बारामूला वाघा सीमा के पास पाकिस्तान की सीमा से जुड़ा कश्मीर का एक जिला है जिसकी जनसँख्या लगभग 11.32 लाख से अधिक होगी जो वुलर झील जैसी प्राकृतिक सुंदरता के साथ सेबों के बागानों के लिए भी प्रसिद्ध है। नेटफ्लिक्स पर निर्देशक आदित्य सुहास जांभले की बारामूला सात नवंबर 2025 से रिलीज की गई है यहां मनव कौल: डीएसपी रिदवान सय्यद की भूमिका में है जिले में एक बच्चा गायब हुआ है यह बच्चा एक बड़े पॉलिटिक्स का है अब उस बच्चे को किसने और क्यों गायब किया है इस सिम्पल सी कहानी को बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न देकर पेश किया गया है।

कहानी (स्पॉयलर अलर्ट)
अक्सर गांव में जादू का करतब दिखाने वाले आते है ऐसा ही एक दिन हुआ जब रात के समय जादूगर करतब दिखा रहा है जैसे ही जादूगर कहता है के मेरे इस जादुई बॉक्स से कौन गायब होना चाहता है, तभी शोएब अंसारी नाम का एक 13 साल लड़का हाथ उठाता है। लड़का बॉक्स में जाता तो है पर वापस नहीं आता वो कहाँ जाता है कौन उसे बॉक्स से गायब करता यही फिल्म की मिस्ट्री बनी हुई है। शक जादूगर पर है पर अगर उसने गायब किया तो फिर वो वहाँ मौजूद क्यों था उसे तो भाग जाना चाहिए था इस केस की गुत्थी को सुलझाने की जिम्मेदारी डीएसपी रिदवान शाफी सय्यद को दी जाती है। गायब हुए बच्चे शोएब अंसारी इस्माइल अंसारी के पिता क्षेत्रीय विधायक इस्माइल अंसारी है जो एक रसूखदार आदमी है। डीएसपी रिदवान शाफी सय्यद की अतीत की कुछ यादें साथ नहीं छोड़ रही है वो अतीत की खराब यादें क्या थी ये सब तो फिल्म देख कर ही पता लगाना होगा ।

मिस्टीरियस तथ्य (मिस्टीरियस कमरा और गायब हुए बच्चों का अलौकिक रहस्य)
एक दिन डीएसपी रिदवान सय्यद के घर की दीवार पर कोई खून से काफिर लिख देता है इस घटना से इनकी पत्नी को गहरा सदमा पहुँचता है अब डीएसपी रिदवान सय्यद तो मुस्लिम है तो फिर उसे कौन है जो काफिर का नाम देना चाहता है ?
डीएसपी रिदवान सय्यद के घर में वैसे तो बहुत से कमरे है पर एक कमरा मिस्टीरियस है जिसमें कुत्ते की बदबू और डीएसपी रिदवान शाफी सय्यद का नौकर अक्सर खाना ले जाता दिखाई देता है अब उस कमरे में कौन है क्या कोई इंसान है या फिर जानवर ?
रात के अंधेरे में डीएसपी रिदवान सय्यद का छोटा लड़का अयान सय्यद घर के उस मिस्टीरियस कमरे में पहुंच जाता है। अयान को कमरे में सफेद आँख वाला बच्चा दिखाई देता है जो गोलियों से खेल रहा है ये बच्चा है या सिर्फ एक परछाई इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। अयान मिस्टीरियस बच्चे से कहता है के क्या हम साथ खेल सकते है वो बच्चा अपनी गोलियाँ अयान की ओर फेंकता है तभी दरवाजा अंदर से ऑटोमैटिक बंद और चारों तरफ काला अँधेरा अब वह मिस्टीरियस बच्चा कौन है अयान के साथ वो क्या करता है ये सब तो फिल्म देखने के बाद ही पता लगेगा।

शोएब के साथ पढ़ने वाला बच्चा फैजल भी गायब हो जाता है मिलते है तो सिर्फ उसके सिर के कुछ बाल। डीएसपी रिदवान सय्यद की बड़ी बेटी एक रात अपने कमरे में लेटी चैटिंग कर रही होती है तभी उसे ऐसा लगता है के इसके कमरे के बाहर कोई है साथ ही वहाँ कुत्ते की दुर्गंध भी आ रही थी परछाई में सीढ़ियों से नीचे एक कुत्ता जाता दिखाई भी देता है जबकि इनके घर के अंदर कोई भी कुत्ता पला हुआ नहीं है। हद तो तब हो जाती है जब नूरी उस कमरे में जाती है तब वह लौट नहीं पाती बस मिलते है तो इसके कटे हुए बाल।

मकसद-ए-आजादी
यह मुहिम कश्मीर के अलगावादी संगठन की ओर से चलाई गई थी जिसमें कश्मीर को पूरी तरह से इस्लामिक मुल्क बनाने और भारत से आजाद करने की मांग थी। ये वही टाइम था जब कश्मीर से वहाँ के पंडितों को भगाया गया उनपर अत्याचार हुए और मारे गए ऐसी जब कश्मीर में छोटे छोटे बच्चों के दिलों में नफरतें भरी जा रही थी उस समय मारी गई सभी आत्माओं को कश्मीर में आजाद किया गया ताकि वो आत्माएँ बच्चों को मिलिटेंट बनने से रोक सके।
क्या है बारामूला में खास (कश्मीर के दर्द और अलौकिक ट्विस्ट )
उरी द सर्जिकल स्ट्राइक जैसी फिल्म बनाने वाले आदित्य धार की नई फिल्म जिसका लेखन और प्रोडक्शन का भार इन्होने ने ही संभाला है , बारामूला सीधे ओटीटी पर रिलीज की गई है मिशन कश्मीर राज़ी द कश्मीर फाइल जैसी ढेरों फिल्में कश्मीर पर बनाई जा चुकी है पर इस बार बारामूला में कश्मीर के हालातों के साथ साथ अलौकिक शक्तियों को भी डाला गया है जो की इससे पहले किसी भी कश्मीर पर बनी फिल्म में देखने को नहीं मिला था। अर्नोल्ड फर्नांडिस की सिनेमाटोग्राफी ने कश्मीर की बर्फीली वादियों में रहस्य और रोमांच का तड़का लगाया है जिसे इतनी शांति से दर्शकों के सामने पेश किया गया जिसे देख किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।

फिल्म मेकर दर्शकों को तब सरप्राइज करते है यहां होने वाली किडनैपिंग एक डरावने सच में बदल जाता है जिसकी किसी ने कल्पना भी न की होगी। फिल्म के माध्यम से ये भी दिखाया गया है के कश्मीर में मारे जाने वाले फिर चाहे वो हिंदू हो या मुस्लिम क्या मरने के बाद भी कश्मीर को छोड़ कर गए या अब भी इनकी आत्माएँ कश्मीर के हालातों के लिए आंसू बहा रही है।

सीधी सिम्पल कहानी से कब हम जुड़ जाते है पता ही नहीं लगता यहां न तो बहुत ज्यादा म्यूजिक है और न ही डायलॉग,पर हॉरर एलिमेंट ऐसे है जो अच्छी अच्छी हॉरर फिल्मों को भी पछाड़ दें यहां सभी एक्टर ने बहुत अच्छा काम किया है। यहां एक बात ये जानना जरूरी है के पूरी फिल्म एक फिक्शनल कहानी है। पर जिस तरह से कहानी में कश्मीरी पंडितों को दिखाया गए है मेकर ने अपनी क्रिएटिविटी की शानदार प्रतिभा का वर्णन किया है। बहुत वक्त से इस तरह का क्लाइमेक्स किसी भी फिल्म या वेब सीरीज में देखने को नहीं मिल रहा था जो बारामूला ने घर बैठे नेटफ्लिक्स के जरिए दिखाया है। इस तरह की बहुत कम फिल्में होती है जो क्रिटिक्स के दर्जे से भी ठीक हो और दर्शकों को भी उतनी ही पसंद आए।
फिल्म के अंदर मजबूत प्लॉट सुपरनैचुरल शक्तियाँ सभी बच्चों और बड़े एक्टर की एक्टिंग नया आइडिया पेसिंग के साथ मजबूत वीएफएक्स देखने को मिलता है। परिवार के साथ इसको बैठ कर देखा जा सकता है अंत में बस दो गालियाँ बोलते दिखाया जाता है इसके अलावा कोई भी वल्गर या एडल्ट सीन नहीं है।
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