१७ अक्टूबर २०२५ के दिन नेटफ्लिक्स पर एक एनिमेटेड फिल्म “द ट्विट” रिलीज़ हुई है, जिसकी लम्बाई १ घंटा ४३ मिनट की है बात करें फिल्म की कहानी की तो, ये एक ऐसी कहानी है जो चींटी और उसके छोटे बच्चे से शुरू होती है, जहां मां अपनी कहानी सुना रही है। ये फिल्म ट्विट्स फैमिली पर आधारित है, जहां मिसेज क्रेडेंज़ा ट्विट और मिस्टर जिम ट्विट जैसे चिड़चिड़े मिजाज वाले पति-पत्नी हैं जिनकी शादी को 47 साल हो चुके हैं।
इन दोनों की आपस में बिल्कुल नहीं बनती, लेकिन इनका दिल ट्विटलैंडिया नाम के एम्यूज़मेंट पार्क से जुड़ा हुआ है। ये पार्क इनकी जिंदगी का सबसे बड़ा प्यार है। फिल्म में अनाथ लड़की बिशा और उसका जिगरी यार बब्सी मुख्य पात्र हैं, इनकी दोस्ती की वजह से कहानी में मजा आता है। ये एक ऐसी एनिमेटेड फिल्म है जो बच्चों और बड़ों दोनों को पसंद आएगी, क्योंकि इसमें हंसी, एडवेंचर और थोड़ी सी सीख भी छुपी हुई है।
कहानी
कहानी की शुरुआत बड़ी प्यारी है जहां चींटी एक अपने बच्चे को ट्विट्स फैमिली की कहानी सुना रही है, जिसमे आती है 12 साल की अनाथ लड़की “बिशा” जो अपने दोस्त बब्सी को ट्विटलैंडिया घुमाने का वादा करती है, क्योंकि बब्सी को जल्दी ही नया परिवार मिलने वाला है। लेकिन यहां ट्विस्ट आता है, जब पार्क को सरकार बंद कर देती है, वजह है झूलों की मजबूती न होना और बदबूदार हॉट डॉग मीट की बदबू। ट्विट्स जोड़े को ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता, और वे गुस्से में शहर को तबाह करने का प्लान बनाते हैं।

अब आगे कहानी में बदबूदार मीट की बाढ़ आ जाती है, जो पूरे शहर को खतरे में डाल देती है। बिशा और बब्सी पार्क की तरफ जा रहे होते हैं, तभी ये बाढ़ उनकी तरफ बढ़ती है, और वे खुद के साथ साथ अनाथ आश्रम के मालिक मिस्टर नैपकिन को बचा लेते हैं। शहर में पानी से लेकर लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है, लेकिन बिशा हार नहीं मानती और ट्विटलैंडिया पहुंचकर जांच करती है।
वहां उसे मीट ट्रक दिखता है, और शक होता है कि यहीं से सारी गड़बड़ हो रही है। पार्क में घुसकर वो ट्विट्स का अजीब व्यवहार देखती है और मगल-वम्प फैमिली के बंदर जैसे मैंडी मगल-वम्प, मां मैरी मगल-वम्प और पापा मार्टी मगल-वम्प से मिलती है।
ये बंदर उल्टा होकर रोते हैं, और उनके आंसुओं से पार्क में पावर बनाई जा रही है। आगे कहानी में बिशा को कुछ विचित्र जीव मिलते हैं, जैसे लूम्पालैंड से आया मेंढक, जिसके पैरों को चूमने पर समय उल्टी दिशा में चलने लगता है और इंसान सच बोलने लगता है। बिशा इन सबको छुड़ाने की कोशिश करती है, लेकिन ट्विट्स अपनी हरकतों से बाज नहीं आते।
वे चुनाव में खड़े होते हैं, झूठे वादे करते हैं, और इलेक्शन स्पीच में षड्यंत्र रचते हैं, जैसे मिस्टर जॉन जॉन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश। कहानी में गरीब जोड़ा डी दंबाड़ी दगले और हरविस दगले भी आते हैं, जो ट्विट्स की जमानत करवाते हैं, सोचते हैं कि ये शहर को बदल देंगे। कुल मिलाकर, कहानी इतनी घुमावदार है कि हर मोड़ पर सस्पेंस रहता है, लेकिन मैं ज्यादा स्पॉइल नहीं करूंगा बस इतना कहूंगा कि बिशा की बहादुरी और दोस्ती की वजह से सब कुछ बदल जाता है।
पात्र और उनके किरदार
फिल्म के पात्र बड़े जीवंत लगते हैं। ट्विट्स जोड़ा यानी क्रेडेंज़ा और जिम ऐसे हैं कि देखकर हंसी आती है, उनका चिड़चिड़ा मिजाज और पार्क से लगाव कहानी को रोचक बनाता है। बिशा एक बहादुर अनाथ लड़की है, जो 12 साल की उम्र में इतनी समझदार है कि बड़ा काम कर जाती है। उसका दोस्त बब्सी भी मजेदार है, दोनों की दोस्ती देखकर पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। मिस्टर नैपकिन अनाथ आश्रम के मालिक हैं जो मुसीबत में फंसते हैं लेकिन बहादुरी दिखाते हैं।
फिर मगल-वम्प फैमिली के बंदर, जैसे मैंडी, मैरी और मार्टी ये अजीबो-गरीब हैं, उनके आंसुओं से बिजली बनती है, जो कहानी में जादू जैसा टच देता है। लूम्पालैंड का मेंढक भी कमाल का है क्योंकि उसकी शक्तियां समय को उलट देती हैं। डी दंबाड़ी दगले और हरविस दगले जैसे गरीब जोड़े की वजह से कहानी में इंसानियत का पुट आता है। हर पात्र इतना अच्छा लिखा है कि लगता है जैसे असली हैं, एनिमेशन होने के बावजूद इनकी भावनाएं छू जाती हैं।
एनिमेशन और विजुअल इफेक्ट्स
एनिमेशन की बात करूं तो ये फिल्म कमाल की है, ट्विटलैंडिया पार्क को इतना रंगीन और मजेदार दिखाया है कि देखते ही वहां जाने का मन करता है। बदबूदार मीट की बाढ़ वाले सीन में विजुअल्स ऐसे हैं कि लगता है सब कुछ असली हो रहा है। मगल-वम्प बंदरों के उल्टा रोने और आंसुओं से पावर बनने वाले पार्ट में एनिमेशन गजब का है, जैसे कोई जादू चल रहा हो। मेंढक के पैर चूमने पर समय उल्टा चलने वाला सीन तो सिनेमैटिक शॉट की तरह दमदार है। शहर की तबाही और चुनाव के सीन सब कुछ इतना जीवंत है कि बच्चों को खूब पसंद आएगा।
थीम और संदेश
फिल्म में थीम दोस्ती, बहादुरी और गलत के खिलाफ लड़ने की है। ट्विट्स की गंदी हरकतें दिखाती हैं कि लालच कितना बुरा होता है, जबकि बिशा जैसे पात्र सिखाते हैं कि छोटी उम्र में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। शहर ट्रीपोट पहले जैसा हो जाता है, जहाँ फिर से पर्यटक आते हैं और मौज-मस्ती की राजधानी बनता है, संदेश ये है कि सच्चाई और दोस्ती हमेशा जीतती है।
क्लाइमेक्स और अंतिम विचार (स्पॉइलर्स)
क्लाइमेक्स में सब कुछ चरम पर पहुंचता है, जहां बिशा कैद से छूटती है, मेंढक अपनी शक्तियां इस्तेमाल करता है, और ट्विट्स को मजा चखाया जाता है। अंत में मगल-वम्प आंसुओं से लाइट पैदा करते हैं, अनाथ आश्रम को खरीदते हैं, और मिस्टर नैपकिन फिर मालिक बनते हैं। फिल्म का अंत इतना संतोषजनक है कि देखकर मुस्कुराहट आ जाती है। मेरी रेटिंग रहेगी 5 में से 3.5 स्टार।
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