‘विकियस’ (Vicious) एक साइकोलॉजिकल हॉरर फिल्म है, जोकि आम ज़िंदगी में अचानक घुस आई अजीबोगरीब घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। यह फिल्म दर्शकों को यह एहसास दिलाती है कि खतरा कभी भी कहीं भी छिपा हो सकता है, फिर चाहे वह आपका घर हो या फिर आपके पड़ोसी का। निर्देशक ने इस कहानी को इतनी बारीकी से बुना है कि शुरुआत से ही थ्रिल पैदा हो जाता है। मुख्य किरदार “पॉली” एक नौजवान लड़की की जिंदगी में एक बूढ़ी औरत का अचानक आना सब कुछ उलट पुलट कर देता है।
फिल्म की शुरुआत सर्दियों की ठंडी रात से होती है, जहां हवा में भी लगता है जैसे कोई आत्मा छुपी हो। फिल्म ‘विकियस’ डर और थ्रिल का ऐसा मिक्स है जो दर्शकों की रात भर नींद उड़ा सकती है। यह कोई साधारण भूतिया कहानी नहीं बल्कि हेलुसीनेशन पर आधारित है जोकि असल जिंदगी के डर को छूती है। अगर आप हॉरर फिल्मों के शौक़ीन हैं जो सुपरनैचुरल से ज्यादा दिमागी खेल पसंद करते हैं तो यह फिल्म आपके लिए परफेक्ट है।
कहानी:
कहानी पॉली के इर्द-गिर्द बुनी गई है जो एक सामान्य शाम में एक अजनबी बूढ़ी औरत से टकराती है। वह औरत पानी मांगने आती है लेकिन बातें जल्दी ही अजीब हो जाती हैं, मौत की भविष्यवाणियां, अजीब सलाहें और एक रहस्यमयी बॉक्स। पॉली शुरू में इनकार करती है और उसे दूर भगा देती है लेकिन घटनाएं उसका पीछा नहीं छोड़तीं। हेलुसीनेशन शुरू हो जाते हैं जैसे अजीब आवाजें, परिवार की यादें और ऐसा लगना जैसे कोई हमेशा पीछे खड़ा हो।
फिल्म का प्लॉट एक चेन रिएक्शन जैसा है जहां एक व्यक्ति का फैसला दूसरे पर सीधे असर डालता है। पड़ोसी तारा और पॉली की भांजी एलाइ जैसे किरदार कहानी को और गहराई देते हैं, दिखाते हुए कि यह श्राप या रहस्य कितनी तेजी से फैल सकता है। बॉक्स का रहस्य फिल्म का केंद्र बिंदु है जोकि एक श्राप की तरह काम करता है क्योंकि वह ठुकराने पर भी वापस लौट आता है।
बिना स्पॉइलर के कहूं तो, प्लॉट में ट्विस्ट्स ऐसे हैं जो चौंकाते हैं जैसे टीवी पर अचानक चलने वाली पुरानी यादें या रेत की घड़ी जो रुक सी गई हो। इस कहानी का संदेश साफ है अजनबी चीजों को ठुकराना आसान नहीं लगता, वह बार-बार लौट आती हैं और इंसान को खुद पर शक करने पर मजबूर कर देती हैं। प्लॉट कभी कभी भ्रमित करता है लेकिन यही इसकी ताकत है।
अभिनय
अभिनय के मामले में ‘विकियस’ कमजोर नहीं है, कैथरीन हंटर बूढ़ी औरत के रोल में इतनी डरावनी हैं कि उनकी एक नजर ही रूह कांपा देती है। उनकी डिकेड फिगर और अजीबोगरीब डायलॉग डिलीवरी फिल्म को एक अलग ही लेवल पर ले जाती है। पॉली का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस घबराहट, डर और पागलपन के एक्सप्रेशंस को बखूबी दिखाती है,खासकर उन सीनों में जहां वह हेलुसीनेशन से जूझ रही होती। सपोर्टिंग कास्ट भी शानदार है, पड़ोसी तारा की एक्ट्रेस का बिहेवियर चेंज सीन दिल दहला देता है जबकि एलाइ का किरदार स्टोरी में इमोशनल टच जोड़ता है। परिवार के सदस्यों की आवाजें और यादें इतनी रियल लगती हैं कि लगता है वे असल में वहीँ मौजूद हैं।
तकनीकी पहलू
तकनीकी रूप से फिल्म टाइट है निर्देशन में छोटे-छोटे डिटेल्स जैसे घर के अंदर की अंधेरी सेटिंग्स या दीवार पर लिखे मैसेज (‘किसी पर भरोसा मत करो’) मन में घर कर जाते हैं। सिनेमेटोग्राफी डार्क और ब्लरी है जोकि हेलुसीनेशन का परफेक्ट एहसास दिलाती है, नीली लाइट्स और शैडोज थ्रिल बढ़ाते हैं। साउंड डिजाइन फिल्म की जान है, फुसफुसाहट, अचानक शोर और दिल की धड़कन जैसी साउंड्स दर्शक को कर अचम्भा कर देती हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक मिनिमल लेकिन इफेक्टिव है जो साइलेंस में ही डर पैदा करता है।ओवरऑल प्रोडक्शन वैल्यू हाई है जो लो बजट हॉरर की बजाय प्रोफेशनल फील देती है।
निष्कर्ष
‘विकियस’ (Vicious) हॉरर दर्शकों के लिए एक बिंज वॉच फिल्म है, जोकि सुपरनैचुरल से ज्यादा मानसिक डर और साइकोलॉजिकल टेंशन पसंद करते हैं। फिल्म चेतावनी देती है कि हकीकत और भ्रम की लाइन कितनी पतली है। फिल्म का अंत कई सवाल छोड़ता है जैसे की क्या राहत हमेशा के लिए है या चक्र फिर शुरू हो जाएगा? हालाँकि मजबूत प्लॉट और परफॉर्मेंस के बावजूद कुछ पार्ट्स थोड़े स्लो लग सकते हैं। रेटिंग 3/5.
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