हज़ारो खवाहिशे ऐसी ,खोया खोया चाँद,देने वाले मशहूर director sudhir mishra

director sudhir mishra

director sudhir mishra:फिल्म इंडस्ट्री के एक बहुत ही मशहूर डायरेक्टर और स्क्रीन राइटर जिन्होंने भारतीय सिनेमा को कई बेहतरीन फ़िल्में जैसे चमेली, धारावी, हज़ारों ख्वाहिशे ऐसी दी है जिन्हें लोगों का खूब प्यार मिला।सुधीर मिश्रा अलग जोनर की फ़िल्में बनाने के लिए जाने जाते है उनकी कहानियाँ लोगों को हसाने वाली होती है या फिर एक अलग लेवल का सस्पेंस क्रिएट करने वाली होती है। इंडस्ट्री के बहुत ही योग्य और अपनी कहानियों और निर्देशन से सिनेमा को भारी सहयोग देने वाले शख्स है सुधीर मिश्रा।

जापानी अकीरा कुरोसावा की सुधीर मिश्रा को सलाह –

जापान के एक बहुत ही मशहूर फिल्म मेकर और डायरेक्टर अकीरा कुरोसावा ने भारत के मशहूर डायरेक्टर और स्क्रिप्ट लेखक सुधीर मिश्रा को एक लाइफ चेंजिंग एडवाइस दी। सुधीर मिश्रा ने बताया की उनकी लाइफ में आज वो जो कुछ भी है उसके पीछे अकीरा कुरोसावा की सलाह है। अकीरा ने सलाह दी थी की अगर आप एक फिल्म मेकर है और आपको इंडस्ट्री में अपना नाम और काम लोगों को दिखाना है तो आपके पास कम से कम 20 स्क्रिप्ट होना बहुत ज़रूरी है।

अकीरा की सलाह के पीछे की क्या है स्ट्रेटजी –

दरअसल जब कोई फिल्म बनती है तो सबसे पहले उसके लिए स्क्रिप्ट तैयार की जाती है और फिर स्क्रिप्ट को प्रोडूसर्स को सुनाया जाता है और जब प्रोडूसर्स को स्क्रिप्ट पसंद आती है तब उसके अकॉर्डिंग फिल्म के लिए बजट निकाला जाता है उसके बाद फिल्म के बाकी काम जैसे कास्टिंग, डायरेक्टर, लोकेशन आदि काम होते है।


तो किसी फ़िल्म को बनाने के लिए सबसे ज़रूरी चीज है फिल्म की स्क्रिप्ट, के किस कहानी पर फिल्म बनाई जाये और उसके बाद फिल्म का बजट जो प्रोडूसर के द्वारा प्रोवाइड किया जाता है और प्रोडूसर बजट तभी देगा जब उसको स्क्रिप्ट में इंट्रेस्ट होगा। तो एक कामयाब फिल्म मेकर बनने के लिए सबसे जरूरी है की आपके पास प्रोडूसर को दिखाने लिए कम से कम 20 स्टोरी होनी ही चाहिये। अगर प्रोडूसर को एक स्टोरी पसंद न आये तो दूसरी, दूसरी पसंद न आये तो तीसरी ऐसे करके 20 में से एक तो पसंद आयेगी ही और आप ऐसा तभी कर सकते है जब आपको हर हाल में कामयाबी पाना ही है।

Sudhir Mishra As A Director

सुधीर मिश्रा फिल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन डायरेक्टर का जन्म उत्तर प्रदेश लखनऊ में 22 जनवरी 1959 में हुआ था और यहीं रहकर इन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की और फिर पुणे चले गए जहाँ भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान में इनके छोटे भाई सुधांशु मिश्रा ने शिक्षा प्राप्त की और अपने इसी छोटे भाई को सिनेमा से रिलेटेड सारे नॉलेज के लिए ज़िम्मेदार बताते है इसके साथ ही सुधीर मिश्रा ने देल्ही के एक इंस्टिट्यूट से मास्टर ऑफ़ फिलोस्फी की डिग्री हासिल की।


सुधीर मिश्रा ने एक डायरेक्टर के तौर पर अपनी पहली फिल्म साल 1987 में दी जिसका नाम ये वो मंज़िल तो नहीं था और स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर पहली फिल्म 1983 में जाने भी दो यारों की थी। ये सभी फिलमे अपने टाइम की सफल फ़िल्में थी। जिसके लिए इन्हें भारत के साथ साथ कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके है जो इस प्रकार है –


पहली फिल्म ये वो मंज़िल तो नहीं के लिए इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय पुरुकार इस डायरेक्टर ने अपने नाम किया।इसके अलावा फिल्म धारावी के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट फीचर फिल्म भी इस टैलेंटेड डायरेक्टर ने अपने नाम किया।साल 2006 में हज़ारों ख्वाहिशे ऐसी फिल्म के लिए बेस्ट स्टोरी के लिए फिल्म फेयर अवार्ड भी इस राइटर को मिला।मैं जिंदा हूँ के लिए 1989 में बेस्ट फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड दिया गया।

Sudhir Mishra Movies

बावरा मन, स्प्लिट वाइड ओपेन, अर्जुन पंडित, सजाये मौत, चमेली, मृत्युदंड, कुछ खट्टी कुछ मीठी, हमराज़, राहुल, खामोश, ठकरे, रात गई बात गई, मुंबई कटिंग, किरचियां,मेहरून निशा, सिकंदर, मैं जिंदा हूं, कल : यस्टरडे एंड टुमारो, ट्रैफिक सिग्नल, तेरा क्या होगा जॉनी, धारावी, खोया खोया चाँद, दास देव, इनकार, ये साली जिंदगी, सीरियस मैन, अफवाह आदि।

एडल्ट होते वक़्त क्या अपने भी बाथरूम में ज़ादा वक़्त बिताया था 

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  • arshi

    दोस्तों मेरा नाम अर्शी खान और मै एक प्रोफेशनल ब्लॉगर हूँ मै २१ वर्ष की आयु से मनोरजन से सम्बंधित सामग्री विभिन्न कार्य स्थलों को प्रदान कर चुकी हूँ मैंने भारत के कुछ बड़े मीडिया संस्थानों के साथ काम किया है जिनमे से एक है अमर उजाला मुझे फिल्मे देखना बहुत पसंद है और बॉलीवुड के विभिन्न प्रकार के मुद्दे पर चर्चा करना भी। अभी मै अपनी सभी सेवाये फिल्मी ड्रिप को दे रही हूँ मै आशा करती हूँ के मेरे द्वारा लिखे गए कॉन्टेंट लोगो को पसंद आये धन्यवाद।

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