Laughing Buddha Movie Review hindi:ऐसी बहुत कम फिल्मे बनाई जाती है जिसमे पुलिस डिपार्टमेंट को एक सही वे में दिखाया जाए । अगर फिल्म में पुलिस ऑफिसर फिल्म का हीरो है तो उसे पॉज़िटिव वे में प्रजेंट किया जाता है वरना तो पुलिस वालो को मोस्टली करप्ट ही दिखाया जाता है।
ऐसी बहुत कम फिल्मे बनी है जिनमे डिपार्टमेंट की अंदर की प्रॉब्लम को दिखाया गया हो। भारतीय फिल्मो में जो सबसे बड़ी प्रॉब्लम पुलिस वालो की दिखाई जाती है वो है पुलिस वालो का पेट निकला हुआ मतलब के मोटापा।
कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में एक ऐसी ही फिल्म रिलीज़ हुई है जिसमे हीरो है प्रमोद शेट्टी और ये फिल्म इनके मोटापे और रोज़ाना की ज़िंदगी को एक कॉमेडी अंदाज़ में पेश करती है। क्या ये फिल्म आपको इंटरटेन करने वाली है भी या नहीं आइये अपने इस आर्टिकल में जानने की कोशिश करते है।
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कास्ट
डायरेक्टर -एम भारत राज
स्क्रीन प्ले – भारत राज
स्टोरी – एम भारत राज
प्रोडूसर –ऋषभ शेट्टी
स्टार – प्रमोद शेट्टी,तेजू बेलावड़ी ,सुन्दर राज ,दिगंठ
लाफिंग बुद्धा रिव्यु
सबसे पहले तो ये जान ले के प्रमोद शेट्टी है कौन तो प्रमोद शेट्टी वही है जिनको हमने रिषभ शेट्टी की फिल्म कांतारा में देखा था प्रमोद शेट्टी ने कांतारा फिल्म में सुधाकरा का करेक्टर प्ले किया था। प्रमोद शेट्टी ने कांतारा के इलावा भी हीरो,दिर्श्या २,क्रीक पार्टी जैसी फिल्मे की है।
स्टोरी
लाफिंग बुद्धा फिल्म की स्टोरी है एक मोटे ओवर वेट हेडकांस्टेबल गोवर्धन की ज़िंदगी पर गोवर्धन खाने के इतने शौक़ीन है के वो अपने साथी काम करने वालो के लंच बॉक्स को भी सफा चट कर जाते है। एक पुरानी कहावत है के इंसान के दिल में पहुंचने का रास्ता उसके पेट से होकर गुजरता है।
गोवर्धन को यकीन होता है के उसकी वाईफ के द्वारा बनाये गए खाने को खा कर बड़े से बड़ा मुज़रिम उसके सामने अपना मू खोल देता है। और यही वजह है के बहुत से केस इसी तरह से सॉल्व हो जाते है।
फिर एक दिन मीडिया पुलिस डिपार्टमेंट की मोटापे की प्रॉब्लम को हाइलाइट करती है। तब ये न्यूज़ गोवर्धन की परसनल ज़िंदगी को प्रभावित (इफेक्ट )करती है। अब गोवर्धन इस प्रॉब्लम से कैसे डील करता है और इस प्रॉब्लम को कैसे सॉल्व करता है ये सब आपको इस फिल्म में देखने को मिलेगा।
Diganth pic credit instagram
स्क्रीन प्ले और डायरेक्शन
स्क्रीन प्ले डायरेक्टर भारत राज बिना टाइम खराब करे फिल्म के टोन और जो फिल्म की गलतिया है उनको आसानी से स्क्रीन प्ले के माध्यम से सेटअप कर देते है। किस तरह की टेक्नीक का पुलिस वाले सहारा लेते है क्रिमनल से उनका जुर्म कबूल करवाने के लिए कोई ऑफिसर गुस्से मार पीट का सहारा लेता है
तो कुछ ऑफिसर शांति का सहारा लेते है। जैसे की फिल्म का हीरो गोवर्धन जो अपनी पत्नी के हाथो का बना हुआ टेस्टी खाना खिला कर मुज़रिम से सच उगलवा लेता है। पर क्या सभी केस को इसी टेक्नीक से सॉल्व किया जा सकता है ।
फिल्म में दिखाया गया है के जब मीडिया के द्वारा पुलिस वालो के मोटापे की बात उठती है तब पुलिस कमिश्नर सभी मोटापे से जूझते हुए पुलिस ऑफिसर को बुलाते है और तीन महीने का टाइम देते है अपने मोटापे को कम करने के लिए और कहते है के अगर मोटापा कम नहीं हुआ तो वो उन पुलिस वालो को डिसमिस कर देंगे।
My take on Laughing Buddha. A fun watch, where @UrsPramodShetty @diganthmanchale and cast deliver. M Bharath Raj entertains. And @shetty_rishab has given film lovers yet another good film under his @rishabsfilms umbrella pic.twitter.com/vjoBRwNTDB
— Sunayana Suresh (@sunayanasuresh) August 30, 2024
इसके बाद से गोवर्धन अपने मोटापे को कम करने के लिए हर सम्भव कोशिश करना शुरू कर देता है। फिल्म जैसे आगे बढ़ती है हमारे सामने एक विलन प्रजेंट होता है जिनका नाम है Diganth , दिगंठ के करेक्टर के चारो ओर एक मिस्ट्री क्रिएट की गयी है। यही मिस्ट्री दर्शको को पूरी तरह से इंगेज भी करती है।
कुछ जगहो पर बिना मतलब के ह्यूमर को डाला गया है जिसकी कोई जरूरत फिल्म में नहीं होती है। दिगंठ के करेक्टर से सच निकलवाने के लिए एक बार फिर से गोवर्धन के खाने की जरुरत पड़ती है। पर इस बार ये काम गोवर्धन को Diganth को अपने घर में रख कर करना होता है। ऐसा क्यों होता है ये तो आपको फिल्म देख कर ही पता लगने वाला है।
हम अपने इस आर्टिकल में कोई भी ऐसा ईस्पोइलर नहीं देंगे जिसकी वजह से आपका फिल्म देखने का मज़ा ख़राब हो जाये
फिल्म का सेकंड हाफ
फिल्म के दूसरे हिस्से में स्टोरी थोड़ी और इंटरटेनिंग और थ्रिलिंग हो जाती है क्युके इस नए केस को गोवर्धन इन्वेस्टीगेट कर रहा होता है। फिल्म में गोवर्धन और उसकी वाईफ के नौ साल के सफर को बहुत ही नेचुरल ढंग से प्रजेंट किया गया है जिसे देख कर अच्छा लगता है। गोवर्धन ओवरवेट होता है जिसकी वजह से वो फिज़िकली फिट नहीं होता पर फिर भी गोवर्धन के पास दिमाग और स्किल दोनों ही पुलिस ऑफिस जैसा ही होता है जिस वजह से वो सभी केस को आसानी से सॉल्व कर देता है।
#LaughingBuddha Review: The first half sets the stage with slow but solid character development, while second half speeds up with fun & engaging moments
— South First (@TheSouthfirst) August 31, 2024
Though some subplots are left hanging, it’s a delightful watch for families, @sunayanasuresh reviewshttps://t.co/UkePQDvjJJ pic.twitter.com/y1nUVHEzpi
कलाइमेक्स
फिल्म का अपने कलाइमेक्स तक पहुंचते-पहुंचते हमें ऐसा लगने लगता है के फिल्म जिस को अपना बेस बना कर चल रही थी कही उससे भटक तो नहीं जाएगी पर ऐसा नहीं होता पुलिस के मोटापे से लेकर Diganth की मिस्ट्री दोनों को एक सटिस्फाइड क्लाइमेक्स के माध्यम से एन्ड किया जाता है।
म्यूज़िक
विष्णु विजय का म्यूज़िक पूरी फिल्म को अच्छे से सपोर्ट करता है। फिल्म के कलाइमेक्स के चेज़ सीन में विष्णु ने एक ऐसे डिवोशनल गाने को प्रजेंट किया है उस सीन पर वो गाना बहुत अच्छे से एक्ज़िक्युट किया गया है।
परफॉर्मेंस
अगर फिल्म के सभी एक्टर के परफॉर्मेंस की बात की जाये तो सभी एक्टर ने फिल्म में अच्छा काम किया है। और इस बिरलियंट परफॉर्मेस की वजह से ही फिल्म का प्रजेंटेशनं और भी अच्छा है। Diganth की कास्टिंग बहुत अच्छी की गयी है Diganth ने अपने रोल को बहुत अच्छे से निभाया है।
प्रमोद शेट्टी ने बिरलीयंट परफॉर्मेंस दिया है इन्होने हर तरह से दर्शको को इम्प्रेस किया है फिर चाहे वो कॉमेडी हो या इमोशनल सीन हो। पूरी फिल्म देखने के बाद आपको ऐसा लगेगा के प्रमोद शेट्टी इस रोल के लिए बेस्ट कास्ट है।
फ़ाइनल कान्क्लुजन
भारतराज की ये फिल्म पुलिस डिपार्टमेंट और ऑफिसर के रोज़ाना के स्ट्रगल और इनके मेन्टल और फिज़िकल इश्शु को प्रजेंट करती है पूरी फिल्म बहुत अच्छे से ह्यूमर और अपने मैसेज को एक साथ लेकर चलती है
जिसकी वजह से आप इस फिल्म के साथ एक यादगार टाइम बिताते है। जिस तरह से असल ज़िंदगी में लाफिंग बुद्धा एक होप देते है उसी तरह से प्रमोद शेट्टी होप देते है लाफिंग बुद्धा की तरह ही पूरे पुलिस डिपार्टमेंट के सिस्टम को। अगर आप इस हफ्ते एक एंटेरटेनिंग फिल्म की तलाश में है तो लाफिंग बुद्धा बेस्ट ऑप्शन होने वाला है आपके लिए।
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