अमेज़न प्राइम वीडियो पर १४ अगस्त २०२५ को आई वेब सीरीज ‘अंधेरा’ एक दिमागी बिमारी और सस्पेंस से भरी हुई कहानी है, जो 14 अगस्त से शुरू हुई। यह सीरीज 8 हिस्सों की है और इसमें भूत-प्रेत और दिमागी बीमारियों के बारे में दिखाया गया है। गौरव देसाई ने इसे बनाया है और राघव डार ने इसे निर्देशित किया है।
इसमें करनवीर मल्होत्रा (जय शेठ), प्रिया बापट (इंस्पेक्टर कल्पना कदम), प्रजक्ता कोली (रूमी, जो भूतों के बारे में वीडियो बनाती है), सर्वीन चावला (आत्मा हीलिंग सेंटर की मैनेजर आयेशा), प्रणय पचौरी (डॉ. पृथ्वी शेठ) और वत्सल सेठ जैसे कलाकार हैं।
यह शो मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच अंधेरे की एक सस्पेंस से भरी हुई काली शक्ति की ताकत के बारे में है, जिसमें विज्ञान और डर का मेल है। इसका हर एक एपिसोड 45-50 मिनट का है और यह नौजवानों के डर और अकेलेपन के बारे में बताती है, लेकिन क्या यह वेब सीरीज़ दर्शकों को उतनी ही डरावना लगेगी? आइए जानते हैं।
कहानी क्या है?
कहानी मुंबई की रातों में शुरू होती है, जहाँ एक औरत बनी बरुआ एक होटल के कमरे में परेशान नजर आती है। वह डॉ. पृथ्वी शेठ से मदद मांगती है, लेकिन एक अंधेरी शैतानी शक्ति दीवारों से निकलकर उसे खा जाती है और वह अचानक गायब हो जाती है।

पुलिस जांच में इंस्पेक्टर कल्पना कदम आती है जो केस सुलझाने की कोशिश करती है, लेकिन हर सुराग उसे और उलझा देता है। इसी बीच मेडिकल स्टूडेंट जय शेठ को तरह-तरह की दिखावटी चीजें दिखती हैं, जहाँ वह बनी को अंधेरे से लड़ते देखता है। पता चलता है कि पृथ्वी जो बेहोश है, जय का बड़ा भाई है और बनी का उन दोनों से कुछ लेना-देना है।
जय मदद के लिए रूमी के पास जाता है, जो एक यूट्यूब चैनल चलाती है जहाँ भूतों के बारे में बात होती है। तीनों मिलकर इस ‘अंधेरे’ की सच्चाई ढूंढने निकलते हैं, जो एक हीलिंग सेंटर की आत्मा से जुड़ा है। यहाँ कुछ प्रयोग हो रहे हैं जो इंसानी दिमाग को काल्पनिक दुनिया में ले जाते हैं, लेकिन यह अंधेरा क्या है?
कोई भूत, विज्ञान से जुड़ी चीज या फिर सिर्फ एक दिमाग का खेल? कहानी धीरे-धीरे खुलती है, रहस्य बनाती है और आखिर में एक बड़े मोड़ के साथ खत्म होती है, जिसमें अमर होने के ख्याल भी शामिल हैं। यह सब नौजवानों के अंदर के डर को दिखाता है, जैसे अकेलापन और कुछ समझ न आना।
तकनीकी बातें
‘अंधेरा’ की सिनेमेटोग्राफी, जहाँ स्पेशल इफेक्ट से बने सीन काफी असली लगते हैं, जैसे अंधेरी शक्ति का डरावना होना, जो Stranger Things जैसा लगता है लेकिन शो के अपने अंदाज में। केतन सोढ़ा का बैकग्राउंड म्यूजिक मन को घबराने वाला है, जो बिना अचानक डराए ही दहशत पैदा करता है।

राघव डार का निर्देशन कैसा है?
निर्देशक राघव डार ने शो को धीरे-धीरे बिल्ड होने वाला थ्रिल दिया है, जहाँ डर को आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ाया गया है। उनका ध्यान डरावने माहौल पर है जिसने मुंबई की सड़कों को और ज़्यादा भयानक बना दिया है।
राघव के निर्देशन में सब्र तो दिखता है लेकिन कभी-कभी कहानी की रफ्तार धीमी हो जाती है। दार ने डर और विज्ञान को मिलाया है जो बड़ा काम है लेकिन काहनी में आने वाले कुछ मोड़ पहले से ही समझ में आ जाते हैं।
सीरीज की कमियाँ
- ‘अंधेरा’ वेब सीरीज की सबसे बड़ी कमी है इसकी रफ्तार, इसके पहले चार एपिसोड खिंचे हुए लगते हैं, जहाँ किरदारों का इंट्रो होता है।
- शो में दिखाई गयी अन्य कहानियाँ, जैसे कल्पना की निजी जिंदगी और उसके रिश्ते पूरी तरह नहीं खुलते, जो कहानी को कमजोर कर देते हैं।
- इस शो की कुछ चीजें Stranger Things से मिलती-जुलती लगती हैं, जैसे डरावनी शक्तियां और राक्षस, जो इस सीरीज़ की यूनिकनेस को कम करते हैं।
- डर का असर कम है क्योंकि आने वाले ट्विस्ट पहले से ही पता चल जाते हैं और शो के एंडिंग में जोश की कमी है।

सीरीज की अच्छाइयाँ
- शो की सबसे बड़ी ताकत है इसका माहौल और दहशत पैदा करने का तरीका, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है।
- कलाकारों की एक्टिंग बहुत अच्छी,जिसमे प्रिया बापट का मजबूत किरदार,करनवीर मल्होत्रा सॉफ्ट टच और प्रजक्ता कोली का ह्यूमर शामिल है।
- दिमागीबिमारियों और यूथ की चिंताओं को छूना,इस सीरीज़ की बड़ी अच्छाई है ।
- बैकग्राउंड सीन्स और दहशत का मेल दिल दहला देने वाला है, जो बिना झटका दिए ही डर पैदा करता है।
निष्कर्ष
‘अंधेरा’ एक अच्छी डरावनी और रहस्य से भरी हुई कहानी है, जो माहौल और कलाकारों की एक्टिंग से प्रभावित करती है, लेकिन इसकी सुस्त रफ्तार और कहानी पहले से पता चल जाने की वजह से यह अपना पूरा असर नहीं दिखा पाती। अगर आपको धीरे-धीरे चलने वाला सस्पेंस पसंद है, तो यह वेब सीरीज देखने लायक है, लेकिन जो लोग ज्यादा डरावनी कहानियां देखना पसंद करते हैं तो उन्हें थोड़ा निराशा हो सकती है।
कुल मिलाकर ये एक अच्छी कोशिश है लेकिन बेहतर पटकथा के साथ यह और भी यादगार बन सकती थी, देखें प्राइम वीडियो पर। मैं इसे 3.5/5 स्टार दूंगा।
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