Rajinikanth Coolie movie review and ending explained:लोकेश कनगराज की मोस्ट अवेटेड फिल्म “कुली” 14 अगस्त 2025 को दुनिया भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ कर दी गई है। प्रभात खबर के अनुसार, रिलीज़ के पहले दिन इसने दुनिया भर के सिनेमाघरों में 150 करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन किया है। भारत में इसने लगभग 70 करोड़ का कारोबार किया है।
सुपरस्टार रजनीकांत के होने की वजह से इसका क्रेज़ दर्शकों पर चरम पर है। यहां रजनीकांत के साथ-साथ नागार्जुन, श्रुति हासन, सौबिन शाहिर, उपेंद्र, सत्यराज और आमिर खान का खास कैमियो है। नवभारत की रिपोर्ट के अनुसार, इसका बजट लगभग 375-400 करोड़ रुपये का है।
कहानी
कहानी की शुरुआत विशाखापट्टनम के एक पोर्ट से होती है, जहां कुछ अवैध काम किए जा रहे हैं। इस पोर्ट की देखभाल करता है दयाल (सौबिन शाहिर) और यह पूरा अवैध कारोबार साइमन (नागार्जुन) का है। जो मजदूर इस पोर्ट पर काम करने के लिए लाए गए हैं, उन्हें कुली के नाम से बुलाया जाता है। इन्हीं कुलियों के बीच छिपा हुआ एक मुखबिर भी है। अब यह मुखबिर कौन है, इसका पता पोर्ट के लीडर को लगाना है। रजनीकांत की एंट्री को लोकेश ने अपने अंदाज़ में बहुत ही प्रभावी तरह से करवाया है। रजनीकांत अपने अतीत में उसी बंदरगाह पर पूर्व कुली के रूप में काम कर चुके हैं।

रजनीकांत की एंट्री के ठीक बाद इनका गाना देखकर बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता कि थलाइवा अब 74 साल के हो गए हैं। कहानी को बहुत ज़्यादा कॉम्प्लिकेटेड नहीं रखा गया है। यह डिफिकल्ट होते हुए भी कुछ इस तरह से पेश की गई है कि जिसे कमज़ोर दिमाग वाले लोग भी आसानी से समझ सकेंगे।
सत्यराज, जो रजनीकांत के बेस्ट फ्रेंड हैं, उनकी मौत के बाद रजनीकांत का जो भावुक चेहरा और बैकग्राउंड में बजता बीजीएम और गाना, फिल्म को एक अलग दर्जा देने का काम करता है। अब आखिर सत्यराज की मौत नॉर्मल है या हत्या, इसका पर्दाफाश करने में रजनीकांत लग जाते हैं। यहां लोकेश ने दोस्ती की परिभाषा को बहुत अच्छे से समझाया है।
फिल्म में जो भी गलत हो रहा है, उसकी कड़ी साइमन से जुड़ी है। कहानी उस समय मोड़ लेती है, जब मजबूरन सत्यराज को साइमन के लिए काम करना पड़ता है। क्यों करना पड़ता है और वो काम क्या है, ये तो फिल्म देखकर ही पता लगाना होगा। सत्यराज की बेटी के रूप में श्रुति हासन हैं। सत्यराज की मौत के बाद श्रुति हासन और उनकी बहनों की जान को भी खतरा है।पॉवर हॉउस एक ऐसा शब्द है कहानी को 30 साल पहले ले जाता है

अभिनय
रजनीकांत
रजनीकांत के बारे में क्या कहें! इनका पहला एक्शन सीन, जब श्रुति हासन को साइमन के गुंडे उठाने आते हैं, तब रजनीकांत का एक डायलॉग, “अब जो मैं दिखाऊंगा, वो सोशल मीडिया पर देखने को नहीं मिलेगा।” रजनीकांत का यह एक्शन सीन रोंगटे खड़े कर देने वाला है।
नागार्जुन
अक्किनेनी नागार्जुन, विलेन की भूमिका में एकदम फिट हैं। एनर्जी से भरा हुआ इनका लुक शानदार है, जिसे देखकर बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं लगता कि इनकी आयु 65 वर्ष की है। नागार्जुन हर एक फ्रेम में शानदार अभिनय करते दिखाई दिए हैं।
सौबिन शाहिर
सौबिन शाहिर का किरदार साइको जैसा है, जिनके चेहरे पर ऐसी भावनाएं हैं, जो इससे पहले किसी फिल्म में देखने को नहीं मिलीं। शायद इनका यह कैरेक्टर भविष्य में और भी फिल्मों में देखने को मिले। यह एक यादगार कैरेक्टर के रूप में जाना जा सकता है।
श्रुति हासन
श्रुति हासन ने इससे पहले शायद ही किसी फिल्म में इतनी सीरियस एक्टिंग की होगी। कुछ सीन्स में इन्होंने अपने फेस इम्प्रेशन्स से ही बहुत से डायलॉग बोल दिए हैं।
आमिर खान और उपेंद्र
आमिर खान और उपेंद्र, ये दोनों ही कैमियो में नज़र आते हैं, जिनकी एंट्री सिटी मार है, जो रग-रग में जोश भर देता है। इनका परदे पर आना ही फिल्म के लिए बोनस पॉइंट है।
निर्देशन
लोकेश कनगराज अपनी पुरानी फिल्मों की तरह इस फिल्म को भी बनाने की कोशिश करते दिखाई दिए हैं। अगर इनकी पहले की फिल्में देखी होंगी, तो साफ लगता है कि इस तरह की फिल्म सिर्फ लोकेश ही बना सकते हैं। कुछ क्रिटिक्स ने “कुली” को कमज़ोर फिल्म बताया है और कहा कि यह लोकेश की अब तक की सबसे वर्स्ट फिल्म है।
पर हर बार एक जैसी फिल्म बनाना भी तो ठीक नहीं। यही वजह है कि इस बार लोकेश ने “कुली” में कुछ क्रिएटिव करने की कोशिश की है। गिरीश गंगाधरन की सिनेमैटोग्राफी शानदार है, बंदरगाह के सभी सीन बेहतरीन हैं। आर्ट डायरेक्शन अच्छे से हुआ है।
अनिरुद्ध रविचंदर का बैकग्राउंड स्कोर को 100 में से 100 स्कोर दिए जा सकते हैं।चप्पा चप्पा चरखा चले गाना बैग्राउंड में जिस तरह से एक्शन सीन में चलता है वह देखना काफी मज़ेदार है खास कर हिंदी दर्शको के लिएचप्पा चप्पा चरखा चले गाना बैग्राउंड में जिस तरह से एक्शन सीन में चलता है वह देखना काफी मज़ेदार है खास कर हिंदी दर्शको के लिए
रुला देने वाला सीन
एक सीन में, जब श्रुति हासन एक पुराना फोटो रजनीकांत को देती हैं, वह फोटो देखकर रजनीकांत भावुक हो जाते हैं, साथ ही बैठे दर्शक भी। अब इस फोटो में ऐसा क्या होता है, ये फिल्म देखकर ही पता लगाना होगा।
कुली एंडिंग एक्सप्लेन
दयाल (सुबिन साहिर) और उसकी पत्नी, दोनों ही भ्रष्ट पुलिस अधिकारी हैं, जो साइमन (नागार्जुन) के साथ मिलकर पैसा हड़पने के लिए काम कर रहे थे। दयाल की पत्नी ने साइमन के बेटे को प्यार में फँसा रखा है। अंत में पता चलता है कि जिसे रजनीकांत, प्रीति (श्रुति हासन) को राजशेखर (सत्यराज) की बेटी समझता था, वह असल में रजनीकांत की ही बेटी होती है।
रजनीकांत अकेले अतीत में कुली का काम नहीं करते थे, उनके साथ 18 अन्य साथी भी थे, जिनमें से एक उपेंद्र भी है, जिनका इंट्री सीन “सिटी मार, ताली मार” है। क्लाइमेक्स में, जब साइमन, दयाल की पत्नी और प्रीति को अपने अड्डे पर ले आता है, तब वह कहता है कि दयाल को फोन करो। तभी दयाल की पत्नी अचानक साइमन पर वार करती है, जिसमें साइमन बच जाता है और दयाल की पत्नी को मार देता है।
साइमन जान चुका है कि प्रीति रजनीकांत की बेटी है। वह उसे रजनीकांत के सामने तड़पा-तड़पा के मारना चाहता है। कहानी तब मोड़ लेती है जब रजनीकांत साइमन को बताता है कि मैंने ही तेरे पिता को मारा था, जिसने हम जैसे निर्दोष कुलियों को विदेश में ड्रग्स तस्करी के मामले में फँसाया था। तभी साइमन रजनीकांत पर हमला कर देता है।
साइमन को मारने के बाद कुछ लोग रजनीकांत के ग्रुप को पकड़कर एकांत जगह ले जाते हैं, जहाँ दिखाई देते हैं महेश मांजरेकर और उनके बेटे आमिर खान। अब आमिर खान और रजनीकांत का रिश्ता क्या है, ये तो फिल्म देखकर ही पता लगाना होगा।
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