कास्ट:- तृष्णा कृष्णा ,इंद्रजीत सुकुमरन,जया प्रकाश ,आमानी ,रविंद्र विजय ,आनंदसामी,रकेंदु
स्क्रीन प्ले :-जय कृष्णा,पद्मावती
डायरेक्टर राइटर:-सूर्या मनोज वंगला
Brinda Review Hindi: सूर्या मनोज वंगला के राइटिंग और डायरेक्शन में बनाई गयी एक तेलगु वेब सीरीज जो की सोनी लिव के OTT प्लेटफार्म पर रिलीज़ हुई है। बृंदा एक क्राइम थ्रीलर सीरीज है जिसमे हमें नज़र आएंगे तृषा कृष्णन,इंद्रजीत सुकुमारन और जया प्रकाश। साऊथ की फिल्मो में हमेशा से हमें एक नया पन देखने को मिलता है पर वही अगर साउथ फिल्म इंडस्ट्री की वेब सीरीज की बात की जाये तो इनमे हमें वो इंटरटेनमेंट देखने को नहीं मिलता है जोकि इनकी फिल्मो को देख कर हमें मिलता।
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अब Brinda शो कैसा है क्या आपको इस शो को अपना टाइम देना चाहिए या नहीं इन्ही सब बातो को आज हम एक्सप्लोर करेंगे अपने इस आर्टिकल में।शो में तृषा कृष्णन यानि की बृंदा ने एक पुलिस एस आई का करेक्टर प्ले किया है। कहानी की शुरुआत कुछ ऐसे होती है के कुछ मर्डर हो रहे है और पुलिस को ऐसा लगता है के ये मर्डर नहीं सुसाइड है पर बृंदा को पता होता है के ये मर्डर ही है और वो इसके सबूत ढूंढ़ने में लग जाती है के आखिर इन मर्डर को किसने और क्यों किया।
अगर आपको जानना है के शो में आगे क्या होता है तो आपको इसे सोनी लिव के OTT प्लेटफार्म पर जाकर इसके आठ एपिसोड देखने होंगे सभी एपिसोड की लेंथ की बात करे तो 40 से 45 मिनट के एपिसोड दिखाये गए है। इस बात की तो गारंटी है के ये शो आपको 100 % इम्प्रेस करने वाला है। शो में दिखाए गए ट्विस्ट और टर्म थ्रिल मूमेंट आपको शो में पूरी तरह से इंगेज रखते है। आपको ऐसा बिलकुल भी नहीं लगेगा इन आठ एपिसोड को देख कर के आपका टाइम खराब हुआ है।
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शो के ट्रेलर को देख कर शायद आपको ऐसा लगता होगा के इस तरह के शो हम पहले भी देख चुके है जिसमे मर्डर होते है और लास्ट में मर्डर करने वाले को ढूंढ लिया जाता है वही घिसी पिटी स्टोरी को एक बार फिर से दोहराया गया है पर इस शो में ऐसा बिलकुल भी नहीं है। शो में कुछ ऐसे ट्विस्ट और टर्म हमें देखने को मिलते है जो इसकी स्टोरी को बिलकुल अलग कर देते है जिसमे हमे नया पन देखने को मिलता है।
बृंदा के एपिसोड फाइव में हमें ऐसा कुछ देखने को मिलता है जो दिमाग को पूरी तरह से हिलाने में कामयाब रहा है। शो के जितने भी ट्विस्ट और टर्म है वो सभी सातवे एपिसोड तक आपको दिखा दिए जाते है पर फिर भी ये शो आप को लास्ट तक बोर नहीं करने वाला आप शो मे लास्ट तक वैसे ही बने रहेंगे। ये शो कही-कही पर आप को असुर जैसा फील कराता है वैसे इसमें असुर जैसा तो कुछ नहीं है पर फिर भी फील आपको बिलकुल वैसा ही लगने वाला है।
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शो के हर करेक्टर की लाइफ को पूरी तरह से एक्सप्लेन किया गया है फिर चाहे वो बृंदा हो या वो सीरियल किलर हो यही वजह है के हम शो के सभी मेन करेक्टर से खुद को कनेक्ट कर पाते है। तृषा की एक्टिंग की बात की जाये तो इनका ये अपना पहला OTT शो है और इन्होने इस शो में बहुत ही कमाल काम किया है। Indrajith Sukumaran ने भी शो में बखूबी अपने करेक्टर को प्ले किया है।
शो का बीजीएम प्रोडक्शन वैलु सिनेमाटोग्रफी कलर ग्रेडिंग काफी इम्प्रेसिव है। शो के कुछ निगेटिव पॉइंट भी है वो ये है के इसका क्लाइमेक्स देख कर ऐसा लगता है के बहुत जल्दबाज़ी में सब कुछ खत्म किया गया है कलाइमेक्स को देख कर ऐसा लगता है के इससे और अच्छा बनाया जा सकता था पर सब कुछ बहुत जल्दबाज़ी में किया गया हलाकि शो की कहानी को पूरी तरह से इसी सीजन में खत्म कर दिया गया है।
इसका मतलब ये है के आपको इसके सीजन 2 का इंतज़ार नहीं करना है शो को आप फैमिली के साथ देख सकते है बस एक छोटा सा किस और एक गाली है जिसे आपको फेस करना होगा बाकी पूरी कहानी फैमिली फ्रेंन्ड्ली है।
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कुछ निगेटिव पॉइंट
बृंदा की डबिंग बेहद खराबा है एक अच्छी स्टोरी को ख़राब करती है ये डबिंग अगर किसी फिल्म की डबिंग ठीक से नहीं की जाए तो पूरी की पूरी स्टोरी की वाट लग जाती है ऐसा ही कुछ बृंदा के डबिंग के साथ हुआ है ख़ास कर बृंदा की आवाज़ जो तृषा के ऊपर किसी भी तरह से फिट नहीं बैठ रही और ये आवाज़ अपना जीरो इम्पेट छोड़ रही है। फिल्म की डबिंग की वजह से फिल्म बोर लगने लगती है।
बृंदा को हद से ज़ादा खीचा गया है इस सीरीज को पांच एपिसोड में ही पूरा कर देना चाहिए था आठ एपिसोड की कोई भी जरूरत नहीं थी। बृंदा की बात की जाए तो एक और निगेटिव पॉइंट ये है के फिल्म में बहुत से पत्ते पहले ही खोल दिए जाते है जिससे जितना भी सस्पेंस और थ्रलर होता है उन सब का बंटा ढार हो जाता है सातवे एपिसोड में ऐसा लगने लगता है के हम ये शो क्यों देख रहे है सबकुछ तो पहले ही पता लग चुका होता है।
फिल्म में लोजिक की कमी है बहुत से सीन ऐसे है जिनको बिना सर पैर के दिखाया गया है फिल्म में ठाकुर का किरदार पागल सा दिखाया गया है पर वो पागल हो कर भी सब कुछ समझता है हर एक चीज़ की उसे नॉलेज होती है। लास्ट के सीन में जब ठाकुर को पकड़ लिया जाता है तब वो पत्थर मार कर पोलिस वालो को वहा से भाग निकलता है ये सींन बिलकुल भी हज़म नहीं होता।