सुभाष कपूर के निर्देशन में बनी जोली एलएलबी ३ में जोली एलएलबी वन से अरशद वारसी और इसके दूसरे भाग से अक्षय कुमार देखने को मिलते हैं। इसके पहले और दूसरे भाग को आज भी देखा जाए तो उतना ही मज़ा आता है जितना कि इनकी रिलीज़ के समय पर आता था। अब वन और टू के जैसा इसका तीसरा भाग वही एक्सपीरियंस देने में कामयाब रहता है या नहीं, इसको जानने के लिए पढ़ना पड़ेगा हमारा ये रिव्यू।
कहानी
जोली एलएलबी में पार्ट वन और पार्ट २ की जर्नी फॉलो होती दिखाई गई है। इस बार अदालत में जाता है किसानों का केस और इन किसानों की ज़मीनों का। २ घंटा 37 मिनट की इस फिल्म में आगे क्या होता है, इसको जानने के लिए देखनी होगी आपको ये फिल्म। इसके पार्ट और दूसरे पार्ट की कहानी को इस तरह से लिखा गया था जिसे देखकर अहसास होता था कि क्या फिल्म बनाई है।
इन दोनों कैरेक्टर को एक साथ देखने में जो दर्शकों की एक्सपेक्टेशन थी, ये उन सभी एक्सपेक्टेशन पर एकदम खरी उतरी है। पर अगर आपने इससे बहुत उम्मीदें लगा लीं तो यह उन उम्मीदों पर खरी नहीं उतरने वाली। फिल्म के पहले हिस्से में बहुत से जोक काम कर जाते हैं, पर वही बहुत से जोक काम नहीं भी करते हैं। पर दूसरे हिस्से के अंतिम ५० मिनट इसके पहले हाफ के जितने भी गुनाह थे, उनको माफ़ कर देते हैं और वो अंतिम हिस्सा दर्शकों को सिनेमा घरों से निकलने के बाद भी याद रहने वाला है।
सीमा बिस्वास का यह इम्पोर्टेंट कैरेक्टर था, पर जो अंत में उनके कुछ महत्वपूर्ण डायलॉग रखे जाते, वह यहां पूरी तरह से मिस रहा। इस बार जज बने सौरभ शुक्ला का वो जादू नहीं दिखा जो पिछले दो भागों में देखने को मिला था। उनके कैरेक्टर में डेप्थ और सेंसिबिलिटी की कमी दिखाई दी। जो मुद्दा फिल्म में उठाया गया है, वह शानदार है, पर जितनी इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए थी, उतनी बात नहीं की गई। दोनों मेन लीड का काम अच्छा है।
गजराज राव के आप एक बार फिर से फैन हो जाएंगे। राम कपूर का इस्तेमाल बहुत ज़्यादा नहीं किया गया है, जितना कि किया जा सकता था। अगर राम कपूर इंटरवल से पहले आते तो अच्छा रहता, पर उनके विलन के किरदार को इंटरवल के बाद लाया गया। सीमा बिस्वास के कैरेक्टर में दम नहीं था। यहां जो एक गाना देखने को मिला, वो ठीक-ठाक सा था।
पॉज़िटिव और निगेटिव पॉइंट
न जाने क्या वजह रही कि जोली एलएलबी ३ की उतनी हाइप न बन सकी, जितनी कि इसके पहले और दूसरे भाग में बनी थी। पार्ट वन और टू से अगर तुलना की जाए तो तीसरा भाग उनसे थोड़ा कम है। टीज़र ट्रेलर में जो हमें दिखाया गया, इंटरवल से पहले की ही कहानी है। फिल्म में इसका मेन मुद्दा था, उस पर आने में काफी टाइम लग जाता है।
इंटरवल के बाद की फिल्म बहुत एंगेजिंग है। एक्टिंग के मामले में सबने अच्छी एक्टिंग की है। अक्षय कुमार, अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला ने अपने-अपने हिस्से की एक्टिंग परफेक्ट की है। तीनों की केमिस्ट्री काफी पसंद आती है। यहां दिखाया गया है कि जिस किसान को आप पैसे के नशे में रौंदना चाहते हो, अगर वो ही न रहा तो आप खाओगे क्या? अंत का अक्षय और अरशद का कोर्ट रूम ड्रामा काफी पसंद आता है।
सीमा बिस्वास के एक मिनट का रोना दर्शकों की आंखों में भी आंसू लाता है। सिनेमैटोग्राफी नॉर्मल है। स्विगी ज़ोमैटो वाला डायलॉग अंदर तक हिलाने वाला है। परिवार के साथ आप इसे देख सकते हैं। कुछ डायलॉग दिमाग से लेकर रूह में घुस जाएंगे। मेरी तरफ से इसे दिए जाते हैं ५ स्टार में से ३.५ स्टार की रेटिंग।
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