तो शायद इसके माँ और इसके साथ कुछ भी बुरा न होता।
ये शार्ट फिल्म हमें ये भी सिखाती है के हमें अपने बड़े-बूड़ो से सीखते रहना चाहिए क्युकी इनके पास ज़िंदगी का तजुर्बा होता है। जो इनसे हमें सीखने को मिल सकता है। वो ये समाज हमें कभी नहीं सिखा सकता ।
हमारे घर के बड़े बूढ़े हमेशा एक बात सिखाते है, के अनजान इंसान से बात मत करो और सड़क पर पड़ी किसी भी चीज़ को हाथ मत लगाओ। यही इस फिल्म में दिखाया गया है वो लड़की सड़क पर रक्खा शीशा अपने साथ अपने घर ले आती है जो की उसे नहीं लाना था।