नसीरुद्दीन शाह विजय वर्मा और फातिमा सना शेख की नयी फिल्म का नाम है “गुस्ताखे इश्क” जिसे हम आम जुबान में बेधड़क मोहब्बत भी बोल सकते है।निर्देशक विभू पुरी और प्रोड्यूसर मणिश मल्होत्रा की यह फिल्म सिनेमा घरों में 28 नवंबर 2025 को रिलीज हो रही है। आज का दौर है एक्शन साइंस फिक्शन रिवेंज क्राइम सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों का, इस तरह के माहौल में एक बिलकुल अलग सब्जेक्ट पर फिल्म को लाना वाकई कबीले तारीफ है।
गुस्ताखे इश्क का ट्रेलर यूट्यूब पर रिलीज कर दिया गया है इस ट्रेलर को देख कर ऐसा लगा मानो किसी लाइब्रेरी में रखी पुरानी किताब की धूल से बनी भीनी भीनी कागज की खुशबू वाली कहानी हो जो दिल को एक अलग तरह का सुकून देकर जाए। ये फिल्म फास्ट चलने वाली नहीं बल्कि पुरानी हवेली में धीरे धीरे चल कर राहत की साँस देने वाली है। जहां प्रोडक्शन वैल्यू इसके डायलॉग के आगे फीके से पड़ रहे है। जिन दर्शकों ने कभी इश्क किया होगा वो इस ट्रेलर से खुद को आसानी से जोड़ पाएंगे।

नसीर , विजय राज और फातिमा की बेदाग खूबसूरती से सजा शायराना सफर
गुस्ताखे इश्क की कास्टिंग शानदार है मिर्जापुर वेब सीरीज से अपनी शानदार एक्टिंग के बल पर पहचान बनाने वाले विजय राज के साथ नसीरुद्दीन शाह और फातिमा सना शेख साथ ही विशाल भारद्वाज का म्यूजिक और गुलजार के लिरिक्स इसे और भी शायराना बना देते है। फिल्म में विजय राज (नवाबुद्दीन सैफुद्दीन रहमान के कैरेक्टर में दिखाई देंगे और फातिमा सना एक टीचर की भूमिका में जो अजीज यानि की नसीरुद्दीन शाह की बेटी है।
नसीरुद्दीन शाह अज़ीज़ साहब, एक मशहूर शायर है शरीब हाशमी का भी एक छोटा पर मजबूत रोल होने वाला है हालांकि ट्रेलर में उनकी एक झलक ही देखने को मिलती है। जेब में कलम रखने से शायर नहीं बनोगे कलम जख्मों पर रखनी पड़ती है जैसे डायलॉग से ही पता लग जाता है कि राइटिंग की खूबसूरती क्या है। 2 मिनट 30 सेकंड का यह ट्रेलर पुरानी दिल्ली की गलियों से होकर पंजाब तक का अपना सफर पूरा करता है।

फातिमा सना शेख टीचर की भूमिका में है जो बच्चों को उर्दू पढ़ाती है फातिमा को बिना मेकअप के दिखाया गया है और वो मेकअप के बिना बेहद खूबसूरत दिखाई पड़ रही है। नसीर साहब को जब जब स्क्रीन पर दिखाया गया है ट्रेलर खुद में क्लासिक फील देने लगता है। नसीर साहब उम्र की उस दहलीज पर है जहां कुछ भी बनावटी सा नहीं है बस एक उदासी और जो न कर सके उसका दर्द साफ इनके चेहरे पर दिखाई दे रहा है।
वक्त की धूल में लौट जाना”
ये फिल्म आज की जेन जी के लिए एक संदेश होगी कि लव लेटर वाला इश्क रूहानी हुआ करता था जहां सब कुछ पा लेना ही नहीं था बल्कि ना पा कर भी खुश रहा जा सकता था। गुस्ताखे इश्क पास्ट को फ्यूचर से जोड़ने का जरिया बनने वाली है।

दिल को राहत देने वाला म्यूजिक और टेक्निकल पॉइंट
डीओपी मनुष नंदन के विजुअल कुछ कुछ इश्किया और डेढ़ इश्किया फिल्म की याद दिलाते है पंजाब के खेतों की हरियाली और दिल्ली की तंग गलियां पुराने समय की याद दिलाते है जब हम अपने दादा दादी से कहानियां सुना करते थे। आज के दौर में कहानियां दादा दादी नहीं बल्कि यूट्यूब सुनाता है। सिनेमाटोग्राफी ऐसी कि मानी किसी पुराने पेंटर की पेंटिंग हो। जैसे कि कभी ट्रक के पीछे सिर झुकाए बैठी हुई महिला की पेंटिंग हुआ करती थी और नीचे लिखा होता था घर कब आओगे।
विशाल भारद्वाज का कम्पोजिशन और गुलजार साहब के बोल और अरिजीत सिंह की आवाज कातिलाना है ऐसा लगता है कि कार में बैठ कर लंबे सफर पर निकल जाऊ बस गाने सुनते सुनते। गुस्ताखे इश्क वो हवा बनने वाली है जो दिल्ली की हवा को भी साफ कर देगी। उर्दू को चाहने वाले और पुराने समय को फिर से जीने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए यह एक बेस्ट ऑप्शन बनने वाली है।
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