11 सितंबर 2025 को सुभोध खानोलकर के निर्देशन में दशावतार नाम की एक मराठी फिल्म रिलीज़ हुई। जॉनर की बात करें तो यह ड्रामा, थ्रिलर, और एडवेंचर फिल्म है। इसमें हमें कलाकारों के रूप में दिलीप प्रभवलकर, महेश मांजरेकर, भारत जाधव जैसे कई मराठी कलाकार देखने को मिलते हैं। 2025 में मराठी इंडस्ट्री से स्वातंत्र्य वीर सावरकर, मुक्ताई, संगीत मानुस जैसी दमदार कंटेंट वाली फिल्में देखने को मिलीं। अपनी इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए दशावतार रिलीज़ की गई है। फिल्म के कंटेंट, स्टोरी राइटिंग, और कॉन्सेप्ट को अलग रखते हुए पहले जानते हैं फिल्म के मुख्य कलाकार दिलीप प्रभवलकर के बारे में। इनकी उम्र 81 साल है, और इस उम्र में जिस तरह से उनकी एक्टिंग देखने को मिलती है, वह अद्भुत है। राजू हिरानी के निर्देशन में बनी संजय दत्त की फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में गांधी का किरदार भी इन्होंने ही निभाया था। दिलीप प्रभवलकर की एक्टिंग को देखकर शब्दों की कमी हो जाती है, उनकी तारीफ करने में।
कहानी
फिल्म दशावतार कोकण के एक खास नाटक पर आधारित है, जिसमें लोग गाना-नाचकर भगवान विष्णु की 10 कहानियाँ दिखाते हैं। फिल्म का केंद्र बिंदु है बबुली मेस्ट्री (दिलीप प्रभवलकर), जिनके इर्द-गिर्द इसकी कहानी चलती है। उन्हें गांव में होने वाले नाटक दशावतार के किसी न किसी किरदार को निभाना बहुत पसंद है। दशावतार एक कला है, और उन्होंने इस कला के लिए अपने आप को पूरी तरह से समर्पित कर दिया है। लेकिन अब वे बूढ़े हो गए हैं। दशावतार जैसी कला को बबुली छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उम्र की इस दहलीज पर आने के बाद उनका बेटा अपने पिता से वचन लेता है कि जब मेरी नौकरी लग जाएगी, तब आप नाटक में काम करना छोड़ देंगे। कहानी एक रोमांचक मोड़ उस समय लेती है जब कुछ अजीब होता है, जो बबुली की जिंदगी के साथ-साथ दशावतार जैसी कला के लिए खतरा पैदा करता है। आखिर क्यों बबुली जंगल में भटक-भटककर तरह-तरह के अवतार ले रहे हैं? ये रूप बदलकर आखिर क्या करना चाहते हैं? बबुली के सलाहकार महेश मांजरेकर, जो फिल्म में पुलिस की भूमिका में हैं, उनका यहाँ क्या रोल है? यही सब कहानी में आगे देखने को मिलेगा।

सकारात्मक और नकारात्मक पहलू
फिल्म का जब ट्रेलर रिलीज़ किया गया था, तब इसे कुछ इस ढंग से पेश किया गया था जैसे इसे कांतारा फिल्म की तरह दिखाया जाएगा। कुछ हद तक उस तरह का प्रयास यहाँ दिखाई भी पड़ता है, पर कम प्रोडक्शन वैल्यू की वजह से वह प्रभाव पूरी तरह नहीं आ पाया। दिलीप प्रभवलकर की उम्र को देखते हुए वे कांतारा के ऋषभ शेट्टी जैसा एक्शन तो नहीं कर सकते, पर हाँ, उन्होंने इसे ज़रूर ट्राई किया है। थ्रिल पार्ट को अगर प्रेडिक्टेबल न बनाया जाता, तो ज़्यादा अच्छा रहता। पूर्वानुमानित होने की वजह से कुछ सीन में थ्रिल मोमेंट मिस लगता है। भावनात्मक दृश्य अपना काम करते हैं, पर थ्रिल और टेंशन अगर थोड़ा और क्रिएट किया जाता, तो मज़ा दोगुना हो सकता था। एक बाप-बेटे के रिश्ते को बहुत अच्छे से यहाँ पेश किया गया है, जिससे दर्शक आसानी से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। एडिटिंग, बीजीएम, म्यूज़िक, और सभी एक्टरों की परफॉर्मेंस शानदार रही है। जिस तरह से एक बदला लेने वाली फिल्म का क्लाइमेक्स होना चाहिए, वह यहाँ पूरी तरह से मिस रहा है। अब वह बदला कैसा है, कौन किससे ले रहा है, ये आपको फिल्म देखकर ही पता लगाना होगा।
निष्कर्ष
दशावतार एक डिसेंट फिल्म है, जिसे पूरे परिवार के साथ बैठकर देखा जा सकता है। यहाँ एक सामान्य-सा क्राइम थ्रिलर ड्रामा देखने को मिलता है। अगर आपको मलयालम क्राइम थ्रिलर फिल्में अच्छी लगती हैं, तो यहाँ वैसा कुछ भी नहीं है। मैं इस फिल्म और दिलीप प्रभवलकर की एक्टिंग के लिए इसे देता हूँ 5 में से 3 स्टार की रेटिंग।
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