B.Saroja Devi जिन्हें ‘अभिनय सरस्वती’ भी कहा जाता था, उनका आज १४ जुलाई २०२५ के दिन देहांत हो गया है। उन्होंने भारतीय सिनेमा में अपनी खास जगह बनाई है। 1938 में जन्मीं सरोजा जी ने 17 साल की उम्र में 1955 में कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ से डेब्यू किया था। उनकी प्रतिभा ने जल्द ही उन्हें कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिंदी सिनेमा में एक बड़ा नाम बना दिया और 1958 में तमिल फिल्म ‘नडोडी मन्नन’ ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया था ।
200 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
सरोजा जी ने सात दशकों तक सिनेमा में काम किया और 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। कन्नड़ में ‘कित्तूर चेन्नम्मा’ तमिल में ‘वन्स मोर’ और तेलुगु में ‘पांडुरंगा महात्यम’ जैसी फिल्मों ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा और भी बढ़िया तरीके से दिखाई। वह पहली ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने 29 साल तक लगातार 161 फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई थी,उनकी आखिरी फिल्म ‘नटसार्वभौमा’ थी जोकि साल (2019) में आयी थी।
सम्मान और योगदान
सरोजा जी को 1969 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। तमिलनाडु का कलैमामणि और बैंगलोर विश्वविद्यालय का मानद डॉक्टरेट भी उन्हें मिला था, वह न सिर्फ एक अभिनेत्री थीं बल्कि फिल्म सलाहकार समितियों में भी सक्रिय रहीं थी । उनके निधन पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, रजनीकांत और खुशबू सुंदर जैसे सितारों ने शोक जताया है ।
अंतिम दिन
1967 में सरोजा जी ने श्री हर्षा से शादी की, जो 1986 में दुनिया छोड़ गए इसके बाद उन्होंने कुछ समय के लिए अभिनय से ब्रेक लिया, लेकिन बाद में किरदार भूमिकाओं में लौटीं। 14 जुलाई 2025 को 87 साल की उम्र में बेंगलुरु में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया।
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