निर्देशक अनुराग कश्यप की निशांची (Nishaanchi) 19 सितंबर 2025 से आपके नजदीकी सिनेमाघरों में रिलीज़ कर दी गई है। यहाँ दो जुड़वाँ भाइयों, बबलू और डब्लू की कहानी को पेश किया गया है। इन दोनों की शक्ल एक जैसी है, पर हरकतें अलग-अलग। इनके पिता की मृत्यु हो चुकी है। पिता की मृत्यु के बाद इनकी माँ अपने दोनों बच्चों का पालन-पोषण करती है। बबलू और डब्लू के रोल में शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के पोते ऐश्वर्य ठाकरे नज़र आते हैं। इस फिल्म से ही उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत की है। निशांची में वेदिका पिंटो, मोनिका पंवार, कुमुद मिश्रा, और विनीत कुमार जैसे बॉलीवुड के सितारे दिखाई देंगे।
कहानी
बबलू और डब्लू दोनों ही एक लोअर मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखते हैं, और भारत में सबको पता है कि लोअर मिडिल क्लास परिवार में क्या-क्या दिक्कतें आती हैं। पुरानी फिल्मों की तरह ही बबलू-डब्लू की माँ पर लोगों की गलत निगाहें हैं। अब यह किस तरह से खुद को और अपने बच्चों को बचाती है, ये आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा। बबलू ने गलत राह पकड़ ली है, वहीं डब्लू इन सभी चीज़ों से कोसों दूर है। एक लड़की के साथ ये तीनों अपनी एक गैंग बनाते हैं और बैंक लूटने की योजना बनाते हैं। अब आगे क्या होता है? क्या ये बैंक लूट पाते हैं या पकड़े जाते हैं? यही सब फिल्म में देखने को मिलता है।
पॉज़िटिव और नेगेटिव पॉइंट
2 घंटे 56 मिनट की यह एक डिसेंट वॉच फिल्म कही जा सकती है। फिल्म के प्रमोशन में अनुराग कश्यप ने कहा कि यह गैंग्स ऑफ वासेपुर से भी अच्छी है। यही एक वजह रही कि इसकी हाइप कुछ ज़्यादा ही बन गई, पर ऐसा नहीं है। गैंग्स ऑफ वासेपुर की तरह यह फिल्म नहीं लगती, लेकिन अनुराग कश्यप की हाल ही में रिलीज़ हुई जितनी भी फिल्में हैं, उनमें से निशांची सबसे अच्छी है। अनुराग ने निशांची की प्रस्तुति अच्छे से की है। आज के समय में लोग सोशल मीडिया के एडिक्शन में हैं। उन्हें हर थोड़ी देर में कुछ अलग चटपटा देखना होता है। अब फिल्म की लंबाई 2 घंटे 56 मिनट है। लंबी फिल्मों में उतने ही लंबे-लंबे सीन होते हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि इनकी यहाँ ज़रूरत नहीं थी। शो को देखकर ऐसा लगता है कि अनुराग कश्यप ने फिल्म की शुरुआत तो फुल एनर्जी के साथ की थी, पर जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, वह यह भूल गए कि आखिर वो बनाना क्या चाह रहे थे। फिर भी, कहानी काफी हद तक सधी हुई है, पर बस इसकी गैंग्स ऑफ वासेपुर से तुलना नहीं करनी चाहिए थी। उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म ऐसी नहीं है कि इस तरह की कहानी पहले न देखी गई हो। स्क्रीनप्ले काफी टाइट है। कहीं-कहीं पर फिल्म थोड़ी नीचे की ओर जाती है, पर ऐसा नहीं है कि यह आपको बोर करे। यह शुरू से लेकर अंत तक दर्शकों को बाँधकर रखती है। जिस तरह से ट्विस्ट और टर्न यहाँ दिखाई देते हैं, उन्हें देखकर मज़ा आता है और यह जानने की इच्छा बनी रहती है कि आगे क्या होने वाला है। चूँकि कहानी उत्तर प्रदेश की है, तो यहाँ जो डायलॉग सुनने को मिलते हैं, वे ठेठ उत्तर प्रदेश के ही रखे गए हैं। ऐश्वर्य ठाकरे का काम बहुत अच्छा है। वेदिका पिंटो, ज़ीशान अय्यूब, विनीत कुमार सिंह ने अपने-अपने रोल को अच्छे से निभाया है। कुमुद मिश्रा, अंबिका प्रसाद के रोल में हैं और उन्होंने ज़बरदस्त परफॉर्म किया है।
निष्कर्ष
अनुराग कश्यप के शानदार निर्देशन के साथ बढ़िया म्यूज़िक और स्क्रीनप्ले के साथ निशांची एक बार देखी जा सकती है, जो दर्शकों के बंद दिमाग को खोलने का काम करती है। निशांची का प्रमोशन ज़्यादा न होने की वजह से बॉक्स ऑफिस पर शुरुआत थोड़ी स्लो होगी, पर जो भी दर्शक इसे देखेंगे, उनका वर्ड ऑफ माउथ शानदार होने वाला है। इस फिल्म को मेरी तरफ से दी जाती है 5 में से 3 स्टार की रेटिंग।
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