The substance:मॉडल लड़की का जवान दिखने का नशा, साइंस फिक्शन और हॉरर से भरी इस मूवी में क्या है खास?

The substance review in hindi

The substance review in hindi:प्राइम वीडियो के प्लेटफार्म पर एक नई फिल्म रिलीज की गई है जिसका नाम ‘द सब्सटेंस‘ है। फिल्म की भाषा इंग्लिश है जिसकी लेंथ दो घंटा 20 मिनट की है बात करें

इसके जॉनर की तो यह हॉरर एंड साई फाई कैटेगरी में आता है। जिसका डायरेक्शन और स्टोरी राइटिंग ‘कोरली फ़ार्गेट नेक’ है जिन्होंने इससे पहले भी: रिवेंज और सेंड मैन जैसे टीवी शोज़ में अपना डायरेक्शन दिया है।

फिल्म की कहानी एलिजाबेथ नाम की लेडी पर आधारित है जो कि पेशे से एक मॉडल है, और एक बड़ी मॉडलिंग एजेंसी की स्टार मॉडल के रूप में लोग इसे जानते हैं।

कहानी- “फिल्म की स्टोरी हमेशा जवान रहने के कॉन्सेप्ट पर बनी है” जिसमें फिल्म की मुख्य किरदार ‘एलिजाबेथ’ जो की एक टॉप मॉडल है जिसे उम्र ढल जाने के बाद अपने फेम को खोने का डर और पैसों का लालच, एलिजाबेथ को एक ऐसे अंधे कुएं में धकेल देता है

जिससे निकल कर वापस आना नामुमकिन है। एलिजाबेथ को एक दिन अपने बॉस के द्वारा यह सुनने को मिलता है कि वह जल्दी 50 साल की होने वाली है इसके बाद यह मॉडलिंग एजेंसी उसे रिटायर कर देगी,

यह बात एलिजाबेथ को किसी भी कीमत पर मंजूर न थी इसके बाद वह हमेशा जवान बने रहने का एक एडवर्टाइजमेंट देखती है और बिना कुछ सोचे समझे इस हमेशा जवान रहने की स्कीम में हिस्सा लेने चली जाती है।

जिसमें उसे एक इंजेक्शन और कुछ चीजे सीक्रेट तौर पर दी जाती हैं। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब उसे इस दवा के साइड इफेक्ट और नियम के बारे में बताया जाता है

जिसमें जो भी इस दवाई को अपने अंदर इंजेक्ट करेगा उसे हर 7 दिन बाद अपने पुराने शरीर से उसका बोन मैरो लेना होगा और खुद की बॉडी पर इंजेक्ट करना होगा।

इतना सब सुनने के बाद भी एलिजाबेथ यहां नहीं रुकती और इसका इस्तेमाल करने के लिए एग्री हो जाती है आगे की कहानी में हमें इस दवाई के साइड इफेक्ट और किस तरह से एलिजाबेथ को अंत में पछतावा होता है यही सब कहानी में दिखाया गया है

जिसका क्लाइमैक्स अगर आप जानना चाहते हैं तो आपको देखनी पड़ेगी या फिल्म जो की प्राइम वीडियो के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इंग्लिश में उपलब्ध है।

टेक्निकल एस्पेक्ट- फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी काफी लो है, जो की देखने में साफ नजर आता है। फिल्म का बीजीएम इसकी थीम से मैच खाता है जो की ठीक-ठाक है। फिल्म में मेकर्स ने इसके कैरक्टर
डेवलपमेंट पर बिल्कुल भी काम नहीं किया है जिस कारण से आप इसके किसी भी किरदार से जुड़ाव नहीं महसूस कर पाते।

खामियां- इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसकी लेंथ है जिसे 2 घंटे में ना दिखा कर डेढ़ घंटे का किया जा सकता था। फिल्म के एडिटिंग बहुत ही खराब तरीके से की गई है जिसमें कई सारे लंबे-लंबे सीन्स दिखाए गए हैं जिनकी कोई भी जरूर फील नहीं हो रही थी।

फाइनल वर्डिक्ट- अगर आपको साइंस फिक्शन फिल्में देखने में इंटरेस्ट है और ‘रेसीडेंट इविल’ जैसी फ़िल्में देख कर आप उत्साहित महसूस करते हैं तो यह फिल्म सिर्फ आपके लिए है। हालांकि मूवी के कॉन्सेप्ट में कुछ भी नयापन नहीं है पहले भी अपने इस तरह की सैकड़ों फिल्में देख रखी होगी।
फिल्म में न्यूडिटी भर भर कर दिखाई गई है जिसके कारण आप इसे अपनी फैमिली के साथ बिल्कुल भी नहीं देख सकते।

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  • movie reviewer

    हेलो दोस्तों मेरा नाम अरसलान खान है मैने अपनी ब्लॉगिंग की शुरवात न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला लखनऊ से की थी अभी के टाइम पर मै कई मीडिया संस्थानों के साथ जुड़ा हुआ हूँ और अपनी सेवाएं उन्हें प्रदान कर रहा हूँ उनमे से एक फिल्मीड्रीप है मै हिंदी इंग्लिश तमिल तेलगु मलयालम फिल्मो का रिव्यु लिखता हूँ । आशा करता हूँ के मेरे द्वारा दिए गए रिव्यु से आप सभी लोग संतुष्ट होते होंगे धन्यवाद।

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