18 अक्टूबर 2024 को एक फिल्म रिलीज हुई है, जिसकी अधिकतर शूटिंग वाराणसी, उत्तर प्रदेश में की गई है। इस फिल्म की खासियत है इसका बजट, जो बहुत ज्यादा हाई तो नहीं है, बल्कि एक लो-बजट फिल्म है, लेकिन इसके कॉन्टेंट का जो कॉन्सेप्ट लिया गया है, वो बहुत ज्यादा हाई लेवल का है। एक ऐसी फिल्म जिसे आपको देखना ही चाहिए अपने समाज के उत्थान के लिए। फिल्म का प्रोडक्शन अल्टेयर मीडिया, गुड आइडिया फिल्म्स, स्पंक प्रोडक्शन्स के द्वारा किया गया है।
फिल्म की कहानी शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले घोटालों पर आधारित है, किस तरह शिक्षा के नाम पर बड़े-बड़े 2 नंबर के काम चलाए जा रहे हैं। फिल्म का मुख्य मकसद शिक्षा से जुड़े स्कैम को रोकना और हर क्षेत्र, हर वर्ग, हर घर और हर इंसान को शिक्षा देना है।
इस बेहतरीन फिल्म के निर्देशक हैं प्रदीप खैरवार और फिल्म की कहानी के लेखक हैं कबीर केवल, प्रदीप खैरवार और अतुल श्रीवास्तव। इन सबने मिलकर एक शानदार फिल्म बनाई है, जो एक बहुत बड़े मैसेज के साथ दर्शकों के सामने रखी गई है। फिल्म के मुख्य कलाकार हैं कशिका कपूर (गीता), अनुज सैनी (कुंदन), अतुल श्रीवास्तव (विद्या धर), अलका अमीन (मालती देवी) आदि।
आइए जानते हैं फिल्म की कहानी के बारे में, कैसी है फिल्म की कहानी, क्या आपको ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं।
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी की शुरुआत बनारस से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गाँव से शुरू होती है, जहाँ के निवासी अतुल श्रीवास्तव, जो फिल्म में विद्या धर के रोल में हैं, फिल्म की लीड फीमेल करैक्टर गीता के पिता का रोल निभा रहे हैं, अपनी बेटी गीता की मैट्रिक शिक्षा पूरी होने के बाद शादी करने पर जोर देते हैं। फिल्म में न सिर्फ बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ पर जोर दिया गया है, बल्कि हर महिला को पढ़ाओ और शिक्षित बनाओ पर ज़ोर दिया गया है।
कहानी में ट्विस्ट आपको तब देखने को मिलेगा, जब गीता के लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आता है, लेकिन गीता अपनी मैट्रिक पास करने में फेल हो गई है, जिसकी वजह से गीता के पिता इस रिश्ते को मना कर देते हैं, वो भी इसलिए कि जब तक गीता मैट्रिक पास नहीं करेगी, तब तक उसकी शादी नहीं होगी। फिल्म पूरी तरह से महिलाओं के सशक्तिकरण पर ज़ोर देती है।
सपोर्टिंग करैक्टर्स के आगे मेन करैक्टर्स की एक्टिंग रही कम
फिल्म के मुख्य कलाकार कशिका कपूर और अनुज सैनी, जो गीता और कुंदन के रोल में हैं, एक्टिंग के मामले में अच्छा प्रदर्शन देने में कामयाब नहीं रहे। दोनों ही कलाकारों की एक्टिंग को अभी काफी निपुणता की ज़रूरत है, एक बेहतरीन कहानी, बेहतरीन कॉन्सेप्ट और बेहतरीन डायरेक्शन के बावजूद दोनों की एक्टिंग बिलकुल फीकी रही।
अभी दोनों को अपने एक्सप्रेशन और एक्टिंग पर काफी काम करना है, बेस्ट एक्टर बनने के लिए। जबकि और जो भी सपोर्टिंग करैक्टर हैं, स्पेशली अलका अमीन, अतुल श्रीवास्तव और पर्णय दीक्षित, सबकी एक्टिंग देखने के बाद आप इस फिल्म के दीवाने हो जाएंगे।
निष्कर्ष
भले ही एक छोटे बजट की छोटी फिल्म है, लेकिन जितने बड़े सब्जेक्ट को दिखाया गया है, वो लाजवाब है। इस फिल्म की कहानी आपको लास्ट तक जोड़े रखेगी और समाज में बदलाव लाने का मैसेज पहुंचाती है। अगर आपको ऐसी फ़िल्में देखना पसंद हैं, जिसमें हंसी-मजाक के साथ एक सीरियस कहानी दिखाई जाए, तो ये फिल्म आपके लिए है, जिसे देखने के लिए आपको 2 घंटे 17 मिनट का टाइम निकालना होगा। मेरी तरफ से इस फिल्म को 5 में से 4* की रेटिंग दी जाती है।
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